टोक्यो को साढ़े सात साल पहले जब ओलंपिक खेलों की मेजबानी सौंपी गई थी, तब उसने स्वयं को सुरक्षित स्थल के रूप में पेश किया था. अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) के तत्कालीन उपाध्यक्ष क्रेग रीडी ने ब्यूनस आयर्स में 2013 में वोटिंग के बाद कहा था कि निश्चितता अहम मुद्दा होगी.
पिछले साल स्थगित किए गए टोक्यो ओलंपिक खेलों के आयोजन के लिए बुधवार को हालांकि जब 100 दिन की उल्टी गिनती शुरू हुई, तो कुछ भी निश्चित नहीं है. कोविड-19 के बढ़ते मामलों, असंख्य घोटालों और जापान में खेलों के आयोजन को लेकर जनता के विरोध के बावजूद आयोजक और आईओसी खेलों के आयोजन पर जोर दे रहे हैं. ओलंपिक खेल 23 जुलाई से शुरू होंगे.
😉 Check out the statue of #Miraitowa and #Someity that was unveiled to celebrate #100DaysToGo until the Opening Ceremony of the Olympic Games #Tokyo2020! @Olympics #Tokyo2020 #UnitedByEmotion pic.twitter.com/A6I1eTMmeu
— #Tokyo2020 (@Tokyo2020) April 14, 2021
टोक्यो में 1964 में हुए ओलंपिक खेलों के जरिए जापान ने द्वितीय विश्व युद्ध में हार से तेजी से उबरने का जश्न मनाया था, लेकिन इस बार खेलों के आयोजन को लेकर कई अलग नियम और पाबंदियां होंगी. बेशक खिलाड़ियों का लक्ष्य पदक जीतना होगा, लेकिन कुछ और लोग सिर्फ इतना चाहेंगे कि बिना किसी समस्या के खेलों का आयोजन हो, इन खेलों के जरिए कोविड-19 संक्रमण ना फैले और राष्ट्रीय गौरव बना रहे.
क्योटो की दोशिशा यूनिवर्सिटी में राजनीतिक विज्ञान पढ़ाने वाले डॉ. गिल स्टील ने ईमेल में लिखा, ‘यह सरकार काफी सचेत है कि पूरी दुनिया जापान को कैसे देखती है. ओलंपिक को रद्द करने को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक विफलता के रूप में देखा जा सकता है.’