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जहीर अब्बास की नजर में अफरीदी गैर-जिम्मेदार

मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान यह विश्व कप जीतेगा. यह किसी भी ढंग से एक मजबूत टीम है ही नहीं. पाकिस्तान के पास सिर्फ दो अच्छे बल्लेबाज हैं-यूनिस खान और मिस्बाह उल हक. अगर किसी मैच में ये दोनों नाकाम हो गए तो ऐसा कोई नहीं है, जो टीम को संकट से बाहर निकाल सके.

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''पाकिस्तानी कप्तान हर गेंद पर छक्का मारना चाहते हैं. उन्हें इस बात से सबक लेना चाहिए कि धोनी ने अपना खेल कैसे बदला.''

मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान यह विश्व कप जीतेगा. यह किसी भी ढंग से एक मजबूत टीम है ही नहीं. पाकिस्तान के पास सिर्फ दो अच्छे बल्लेबाज हैं-यूनिस खान और मिस्बाह उल हक. अगर किसी मैच में ये दोनों नाकाम हो गए तो ऐसा कोई नहीं है, जो टीम को संकट से बाहर निकाल सके. यूनिस खान एक अनुभवी खिलाड़ी हैं, जो यह जानते हैं कि हालात की मांग पर कैसे खेला जाए. हालांकि मिस्बाह ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलना काफी देर से शुरू किया था- 27 की उम्र में- लेकिन वे हर खेल के साथ निखर रहे हैं. जिस बात ने मुझे सबसे ज्‍यादा प्रभावित किया है वह क्रीज पर ज्‍यादा से ज्‍यादा समय तक डटे रहने की उनकी कोशिश है.

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हमारी गेंदबाजी जाहिर तौर पर अपनी धार खो चुकी है. टीम शोएब अख्तर पर निर्भर नहीं हो सकती है, क्योंकि वे शतप्रतिशत फिट नहीं हैं. वे घायल हैंऔर किसी भी क्षण धड़ाम हो सकते हैं. अख्तर का स्थान फौरन ले सकने के लिए भी कोई नहीं है. उन्हें विकेट लेते देखना बड़ा सुखद है, लेकिन टीम को जाहिर तौर पर मोहम्मद आसिफ और मोहम्मद आमिर की सेवाओं की कमी खल रही होगी, जिन्हें स्पॉट फिक्सिंग घोटाले में अपनी भागीदारी के कारण इस टूर्नामेंट से बाहर बैठना पड़ रहा है. उमर गुल को अपने खेल में निरंतरता दिखानी होगी. और अब्दुर रज्‍जाक सिर्फ तेज विकेटों पर प्रभावी हो पाते हैं. मैं रज्‍जाक को कप्तान अफरीदी से पहले बल्लेबाजी करते हुए देखना भी चाहूंगा. छठे नंबर पर आकर रज्‍जाक ने कई मैच जिताए हैं.{mospagebreak}

अफरीदी के तहत टीम जीत रही है लेकिन एक संकट ही यह पर्दाफाश कर देगा कि वे एक कप्तान के तौर पर कितने असरदार हैं. उन्हें सिर्फ अंधाधुंध धुनाई वालें ओवरों में बल्लेबाजी करनी चाहिए क्योकि वे जिम्मेदारी नहीं स्वीकारते हैं. वे हर गेंद पर छक्का मारना चाहते हैं और परिस्थिति के अनुसार नहीं खेलते. अब उनकी उम्र ऐसी नहीं है कि वे अपनी शैली बदल सकें, इसलिए उन्हें आखिरी छह या सात ओवरों में ही बल्लेबाजी करने आना चाहिए. उन्हें भारतीय कप्तान एम.एस. धोनी से सबक लेना चाहिए. धोनी पहले करारे प्रहार करने वालों में से थे, लेकिन जबसे वे कप्तान बने हैं, तब से अपना विकेट नहीं फेंक देते. पाकिस्तानी टीम इस टूर्नामेंट की सबसे खराब फील्डिंग करने वाली टीमों में से भी एक है. उन्हें इस क्षेत्र में तेजी से सुधार करना होगा. तभी जाकर टीम, कम से कम, सेमीफाइनल में पहुंचने की उम्मीद कर सकेगी.
''जहीर अब्बास पाकिस्तान के पूर्व बल्लेबाज हैं.''

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