पिछले दशक के टॉप 50 में से 16 टेनिस प्लेयर्स पर फिक्सिंग में लिप्त रहने का शक जताया जा रहा है. बीबीसी और बजफीड न्यूज ने दावा किया है कि उन्होंने कुछ सीक्रेट फाइल्स देखी हैं जिसमें ऐसे सबूत हैं जिनसे वर्ल्ड टेनिस के टॉप लेवल पर बहुत बड़े स्तर तक फैले हुए भ्रष्टाचार का खुलासा होता है.
टेनिस कोर्ट पर जमकर हुई फिक्सिंग
बीबीसी ने रविवार को खुलासा किया कि, 'पिछले एक दशक में 16 ऐसे प्लेयर जो कि टॉप 50 रैंकिंग में शामिल थे, पर कई मौकों पर जानबूझकर मैच हारने का शक जताया जा चुका है. जिसकी जानकारी टेनिस अखंडता इकाई (Tennis Integrity Unit) को भी थी. फिर भी इन प्लेयरों को, जिनमें ग्रैंडस्लैम विजेता भी शामिल हैं. कभी खेलने से नहीं रोका गया.'
ऑस्ट्रेलियन ओपन से ठीक पहले खुलासा
टेनिस जगत में हलचल मचाने वाली ये अहम रिपोर्ट साल के पहले ग्रैंडस्लैम ऑस्ट्रेलियन ओपन की पूर्वसंध्या पर आई है. बीबीसी और बजफीड ने खुलासे में यह भी बताया कि इन पेपर्स में 2007 में वर्ल्ड मेन्स टेनिस की गवर्निंग बॉडी (ATP) द्वारा शुरू की गई एक जांच की डिटेल्स भी हैं. उनका दावा है कि इस जांच में रूस, इटली और सिसिली में ऐसे कई सट्टेबाजी गिरोहों के बारे में पता चला था, जो इन फिक्स मैचों पर सट्टा खेलकर हजारों डॉलर कमा रहे थे. बीबीसी का दावा है कि तीन ऐसे मैच विम्बलडन में हुए थे.
जांच में बरता गया ढीला रवैया
बीबीसी के मुताबिक '2008 में टेनिस अथॉरिटी को मिली एक कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट में जांच दल ने कहा था कि इसमें शामिल 28 प्लेयर्स की जांच होनी चाहिए. लेकिन इन जांच परिणामों का फॉलो-अप कभी नहीं लिया गया.' साल 2009 में टेनिस में एक नया एंटी करप्शन कोड आया था लेकिन कानूनी सलाह के बाद ये कहा गया कि भ्रष्टाचार के पुराने मामलों को इसके अंतर्गत नहीं लाया जाएगा.
TIU ने नहीं उठाया कोई कदम
इन दस्तावेजों से खुलासा होता है कि कानूनी बाधाओं के बावजूद बाद के सालों में इन खिलाड़ियों को लेकर TIU को लगातार अलर्ट भेजे गए. लेकिन किसी पर भी अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई. बजफीड के मुताबिक इन खिलाड़ियों को बड़े टूर्नामेंट्स के दौरान होटल के कमरों में निशाना बनाया गया और इन्हें एक फिक्स मैच के लिए 50 हजार डॉलर या इससे भी ज्यादा की रकम ऑफर की गई.