गुरमीत सिंह, 27 वर्ष
20 किमी रेस वॉकिंग
उत्तराखंड
उनकी कहानी वे एक खारिज कर दिए गए छात्र थे. उनके कोच एक रिटायर्ड एथलीट थे जो स्कूल के बच्चों को प्रशिक्षण दिया करते थे. दोनों ने मिलकर ओलंपिक में रेस वॉकिंग में भारत की मजबूत दावेदारी ठोंक दी है. कोचों ने उन्हें अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वाला बताकर खारिज कर दिया और वे 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए क्वालिफाइ नहीं कर पाए.
इसके बाद गुरमीत ने रामकृष्ण गांधी से संपर्क साधा. गांधी खुद एक वॉकर रह चुके थे जो 1980 के दशक में राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचे जरूर थे लेकिन असफल रहे. गांधी ने गुरमीत को तैयार करने की ठानी और उन्हें कड़ा प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया. उन्होंने गुरमीत को 2010 में उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1:27:00 से बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित किया. उनके सामने लक्ष्य था ओलंपिक का क्वालिफाइंग मार्क 1:22:30. पांच महीने की कड़ी मेहनत के बाद 2011 में हुए इंडियन ग्रां प्री-1 में गुरमीत का प्रदर्शन था 1:20:35.
खास है ओलंपिक में इस कैटगरी में पिछले 28 साल में क्वालिफाइ करने वाले वे पहले भारतीय हैं. गुरमीत के पास पर्याप्त सुविधाओं की कमी थी. लेकिन मित्तल चैपियंस ट्रस्ट से सब कुछ बदल गया.
चुनौतियां उन्होंने लंदन के लिए डबलिन इंटरनेशनल ग्रां प्री में 2011 में क्वालिफाइ किया था. यहां उनका प्रदर्शन था 1:22:07 और वे छठे नंबर पर रहे थे. वे साल 2012 में जापान में हुई एशियन 20 किमी रेस वॉकिंग चैंपियनशिप में महज नौ सेकंड से गोल्ड मेडल जीतने से चूक गए.
मिशन ओलंपिक गुरमीत मैराथन रनर्स के साथ हर हफ्ते 120-150 किमी कवर करते हैं, रोजाना कम-से-कम साढ़े पांच घंटे वॉकिंग करते हैं.