बैडमिंटन स्टार सायना नेहवाल को ‘बेजोड़’ बताते हुए उनके कोच पुलेला गोपीचंद ने मंगलवार को कहा कि अगर सायना ने ओलंपिक पदक नहीं जीता होता तो उनकी जिंदगी अधूरी रहती.
सायना और गोपीचंद मंगलवार को लंदन से लौटे हैं. गोपीचंद ने साइना के साथ प्रेस कांफ्रेंस में कहा, 'इस पदक के बिना, मैं अधूरा महसूस करता. मैं इससे ज्यादा क्या कह सकता हूं.' उन्होंने कहा, 'मैंने एक दिन सपना देखा था कि हम ओलंपिक पदक लाएंगे. मेरे सारे लक्ष्य पूरे हो गये हैं. लेकिन यह सचमुच चुनौतीपूर्ण था. पिछले साल कई उतार चढ़ाव हुए थे. सायना 11 विभिन्न खिलाड़ियों से हारी थी.'
सफलता से पहले वे किस दौर से गुजरे हैं गोपीचंद ने इसका खुलासा करते हुए कहा, 'जब वह डेनमार्क के टूर्नामेंट में हार गयी थी तो वह मेरे पास रोती हुई आयी थी और उसने कहा, 'भैया यह नहीं हो रहा है.' वह रो रही थी और मैंने भी रोना शुरू कर दिया. लेकिन मैंने उससे कहा, 'हम ओलंपिक पदक जीतेंगे.' गोपीचंद ने सपने को सच करने के लिए की गयी कठिन ट्रेनिंग के बारे में भी बात की.
गोपीचंद ने कहा, 'रात में साढ़े नौ बजे तक लाइट बुझा दी जाती क्योंकि हमें ट्रेनिंग के लिए तड़के साढ़े चार बजे पहुंचना होता था. मैं एक भी सत्र चूकना नहीं चाहता था. सारी कड़ी मेहनत का फल मिल गया.' यह पूछने पर कि क्या वह सायना को अब तक की देश की सर्वश्रेष्ठ बैडमिंटन खिलाड़ी मानते हैं. इस पर गोपीचंद ने कहा, 'वह बेजोड़ है. उसने हम सभी से बेहतर प्रदर्शन किया है. मैंने उससे कहा था कि अब उसे 2020 ओलंपिक तक ध्यान लगाना चाहिए. उसके पास दो और ओलंपिक खेल, दो एशियाई खेल और दो कॉमनवेल्थ खेल हैं.'