scorecardresearch
 

कॉमनवेल्थ गेम्सः आई कार्ड घोटाले का खुलासा

लगता है कि कॉमनवेल्थ खेलों की तैयारियां घोटालों का खेल बन गई हैं. स्पॉन्सरशिप हो या सामानों की खरीद-बिक्री, सबमें गड़बड़ी साफ दिखी है. आज तक कर रहा है खेलों के पहचान-पत्र को बनवाने में हो रहे घोटाले का बड़ा खुलासा. आज तक के पास मौजूद दस्तावेज बताते हैं कि हैं आम आदमी की कमाई पानी की तरह बह रही है.

Advertisement
X

Advertisement

लगता है कि कॉमनवेल्थ खेलों की तैयारियां घोटालों का खेल बन गई हैं. स्पॉन्सरशिप हो या सामानों की खरीद-बिक्री, सबमें गड़बड़ी साफ दिखी है. आज तक कर रहा है खेलों के पहचान-पत्र को बनवाने में हो रहे घोटाले का बड़ा खुलासा. आज तक के पास मौजूद दस्तावेज बताते हैं कि हैं आम आदमी की कमाई पानी की तरह बह रही है.

क्रिकेट वर्ल्ड कप कार्ड की लागत थी 800 रुपए. ओलंपिक गेम्स कार्ड को बनाने में 1000 रुपए का खर्च आया था. सुरक्षा के लिहाज से सबसे अहम संसद के कार्ड की कीमत होती है 2500 रुपए लेकिन कॉमनवेल्थ खेलों के लिए जो कार्ड बन रहे हैं उनकी लागत होगी करीब 4000 रुपए.

कॉमनवेल्थ खेलों के लिए जो आई-कार्ड बन रहा है, उसका खर्च 4000 रुपए ही आना है. आयोजन कमेटी ने गोल्ड मेडल सिस्टम नाम की कंपनी को करीब 20 करोड़ रुपए में 50 हजार कार्ड बनाने का जिम्मा सौंपा है.

Advertisement

अब जरा इस करार के अंदर की कहानी भी सुन लीजिए. आज तक के पास मौजूद हैं खेल आयोजन कमेटी की रिव्यू मीटिंग की मुख्य बातें.  दस्तावेजों से साफ है कि शुरू में इस काम के लिए सिर्फ तीन कंपनियां ही सामने आईं थी. आखिरी समय तक बाकी की दो कंपनियों ने आवेदन किया ही नहीं और जिस एक कंपनी ने अपना दावा पेश किया था, उसने भी आयोजन कमेटी को सिर्फ सात दिनों की ही मोहलत दी थी फैसला लेने की. मतलब साफ है कि आई-कार्ड जैसे अहम मुद्दे पर भी आखिरी वक्त में फैसला लिया गया था.

अब आई-कार्ड के इस खेल में सबसे बड़ा सवाल ये है कि बाकी की दो कंपनियों ने आखिर अपने हाथ पीछे क्यों हटा लिए. जब आज तक ने ये सवाल उन दोनों कंपनियों से किया, तो उनकी तरफ से कोई जवाब ही नहीं मिला.

Advertisement
Advertisement