बंबई उच्च न्यायालय ने राजस्थान रायल्स के अनुबंध को रद्द करने के बीसीसीआई के फैसले पर स्वतंत्र पंचाट की लगायी गयी रोक को आज सही ठहराकर इंडियन प्रीमियर लीग की इस फ्रेंचाइजी को बड़ी राहत दी.
न्यायमूर्ति एस जे वजैफदार ने बीसीसीआई की उस अपील को नामंजूर कर दिया जिसमें उसने पंचाट द्वारा लगायी गयी रोक को चुनौती दी थी. उन्होंने इसके साथ ही राजस्थान रायल्स को आठ और नौ जनवरी को होने वाले आईपीएल के चौथे सत्र के टूर्नामेंट की नीलामी में भाग लेने की भी अनुमति दे दी.
अदालत ने कहा, ‘तीनों मालिकों .. एमर्जिंग मीडिया (आईपीएल) लिमिटेड, ट्रेस्को इंटरनेशनल और ब्लूवाटर एस्टेट्स लिमिटेड, की प्रमाणिकता जानना जरूरी है. बीसीसीआई फ्रेंचाइजी करार के तहत स्वामित्व संबंधी सभी खुलासे जानने का हकदार है.’ अदालत ने कहा कि हलफनामे में तीनों कंपनी के मालिकों का यह बयान भी शामिल किया जाना चाहिए कि उनका अपनी कंपनियों पर पूर्ण नियंत्रण है.
अदालत ने इसके साथ ही राजस्थान रायल्स को अनुबंध के के लिये 28 लाख 30 हजार डालर गारंटी के तौर पर और एक करोड़ 80 लाख डालर खिलाड़ियों की बैंक गारंटी के तौर पर बीसीसीआई के पास जमा करने के लिये भी कहा.
यदि बीसीसीआई इस रोक को उच्चतम न्यायालय में चुनौती नहीं देता है तो पंचाट का फैसला लागू रहेगा.
बीसीसीआई ने दस अक्तूबर को 2008 आईपीएल के विजेता राजस्थान रायल्स का करार रद्द कर दिया था क्योंकि उसने बोर्ड को सूचित किये बिना अपना कारपोरेट ढांचा बदलकर कथित तौर पर अनुबंध का उल्लंघन किया था.
राजस्थान रायल्स ने 26 अक्तूबर को बीसीसीआई के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. हालांकि यह मामला लंबित रखा गया क्योंकि दोनों पक्ष पंचाट के जरिये मामला सुलझाने पर सहमत हो गये थे.
पंचाट के तौर पर काम कर रहे न्यायमूर्ति बी एन श्रीकृष्णा ने 30 नवंबर को बीसीसीआई के फैसले पर रोक लगाकर राजस्थान रायल्स को बड़ी राहत दी थी. बीसीसीआई ने इसके बाद उच्च न्यायालय में इसे चुनौती दी थी.