भारत ने बीजिंग ओलंपिक खेलों में ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए पदक तालिका में गत ओलंपिक के मुकाबले 16 अंकों की छलांग लगाते हुए 50वां स्थान प्राप्त किया.
भारत साल 2004 में हुए एथेंस ओलंपिक की पदकतालिका में 66वें स्थान पर था. मगर 2008 ओलंपिक में उसने एक स्वर्ण और दो कांस्य पदक जीतकर बीजिंग ओलंपिक में पदक जीतने वाले शीर्ष 50 देशों में जगह बना ली.
एथेंस में भारत के लिए एकमात्र पदक निशानेबाजी स्पर्धा में राज्यवर्द्धन सिंह राठौर ने दिलाया था जबकि बीजिंग ओलंपिक में जहां अभिनव बिंद्रा निशानेबाजी का स्वर्ण जीतने में कामयाब रहे.
वहीं कुश्ती में सुशील कुमार और मुक्केबाजी में विजेंद्र कुमार ने कांस्य पदक जीते.
इन एथलीटों के शानदार प्रदर्शन की बदौलत भारत ने अपने 108 साल के ओलंपिक इतिहास में पहली बार तीन पदक हासिल किए.
बीजिंग में आयोजित हुए ओलंपिक में भारत ने 57 सदस्यीय दल ने हिस्सा लिया. यह दिलचस्प था कि ओलिंपिक खेलों के लिए बीजिंग गए 57 सदस्यीय दल के साथ 42 सदस्यीय सहायक अधिकारी भी गए थे.
भारतीय ओलिंपिक के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था जब हॉकी को अपने राष्ट्रीय खेल का दर्जा देने वाले देश की ही टीम ओलिंपिक में नहीं खेल पाई. भारतीय हॉकी टीम पहली बार ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाई थी.
साल 2003 की विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक विजेता लम्बी कूद की खिलाड़ी अंजू बॉबी जॉर्ज भारत की अगुवाई की. टीम में एथेंस ओलिंपिक के रजत पदक विजेता राज्यवर्धन राठौर के साथ-साथ गगन नारंग और अभिनव बिंद्रा समेत नौ निशानेबाज भी शामिल थे.
भारतीय दल में कुश्ती के तीन, टेबल टेनिस, जूडो तथा बैडमिंटन के दो-दो जबकि भारोत्तोलन और नौकायन का एक-एक खिलाड़ी शामिल थे.