लीग मुकाबलों में लगातार पांच हार झेल चुकी भारतीय टीम लंदन ओलम्पिक की हॉकी प्रतियोगिता के क्लासीफिकेशन मैच (11 और 12वें स्थान के लिए) में शनिवार को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सांत्वना जीत के इरादे से मैदान पर उतरेगी. वर्ष 2006 विश्व कप में भी भारत के सामने यही स्थिति थी और टीम भी दक्षिण अफ्रीका ही थी.
छह वर्ष पहले विश्व कप में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 1-0 से पराजित कर 11वां स्थान हासिल किया था. भारतीय टीम को लंदन ओलम्पिक में अब भी एक जीत का इंतजार है. आस्ट्रेलिया से 0-6 से मुकाबला गंवाना के बाद दक्षिण अफ्रीका ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए सेमीफाइनल खेल चुके ब्रिटेन को 2-2 के बराबरी पर रोकने में सफलता दर्ज की थी.
इसके बाद दक्षिण अफ्रीका को बाकी के बचे चारों मुकाबलों में हार झेलनी पड़ी थी. भारत की तरह दक्षिण अफ्रीका भी अपने ग्रुप में सबसे निचले स्थान पर है.
पिछले दिसम्बर में जोहांसबर्ग में चैम्पियंस चैलेंज टूर्नामेंट में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को लीग मुकाबलो में 7-4 से पराजित किया था जबकि सेमीफाइनल में मेहमान ने मेजबान को 4-2 से पटखनी दी थी.
बावजूद इसके भारतीय टीम के लिए दक्षिण अफ्रीका को हराना असान नहीं होगा. आठ बार की ओलम्पिक चैम्पियन भारतीय टीम लंदन में बिल्कुल भी लय में नहीं दिखी और एक के बाद एक मुकाबला गंवाती रही.
हमेशा से भारतीय टीम की रक्षापंक्ति कमजोर रही है और ओलम्पिक में भी यह साफ देखने को मिला. टीम के कोच माइकल नोब्स की माने तो टीम के वरिष्ठ खिलाड़ी योजना के अनुरूप नहीं खेल रहे हैं. नोब्स का कहना है कि खिलाड़ियों में आत्मविश्वास और मनोबल की कमी है.
ऐसे में भारतीय खिलाड़ी पिछले प्रदर्शन को भुलाकर इस मुकाबले को जीतने में के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाते हुए नजर आएंगे.