पिछले दो बार के चैंपियन भारत ने बेहतरीन खेल और जज्बा दिखाते हुए यहां अपने से ऊंची रैंकिंग के कैमरून को रोमांच की पराकाष्ठा तक पहुंचे फाइनल में पेनल्टी शूट आउट में 5-4 से हराकर लगातार तीसरी बार नेहरू कप फुटबॉल टूर्नामेंट जीता.
दुनिया में 59वें रैंकिंग के कैमरून को तेज तर्रार और आक्रामक खेल की वजह से प्रबल दावेदार माना जा रहा था. उसने अपनी फीफा रैंकिंग के अनुरूप खेल दिखाया लेकिन 168वें नंबर की भारतीय टीम ने भी दिखा दिया कि वह अपनी सरजमीं पर शेर है.
इससे पहले भारत ने 2007 और 2009 में नेहरू कप खिताब जीता था. भारतीय खिलाड़ियों अफ्रीकी देश के मजबूत और गठीले खिलाड़ियों का डटकर सामना किया. मेजबान टीम ने फीफा रैंकिंग में खुद से काफी उपर कैमरून को कड़ी टक्कर दी. निर्धारित 90 मिनट और अतिरिक्त समय के बाद दोनों टीमें 2-2 से बराबर थी. मैच पेनल्टी शूट आउट में पहुंच गया जिससे इसका परिणाम भी 2009 चरण की तरह निकला जिसमें भारत ने सीरिया को 1-1 से बराबरी के बाद 5-4 से हराकर ट्राफी जीती थी.
भारत के लिये पेनल्टी शूटआउट में सुनील छेत्री, रोबिन सिंह, डेंजिल माइकल फ्रैंको, मेहताब हुसैन, क्लिफर्ड मिरांडा ने गोल किये जबकि कैमरून के लिये थिएरी मैकान गोल से चूक गये और उसके लिये ए सी तांबे, बाबा औशमाइला, कप्तान बेबे किंग्वे पाल और किंगुवे मपोंडो ने गोल किये.
कोवरमैन्स ने टूर्नामेंट के पहले मैच में सीरिया के खिलाफ खेलने वाली शुरूआती एकादश को ही मैदान पर उतारा और खिलाड़ियों ने उनकी रणनीति के मुताबिक खेल दिखाया जिसमें गोलकीपर सुब्रत पाल और डिफेंडरों का प्रदर्शन सराहनीय रहा.
जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में 25 हजार से ज्यादा दर्शक मौजूद थे और स्टेडियम में ‘भारत जीतेगा-भारत जीतेगा’ की गूंज सुनाई दे रही थी. जैसे ही भारतीय खिलाड़ियों के पास गेंद आती दर्शक तालियों से उनका उत्साह बढ़ाते.
दूसरे हाफ में कैमरून ने 54वें मिनट में किंगुवे मपोंडो की मदद से दूसरा गोल कर 2-1 की बढ़त हासिल कर ली, मैकान के कार्नर पर भारतीय डिफेंडर निर्मल छेत्री बचाव नहीं कर पाये जिससे मपोंडो ने हेडर से गोल दागा. भारतीय कोच विम कोवरमैन्स ने 10 मिनट बाद स्ट्राइकर रोबिन सिंह को संजू प्रधान की जगह उतारा.
भारत ने 78वें मिनट में पेनल्टी के जरिये गोल कर स्कोर 2-2 से बराबर कर दिया. स्टार स्ट्राइकर सुनील छेत्री गेंद लेकर विपक्षी गोल की ओर बढ़ रहे थे, कैमरून के डिफेंडर उन्हें रोकने के लिये उनके पीछे थे, इस दौरान उसके गोलकीपर एनकेसी होसिया भागते हुए आये और उन्होंने इस भारतीय स्ट्राइकर को गिरा दिया जिससे मेजबान टीम को पेनल्टी मिली. सुनील छेत्री ने इस पर आसान गोल किया.
कैमरून ने इसके बाद भारतीय गोल में सेंध के प्रयास तेज कर दिये लेकिन भारतीय गोलकीपर सुब्रत पॉल ने इनका बेहतरीन ढंग से बचाव किया और दर्शकों की तालियां बटोंरी.
कैमरून ने हालांकि पहला कार्नर छठे मिनट में ही हासिल कर लिया था किन्तु मेजबान टीम ने उन्हें इसका फायदा नहीं उठाने दिया. 12वें मिनट में स्टार स्ट्राइकर सुनील छेत्री का सीधा लंबा शाट गोल में तब्दील हो सकता था, लेकिन यह विपक्षी टीम के गोलकीपर एनगोमे एन लारेंस के हाथ में चला गया. दो मिनट बाद ही दिल्ली के इस फारवर्ड को दूसरा मौका मिला जो कामयाब नहीं हो सका. सुनील छेत्री के कोहनी में मोउंडी गुस्तावे के पीछे से टकराने में चोट लगी और भारत को फ्री किक मिली.
क्लिफर्ड मिरांडा की फ्री किक पर गौरमांगी ने इसे सीधे गोल में पहुंचा दिया और भारतीय खेमे के साथ स्टेडियम में खुशी की लहर दौड़ गयी. अफ्रीकी देश ने गोल से पिछड़ने के बाद मौके बनाने में कहीं कमी नहीं छोड़ी और कोच बोसो को सबसे बड़ी निराशा तब हुई जब उनका गोलकीपर एनगोमे एन लारेंस चोटिल हो गया और उन्हें 27वें मिनट में एनकेसी होसिया को मैदान पर उतारना पड़ा, जो भारत के खिलाफ अंतिम लीग मैच में खेले थे लेकिन दो मिनट बाद ही मैकान ने उनकी इस निराशा को जब खुशी में बदल दिया, तब राजू गायकवाड़ द्वारा गेंद बचाने के प्रयास में यह उनके पैरों के पास चली गयी और उन्होंने आसानी से इसे गोल में तब्दील किया.