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कृष्णा पूनियाः अब मंजिल दूर नहीं

अभी कृष्णा पूनिया पूरे जोश में हैं. इसलिए कि इस डिस्कस थ्रोअर ने 14 अगस्त को अमेरिका के पोर्टलैंड में आयोजित प्रतियोगिता में स्वर्ण जीता.

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कृष्णा पूनिया
कृष्णा पूनिया

अभी कृष्णा पूनिया पूरे जोश में हैं. इसलिए कि इस डिस्कस थ्रोअर ने 14 अगस्त को अमेरिका के पोर्टलैंड में आयोजित प्रतियोगिता में स्वर्ण जीता. पर वे मायूस भी हैं क्योंकि जापान में जुलाई में आयोजित हुई एशियन चैंपियनशिप में वे चौथे स्थान पर रही थीं.

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राष्ट्रमंडल खेलों की 29 वर्षीया चैंपियन ने पोर्टलैंड के ओरेगन से, यहां वे लंदन में 2012 में होने वाले ओलंपिक खेलों की तैयारी कर रही हैं, इंडिया टुडे को भेजे ई-मेल में बताया, ''मेरा निजी सर्वश्रेष्ठ 61.5 मीटर है और इसे सुधारने की जरूरत है. मेरे कोच मुझे 62 मीटर से अधिक फेंकने में मदद कर रहे हैं. अगले साल चरम पर पहुंचने के साथ ही मुझे और दूर तक फेंकने की उम्मीद है. मुझे पता है, लंदन में कारनामा दिखाने का क्या मतलब है.''

1976 मॉन्ट्रियल ओलंपिक के चैंपियन मैक विलकिंस से कोचिंग ले रही पूनिया की मदद उनके प्रशिक्षक पति वीरेंदर मदद कर रहे हैं. नवंबर तक वे पोर्टलैंड में ही रहेंगी. रोजाना स्थानीय कॉलेजों के थ्रोअर्स के साथ होड़ में वे सात घंटे प्रशिक्षण लेती हैं.

सुबह 6-11 बजे और दोपहर 2-3 बजे के बीच अपनी पत्नी की दिनचर्या की निगरानी करते 32 वर्षीय वीरेंदर को पूरा विश्वास है कि वे लंदन में अच्छा प्रदर्शन करेंगी. विलकिंस की तैयार दिनचर्या से पूनिया को स्थानीय भारतीयों से मिलने का वक्त मिलता है. इसके उलट चीनी एथलीट बिल्कुल अलग-थलग रहकर प्रशिक्षण हासिल कर रहे हैं.

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वीरेंदर कहते हैं, ''हम हर हफ्ते अपने 10 वर्षीय बेटे लक्ष्य से बात करते हैं, जो जयपुर में मेरे माता-पिता के साथ रहता है. वह कृष्णा के स्वर्ण पदक के बारे में सुनकर गद्गगद् था.''

पोर्टलैंड में सीजन के सर्वश्रेष्ठ 58.88 मीटर पर स्वर्ण पदक जीतने वाली पूनिया को मालूम है कि यह लंदन के लिए काफी नहीं है. ली यानफेंग ने दक्षिण कोरिया के दाएगु में 28 अगस्त को 66.52 मीटर फेंककर चीन को पहला विश्व डिस्कस खिताब दिलाया.

पूनिया मानती हैं लंदन ओलंपिक उनकी सबसे कठिन परीक्षा होगी. ''मुझे मालूम है यदि मैं हार गई तो लोगों की नजरों से गिर जाऊंगी.''

घुटने की चोट के कारण अप्रैल, 2011 में उनका प्रशिक्षण प्रभावित हुआ. पर उन्हें विश्वास है कि वे क्वालिफाइंग मार्क (62 मीटर) हासिल कर लेंगी. वे कहती हैं, ''अब दर्द दूर होने के साथ ही मुझमें आत्मविश्वास भर गया है.''

पूनिया का कहना है कि डिस्कस थ्रोअर पहले प्रयास में बहुत कम सही फेंकते हैं. उनके मुताबिक, ''उम्मीद है, मुझे क्वालिफायर के दौरान ही कोई परेशानी पेश आ सकती है और उसके बाद पोडियम तक का सफर आसान होगा. मुझे अपनी टाइमिंग और स्पीड सुधारनी होगी.'' और वे जितना जल्दी सुधार लेंगी, लंदन में उनके बेहतर प्रदर्शन की संभावना उतनी ही बढ़ जाएगी.

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