रियो ओलंपिक के आखिरी दिन भारतीय पहलवान योगेश्वर दत्त की हार के साथ ही भारत की रियो ओलंपिक में एक पदक जीतने की आखिरी उम्मीद भी टूट गई. इस बार ओलंपिक में भारत का सबसे बड़ा दल गया था. जिससे कम से कम 10 ओलंपिक पदक की उम्मीद की जा रही थी. लेकिन हाथ आए सिर्फ दो ही मेडल.
योगेश्वर दत्त की हार से ही सारी उम्मीदें हुईं खत्म
लंदन ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता योगेश्वर से काफी उम्मीदें थीं और उन्हें पदक का प्रबल दावेदार भी माना जा रहा था. लेकिन मंगोलिया के गैंजोरिगिना मंदाखरान के खिलाफ क्वालिफिकेशन दौर के मुकाबले में उन्होंने बेहद लचर खेल दिखाया और 0-3 से हार गए. मंदाखरान के क्वार्टर फाइनल में हारने से योगेश्वर की लगातार दूसरी बार रेपेचेज के जरिए पदक जीतने की उम्मीदें भी खत्म हो गईं.
ओलंपिक के 15वें दिन भी भारत का लचर प्रदर्शन
रियो ओलंपिक के 15वें दिन भारत के तीन मैराथन रनर अपनी दावेदारी के लिए मैदान पर उतरे थे. उनमें से दो ने अपना सर्वश्रेष्ठ समय निकाला, लेकिन वे पदक की दौड़ से काफी पीछे रहे. पुरुष मैराथन में भारत के टी गोपी और खेताराम ने अपना बेस्ट टाइम निकाला. वो दोनों 25वें और 26वें नंबर पर रहे. मैराथन में भारत के तीसरे रनर नीतेंद्र सिंह राव थे लेकिन वो दो घंटे 22 मिनट 52 सेकेंड के समय के साथ 84वें स्थान पर रहे. नीतेंद्र दौड़ के विजेता से 14 मिनट 8 सेकेंड पीछे रहे. मैराथन दौड़ खत्म होने के साथ ही भारत का ब्राजीली शहर में अभियान भी समाप्त हो गया.
रियो ओलंपिक में भारत को सिर्फ दो पदक ही मिले
रियो ओलंपिक में बैडमिंटन महिला सिंगल्स मुकाबलों में भारत की पीवी सिंधू ने सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास बनाया. इसके अलावा महिला पहलवान साक्षी मलिक ने 58 किलो वर्ग फ्रीस्टाइल कुश्ती में देश को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया. लंदन ओलंपिक में भारत ने छह पदक जीते थे. लेकिन उसमें भी एक गोल्ड मेडल नहीं था.
सारे दावे धरे के धरे रहे गए
खेलों से पहले भारतीय खेल प्राधिकरण ने पदकों की संख्या को दोहरे अंक में पहुंचने की उम्मीद जताई थी. लेकिन वे सब धराशाई हो गई. सिर्फ दो महिला खिलाड़ियों ने देश की लाज बचाई. योगेश्वर के अलावा देश के कई हाईप्रोफाइनल एथलीटों ने भी सबसे ज्यादा निराश किया. हालांकि अभिनव बिंद्रा फाइनल मुकाबले में कुछ प्वाइंट्स के अंतर से ब्रॉन्ज मेडल हासिल करने से चूक गए थे.