भारतीय टीम चार साल पहले अपेक्षाओं के बोझ के कारण विश्व कप के पहले चरण में बाहर हो गयी थी लेकिन वर्तमान कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को पूरा विश्वास है कि उनकी टीम आगामी क्रिकेट महाकुंभ में दबाव से अच्छी तरह से पार पाने में सफल रहेगी.
धोनी ने यहां प्रचार कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘हम दबाव को अतिरिक्त जिम्मेदारी के तौर पर लेते हैं. हमारे पास टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन करने की क्षमता है और हमारी टीम यहां ‘अंडरडाग’ नहीं होगी.’ रांची में जन्मे इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने हालांकि यह कहने से इन्कार कर दिया कि क्या भारत 28 साल बाद विश्व कप जीतने में सफल रहेगा.
उन्होंने कहा, ‘क्रिकेट में क्या होगा मैं कभी इसकी भविष्यवाणी नहीं करता. हम एक दूसरे पर और प्रक्रिया पर विश्वास करते हैं. हम सकारात्मक सोच के साथ प्रत्येक मैच में उतरेंगे.’ धोनी ने साफ किया कि टीम बांग्लादेश के खिलाफ ढाका में भारत के पहले मैच को लेकर किसी तरह चिंतित नहीं है क्योंकि 2007 विश्व कप में राहुल द्रविड़ की अगुवाई वाली टीम को बांग्लादेश के हाथों ही हार का सामना करना पड़ा था.
उन्होंने 19 फरवरी को होने वाले पहले मैच के संदर्भ में कहा, ‘जो बीत गया वह बीत गया. मैं आपसे अधिक आशावादी हूं.’{mospagebreak} धोनी इंग्लैंड के बल्लेबाज केविन पीटरसन की विश्व कप कार्यक्रम की आलोचना से सहमत नहीं थे . उनका मानना है कि दो मैचों के बीच छह दिन के अंतर से खिलाड़ियों को अपनी चोटों से उबरने और विश्राम करने का मौका मिलेगा.
उन्होंने कहा, ‘हमें इन दिनों का उपयोग विश्राम करके और हल्की फुल्की चोटों से उबरने के लिये करना चाहिए.’ भारतीय टीम अपने पहले मैच के आठ दिन बाद अपना दूसरा मैच इंग्लैंड के खिलाफ बेंगलूर में खेलेगी जबकि इसके बाद छह से 12 मार्च के बीच विभिन्न स्थानों पर आयरलैंड, हालैंड और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीन मैच खेलेगी.
धोनी ने भी 1983 की विश्व कप विजेता टीम के सदस्य मोहिंदर अमरनाथ की इस बात पर सहमति जतायी कि भारतीय टीम में बायें हाथ का स्पिनर होना चाहिए था.
उन्होंने कहा, ‘प्रत्येक को टीम में शामिल करना मुश्किल होता है. कोई यह भी कह सकता है कि दूसरा विकेटकीपर नहीं है. मेरा मानना है कि जो 15 खिलाड़ी चुने गये हैं वे विश्व कप में अपनी छाप छोड़ेंगे.’