भारतीय बैडमिंटन स्टार खिलाड़ी सायना नेहवाल लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर अंदर से खुशी से झूम रही हैं और उनका कहना है कि विजय मंच पर खड़े होकर ओलंपिक पदक प्राप्त करना अब भी उन्हें सपने की तरह लग रहा है.
मीडिया में ‘इंडियन बैडमिंटन क्वीन’ के नाम से मशूहर सायना ओलंपिक कांस्य जीतकर घर लौटी और उनका भव्य स्वागत किया गया.
सायना के साथ उनके कोच पुलेला गोपीचंद और पिता हरवीर सिंह भी मौजूद थे, उन्होंने लंदन से आने के बाद कहा, ‘यह अविश्वसनीय है, मैं इसे बयां नहीं कर पा रही हूं. मैं खुश हूं कि मैंने वही किया जिसका मैंने वादा किया था. स्वर्ण पदक जीतना सपना है लेकिन मैं खुश हूं कि कम से कम मैंने कांस्य पदक जीता और मैं बैडमिंटन में ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय बन गयी हूं.’
यह पूछने पर कि ऐतिहासिक ओलंपिक पदक गले में लटके होने से कैसा महसूस होता है तो उन्होंने कहा, ‘बाहर से मैं सामान्य हूं और गोपी सर भी सामान्य हैं लेकिन अंदर से हम खुशी से झूम रहे हैं.’
बाईस वर्षीय हैदराबादी खिलाड़ी ने कहा कि सफलता की कहानी तो अभी शुरू ही हुई है और भविष्य में इससे भी अधिक उपलब्धियां हासिल करेगी.
सायना ने कहा, ‘जब मैं विजय मंच पर खड़ी थी तो मैंने रोना शुरू कर दिया था. मैं इतने वर्षों की अपनी मेहनत के बारे में सोच रही थी. इससे मुझे प्रेरणा मिलती है. यह अभी शुरूआत है. मैं आगे कई पदक जीतूंगी.’
सायना अपनी सफलता में योगदान देने वाले लोगों का जिक्र करना नहीं भूलीं. उन्होंने कहा, ‘मैं सामान्य लड़की थी लेकिन कई लोगों की वजह से मैं आज चैंपियन हूं. पहले तो मैं गोपी सर का शुक्रिया कहना चाहूंगी, फिर अपने पिता को, जिनके बिना मैं कुछ भी नहीं हूं. मैं अपने साथी खिलाड़ियों और जिन्होंने मुझे बधाई दी, सभी का शुक्रिया करना चाहूंगी.’
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) सर और सोनिया गांधी ने भी मुझे बधाई दी है. उन्होंने कहा, ‘हमें स्वर्ण की उम्मीद थी लेकिन खुश हैं कि तुमने कांस्य जीता’. मैंने उन्हें वादा किया था कि मैं स्वर्ण पदक के लिये खेलूंगी.’ सायना ने कहा कि उन्होंने कई बलिदान किये हैं लेकिन इस सारी मेहनत का फल इससे कहीं ज्यादा है.
यह पूछने पर कि अपने करियर के इस पड़ाव पहुंचने के लिये किये गये इन सभी बलिदानों की कमी वह कैसे पूरी करेंगी तो उन्होंने कहा, ‘पोडियम पर खड़े होकर ओलंपिक पदक जीतने से बढ़कर कुछ नहीं है. मेरे लिये यह जिंदगी है. ’ यह पूछने पर कि वह अपने भविष्य को किस तरह देखती हैं तो उन्होंने कहा, ‘यह निर्भर करता है कि आप किस तरह प्रगति करते हो. मैं लंदन में क्वार्टरफाइनल में एक 33 वर्षीय खिलाड़ी डेनमार्क के टाइन बाउन से भी खेली. जब तक मैं जीत रही हूं मैं खेलना जारी रखूंगी.’
हालांकि बैडमिंटन खेल से लंदन ओलंपिक से केवल एक ही पदक आया है लेकिन सायना ने कहा कि भारतीय खिलाड़ी तेजी से मजबूती की ओर बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘पिछली बार बीजिंग ओलंपिक में मैं क्वार्टरफाइनल तक पहुंची थी. इस बार मैंने कांस्य पदक प्राप्त किया है.’
सायना ने कहा, ‘कश्यप क्वार्टरफाइनल में खेला, ज्वाला और वी दीजू ने अच्छे मैच खेले. मुझे लगता है कि अगले ओलंपिक तक टीम मजबूत हो जायेगी.’