पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को भारत की 2003 और 2011 की विश्व कप टीम में काफी समानताएं दिखती है और उनका कहना है कि आठ साल पहले जैसी टीम की तरह वर्तमान टीम भी निडर है और उसकी बल्लेबाजी लाइनअप बेहद मजबूत है जिससे वह खिताब की प्रबल दावेदार बन गयी है.
गांगुली का मानना है कि इस तरह की टीम के रहते हुए भारत 19 फरवरी से ढाका में शुरू होने वाले क्रिकेट महाकुंभ में अपना प्रभाव छोड़ सकता है. गांगुली ने कहा, ‘2003 की तरह इस बार भी हम सकारात्मक सोच के साथ उतर रहे हैं और हमारे पास ऐसी व्यवस्थित टीम है जो पिछले कुछ समय से अच्छा प्रदर्शन कर रही है. टीम बहुत मजबूत है और उसमें आगे बढ़ने की कूव्वत है.’
उन्होंने कहा, ‘हमारी बल्लेबाजी लाइनअप बहुत मजबूत है और टीम में कई मैच विजेता हैं. यह बहुत मजबूत टीम है.’ गांगुली की कप्तानी में भारत 2003 में विश्व कप फाइनल में पहुंचा था. उन्होंने इस बार के लिये हालांकि किसी तरह की भविष्यवाणी करने से इनकार कर दिया. {mospagebreak}
उन्होंने कहा, ‘व्यक्तिगत तौर पर मैं किसी टीम को खिताब का प्रबल दावेदार मानने में विश्वास नहीं करता. यह ऐसा टूर्नामेंट है जिसमें क्वार्टर फाइनल से लेकर अंतिम तीन मैच पूरा अंतर पैदा करेंगे. ऑस्ट्रेलिया, भारत और दक्षिण अफ्रीका काफी मजबूत दिख रहे हैं.’
उन्होंने 2003 की यादों को ताजा करते हुए कहा, ‘हमारी टीम मजबूत थी और हमने पूरे टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन किया था. हमने ऑस्ट्रेलिया (फाइनल में) को छोड़कर प्रत्येक टीम को हराया. हमने निडरता के साथ क्रिकेट खेली. सभी खिलाड़ी फार्म में थे तथा टीम ने जिस तरह से एकजुट होकर खेल दिखाया वह बेजोड़ था.’ गांगुली ने कहा कि उन्हें फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले गेंदबाजी करने के फैसले का खेद नहीं है. ऑस्ट्रेलिया ने 359 रन बनाये और भारत 125 रन से मैच हार गया था.
उन्होंने कहा, ‘मेरा अब भी मानना है कि वह गलत फैसला नहीं था. मैच की पहली रात को बारिश हुई थी और पिच में नमी थी. आपको याद होगा कि मैच देरी से शुरू हुआ था. गेंद सुबह थोड़ा सीम ले रही थी लेकिन उन्होंने हमें खेल के हर विभाग में मात दी.’ गांगुली ने कहा, ‘तब 260 या 270 का लक्ष्य हासिल किया जा सकता था लेकिन विश्व कप फाइनल में 350 से अधिक के स्कोर का पीछा करना मुश्किल होता है. यह निराशाजनक है कि हम 2003 का विश्व कप नहीं जीत पाये.’ {mospagebreak}
गांगुली ने 2007 में टीम के पहले दौर में बाहर होने के बारे में कहा, ‘वहां एकदम से कहानी बदल गयी. हमारी शुरुआत अच्छी नहीं रही और बांग्लादेश से हारने से टीम का मनोबल गिर गया. यह टर्निंग प्वाइंट बन गया. खिलाड़ी अंदर बाहर हो रहे थे और टीम व्यवस्थित नहीं थी. खिलाड़ियों की अनिश्चितता की भावना बनी हुई थी.’
गांगुली ने इसके साथ ही कहा कि 2007 विश्व कप में सुपर आठ के प्रारूप ने भारत की मुश्किलें बढ़ा दी थी. उन्होंने कहा, ‘प्रारूप ऐसा था कि केवल दो टीमें ही ग्रुप से आगे बढ़ सकती थी. बांग्लादेश से हारने के बाद हम बैकफुट पर चले गये और वहां से वापसी करना आसान नहीं था.’
उन्होंने कहा, ‘इस बार प्रारूप बहुत अच्छा है और इससे प्रत्येक टीम को आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा. यहां तक कि एक दिन यदि आपका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहता तब भी आपके पास वापसी का मौका रहेगा.’ {mospagebreak}गांगुली ने कहा कि महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में टीम लगातार सुधार कर रही है. ‘महेंद्र सिंह धोनी ने कप्तान के रूप में काफी अच्छा काम किया है. वह अपने साथियों का पक्ष लेता है, उनका समर्थन करता है जिससे खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिये प्रेरित होते है. इसके अलावा उसके पास प्रतिभाशाली खिलाड़ी भी हैं.’
उन्होंने कहा, ‘वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर, गौतम गंभीर, युवराज सिंह और धोनी की मौजूदगी में बल्लेबाजी वास्तव में मजबूत दिखती है. आशा है कि सब कुछ अच्छा होगा. भारत के लिये सभी खिलाड़ियों का पूरे टूर्नामेंट के दौरान फिट बने रहना महत्वपूर्ण है.’
गांगुली से जब पूछा गया कि तेंदुलकर इस विश्व कप के प्रति कैसा रवैया रहेगा, उन्होंने कहा, ‘यदि यह उनका आखिरी विश्व कप है तो मुझे आशा है कि वह कोई कसर नहीं छोड़ेगा. उन्होंने पिछले कई वर्षों से देश के लिये काफी अच्छी पारियां खेली हैं और आशा है कि वह इस विश्वकप को यादगार बनाएंगे.’ गांगुली ने कहा कि चोटिल प्रवीण कुमार की जगह एस श्रीसंत को विश्व कप टीम में जगह मिलने से भारत का गेंदबाजी आक्रमण मजबूत होगा.