भारतीय क्रिकेट टीम जब गुरुवार को इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट मैच के लिए सरदार पटेल मोटेरा स्टेडियम में उतरेगी तो उसके दिमाग में 2011 में मिली 0-4 की शर्मनाक हार का हिसाब बराबर करने की बात हावी होगी.
बीते साल जब भारतीय टीम ने इंग्लैंड का दौरा किया था, तब तमाम तैयारियों के बावजूद उसे बेहद खराब स्थिति से गुजरना पड़ा था. भारत को लॉर्ड्स में खेले गए पहले टेस्ट मैच में 196 रनों से हार मिली थी.
इसके बाद तो मानो किस्मत भारत से रूठ गई और उसे नॉटिंघम में 319 रनों से हार मिली. बर्मिघम टेस्ट तक जाते-जाते भारतीय टीम का मनोबल इतना गिर गया था कि उसे पारी और 242 रनों से हार मिली.
इसके बाद रही-सही कसर द ओवल में पूरी हुई, जब इंग्लिश टीम ने भारत को पारी और आठ रनों से हराकर उसका बुरी तरह सफाया किया. जाहिर है, भारत कभी भी इस श्रृंखला को याद नहीं करना चाहेगा लेकिन इस हार का हिसाब बराबर करने की बात उसे भूलनी भी नहीं चाहिए.
अब भारत के सामने इंग्लिश टीम के अपने घर में हराने का अच्छा मौका है. इस लिहाज से सबसे अहम बात यह होगी कि मोटेरा की पिच किस तरह का बर्ताव करती है क्योंकि अगर यह पिच स्पिन लेने वाली साबित हुई तो निश्चित तौर पर भारत का पलड़ा भारी रहेगा क्योंकि इंग्लिश बल्लेबाज हमेशा से स्पिनरों के खिलाफ कमजोर माने जाते हैं.
भारत के पास रविचंद्रन अश्विन और हरभजन सिंह जैसे दो माहिर स्पिनर हैं लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि इंग्लिश टीम के पास भी मोंटी पनेसर, समित पटेल और ग्रीम स्वान जैसे स्पिनर हैं, जो मौके का बराबर फायदा उठा सकते हैं लेकिन यहां एक बात भारत के पक्ष में रहेगी और वह है भारतीय बल्लेबाजों का घरेलू पिचों पर स्पिनरों के खिलाफ अच्छा रिकॉर्ड.
इस श्रृंखला से पहले इंग्लिश टीम ने तीन अभ्यास मैच खेले हैं. उसे जीत एक में भी नहीं मिली लेकिन उसके कुछ खिलाड़ियों ने गेंद और बल्ले के साथ शानदार काम किया. इंग्लिश टीम के पांच बल्लेबाजों ने शतक लगाए और समित पटेल, स्वान तथा जेम्स एंडरसन जैसे गेंदबाजों ने हालात के हिसाब से खुद को ढालते हुए कई विकेट चटकाए.
इस दौरान भारत के सीनियर खिलाड़ियों ने भी रणजी ट्रॉफी में खेलते हुए अपने हाथ आजमाए और कुछ अच्छी पारियां खेलीं. खराब दौर से गुजर रहे सचिन तेंदुलकर ने रेलवे के खिलाफ मुंबई में शतक लगाया जबकि वीरेंद्र सहवाग ने उत्तर प्रदेश के खिलाफ गाजियाबाद में सैकड़ा जड़ा. गौतम गंभीर बड़ी पारियां नहीं खेल सके लेकिन वह फिर भी अच्छी लय में दिखे.
गेंदबाजी में इशांत शर्मा ने उत्तर प्रदेश के खिलाफ खुलकर हाथ दिखाए थे लेकिन फिलहाल वह बुखार की चपेट में हैं. ऐसे में रणजी सत्र के पहले मुकाबले में सात विकेट झटकने वाले अशोक डिंडा को इस मैच के लिए मौका मिल सकता है. वैसे टीम से खबर मिली है कि इशांत समय रहते फिट हो सकते हैं.
2011 की श्रृंखला को छोड़ दिया जाए तो भारत ने इंग्लिश टीम को 2008/09 में दो मैचों की श्रृंखला में 1-0 से और 2007 में तीन मैचों की श्रृंखला में भी 1-0 से पराजित किया था. 2011 में विश्व की सर्वोच्च वरीयता प्राप्त टेस्ट टीम के तौर पर भारत ने खराब प्रदर्शन किया था और उसके बाद यह सेहरा इंग्लिश टीम के सिर बंधा था.
इंग्लिश टीम को अपने घर में हराना भारत के लिए मुश्किल काम नहीं लेकिन किसी तरह की भूल-चूक उसे भारी भी पड़ सकती है क्योंकि एंड्रयू स्ट्रॉस के संन्यास के बाद भी मेहमान टीम के पास एलिस्टर कुक, जोनाथन ट्रॉट, केविन पीटरसन, इयान बेल और मैट प्रायर जैसे बेहतरीन बल्लेबाज हैं. गेंदबाजी में ग्राहम अनियंस, टिम ब्रेस्नन और एंडरसन जैसे तेज गेंदबाज हैं जबकि पनेसर, पटेल और स्वान के रूप में अच्छे स्पिनर हैं.
इस श्रृंखला का रुख क्या होगा यह कहना मुश्किल है लेकिन दोनों कप्तान अपेक्षित शुरुआत चाहेंगे. महेंद्र सिंह धोनी जहां अपनी कप्तानी पर उठ रही ऊंगुली को नीचे करने के लिए जीत के साथ शुरुआत चाहेंगे वहीं कुक के सामने स्ट्रॉस की विदाई के बाद एक कप्तान के तौर पर खुद को साबित करने का अच्छा मौका है.