हरभजन सिंह ने विश्वकप में उनके प्रदर्शन को लेकर आलोचना करने वालों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनकी तारीफ की जानी चाहिये थी, निंदा नहीं."/> हरभजन सिंह ने विश्वकप में उनके प्रदर्शन को लेकर आलोचना करने वालों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनकी तारीफ की जानी चाहिये थी, निंदा नहीं."/> हरभजन सिंह ने विश्वकप में उनके प्रदर्शन को लेकर आलोचना करने वालों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनकी तारीफ की जानी चाहिये थी, निंदा नहीं."/>
ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने विश्वकप में उनके प्रदर्शन को लेकर आलोचना करने वालों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनकी तारीफ की जानी चाहिये थी, निंदा नहीं. 9 मैचों में 9 विकेट लेने वाले हरभजन की इस बात को लेकर आलोचना की गई कि उन्होंने आक्रमण करने की बजाय किफायती गेंदबाजी पर ध्यान केंद्रित रखा.
इस अनुभवी स्पिनर ने कहा, ‘मैने पारी में अलग-अलग समय गेंदबाजी की. स्लॉग ओवरों में, पावरप्ले में. मेरा इकानामी रेट 4.48 रहा जिसकी तारीफ की जानी चाहिये, न कि आलोचना.’ उन्होंने कहा, ‘मेरी बुराई की गई. हर कोई यह भूल गया कि वनडे क्रिकेट का मतलब दबाव बनाना है. विरोधी बल्लेबाजों को दबाव में लाने के लिये किफायती गेंदबाजी करनी होती है.’
हरभजन ने कहा कि भारतीय गेंदबाजों की अक्सर आलोचना की जाती है लेकिन किसी को यह याद नहीं कि क्वार्टर फाइनल गेंदबाजी के दम पर ही जीता गया. उन्होंने कहा, ‘सेमीफाइनल में भी हम गेंदबाजों की बदौलत जीते. अधिकांश शीर्ष टीमें 260 का स्कोर बनाकर जीत दर्ज नहीं कर सकती.’ नॉकआउट चरण में टीम की फील्डिंग के बारे में हरभजन ने कहा, ‘कोई उन दस रनों की बात नहीं करता जो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आखिरी चार ओवरों में हमने बचाये. हमें पता है कि उनके क्या मायने थे.’
हरभजन ने कहा, ‘मैं यही कहूंगा कि आलोचना करना बंद करे. हमारा साथ दें और हमारी हौसलाअफजाई करें. यदि किसी युवा को लगातार कहा जाये कि वह अच्छा नहीं है तो उसे भी खुद पर शक होने लगेगा. वहीं हौसलाअफजाई से वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकेगा.’ उन्होंने कहा कि टीम पर अपेक्षाओं का इतना दबाव था कि ये तमाम आलोचनायें गैर जरूरी थी.