सचिन तेंदुलकर ने अपनी कई पुरानी यादों को ताजा किया लेकिन इसमें फर्क इतना था कि उन्होंने क्रिकेट पर बात नहीं की. इस दिग्गज बल्लेबाज ने इसके बजाय दो दशक के अपने करियर के दौरान टीम के साथ देश और विदेशों के दौरे में पाक कला और भोजन के अपने अनुभवों पर बात की.
उन्होंने कई दिलचस्प बातें बतायी. इनमें यह बात भी शामिल थी कि किस तरह से विश्व कप 2003 में पाकिस्तान की तेज गेंदबाजी की त्रिमूर्ति वसीम अकरम, वकार यूनुस और शोएब अख्तर का सामना करने से पहले उन्होंने लंच करने के बजाय ढेर सारी आईसक्रीम खायी.
भारत ने यह मैच छह विकेट से जीता था और तेंदुलकर ने 75 गेंद पर 98 रन बनाये थे. उन्हें मैन आफ द मैच चुना गया था.
तेंदुलकर ने अच्छे भोजन के प्रति अपनी आसक्ति का खुलासा गुरुवार रात पाक कला से संबंधित किताब के विमोचन के अवसर पर किया. उन्होंने कहा कि लंच के समय मैंने केवल आईसक्रीम ली थी. मैंने इसके अलावा कुछ नहीं लिया था. मैंने अपना हेडफोन चला रखा था और मैं किसी की बात नहीं सुनना चाहता था. मैंने ढेर सारी आईसक्रीम ली और उसे चट कर गया. मैंने कहा था कि जब भी अंपायर मैदान पर जाएं तो मुझे बता दें. अंपायर जैसे ही मैदान पर पहुंचे मैंने अपना हेडफोन उतारा और बल्लेबाजी के लिये चला गया. आईसक्रीम बहुत स्वादिष्ट थी.
तेंदुलकर ने कहा कि टीम ने इस जीत का जश्न दक्षिण अफ्रीका में ढाबों पर सड़क के किनारे खाना खाकर मनाया. उन्होंने कहा कि मैच के तुरंत बाद हमने फैसला किया जहां भी हम जाएंगे साथ में रहेंगे. यह बड़ा दिन था और हमें साथ में जश्न मनाना था. इसलिए हम सीधे सड़क के किनारे ढाबे में खाने के लिये चले गये. वह टूर्नामेंट का सबसे महत्वपूर्ण मैच था.
इस स्टार बल्लेबाज ने कहा कि किशोरावस्था में उन्हें केवल महाराष्ट्र का भोजन बनाना ही आता था लेकिन लगातार यात्राओं के दौरान उन्होंने अन्य तरह का खाना बनाना भी सीखा.
उन्होंने कहा कि मैं इंग्लैंड दौरे पर गया तो पहली बार मैंने वहां कोल्ड चिकन के बारे में सुना. मैंने उसे खाया. मैं समझता हूं कि क्रिकेट इतना महत्वपूर्ण और रोमांचक होता है कि हम खाने के बारे में भूल जाते थे. शाम का समय थोड़ा मुश्किल होता था. उन दिनों आप बर्गर से काम चला सकते थे लेकिन अब नहीं.
तेंदुलकर ने कहा कि मैं 25 साल से यात्रा कर रहा हूं और इस दौरान मैंने तमाम तरह का भोजन किया. मैं अच्छे भोजन और अच्छे स्वाद की तारीफ करता हूं. कई बार डाइट के बारे में सोचे बिना आप जो चाहते हो उसको खाना अच्छा रहता है.
उन्होंने कहा कि वह जापानी खाने के शौकीन हैं और एक बार सुरेश रैना के साथ रेस्टोरेंट चले गये थे हालांकि उन्हें इसके अंत का पता नहीं था. तेंदुलकर ने कहा कि मुझे तीन साल पहले की बात याद है. मैं सुरेश रैना को लेकर जापानी रेस्टोरेंट गया जो बुरा नहीं था. मुझे नहीं पता था कि वह आना चाहता था या नहीं क्योंकि मैं बहुत उत्साहित था. मैंने उससे कहा कि मैं तुम्हारा जापानी भोजन से परिचय करवाता हूं. उसे वह पसंद आया.
उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि उसने इसके बाद जापानी भोजन किया या नहीं. तब उसने साशिमी और सुशी का जरूर भरपूर आनंद लिया था. मैंने गार्लिक फ्राइड राइस भी मंगवाया था जो उसके लिये खाना मुश्किल नहीं था.
तेंदुलकर ने कहा कि जब भी वह नये रेस्टोरेंट में जाते थे तो अक्सर मुंबई के साथी जहीर खान और अजित अगरकर को साथ में लेकर जाते थे.
उन्होंने कहा कि मैं, जहीर खान और अजित अगरकर नये रेस्टोरेंट और नये पकवानों का स्वाद लेने की कोशिश करते थे लेकिन अधिकतर साथी इटालियन या थाई या चाइनीज पसंद करते थे लेकिन हम तीनों और कभी युवराज सिंह अलग चीजें आजमाते थे.
तेंदुलकर ने कहा कि जब वह विदेश के लंबे दौरे से लौटते हैं तो उन्हें ‘वरन भात’ (महाराष्ट्रियन दाल चावल) खाना पसंद करते हैं. उन्होंने कहा कि आप भारत के बाहर इसे नहीं पा सकते हो. भात में थोड़ा घी होता है और उसमें हल्का नींबू मिलाया रहता है.
खाने के अपने सबसे बुरे अनुभव के बारे में उन्होंने कहा कि मैंने घोंघा आजमाया जिसे पचा पाना थोड़ा मुश्किल होता है. मैंने लहसुन के सॉस के साथ उसे खाया और अपनी पत्नी को भी जबर्दस्ती खिलाया. यह बहुत अच्छा भोजन नहीं था. मैंने फिर इसे कभी नहीं खाया.
तेंदुलकर ने कहा कि इंग्लैंड के खिलाफ आगामी श्रृंखला की तैयारियों के लिये उन्होंने वसायुक्त भोजन से परहेज की. उन्होंने कहा कि यह ऐसा समय है जबकि मैं कोई खास भोजन करना ही पसंद करता हूं. इससे मुझे आगामी श्रृंखला की तैयारियों में मदद मिलेगी. आपको रूटीन बनाना होता है और मैं ऐसा करने की कोशिश करता हूं. लंबे समय से क्रिकेट में होने के कारण मुझे पता है कि किसी को कब वसायुक्त भोजन करना चाहिए और कब नहीं.
तेंदुलकर ने उदाहरण दिया कि किस तरह से एक मैच से पहले उन्होंने खुद के लिये भोजन बनाया. उन्होंने कहा कि यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है. विश्व कप 2011 के दौरान हमने आस्ट्रेलिया के खिलाफ अहमदाबाद में मैच खेला था. तब वास्तव में बहुत गर्मी थी इसलिए दो तीन दिन तक मैंने शाकाहारी भोजन किया जैसे कि दही भात और खूब नारियल पानी पिया. मेरा मानना है कि इस तरह की परिस्थितियों में मसालेदार भोजन करना अच्छा नहीं होता.
तेंदुलकर से पूछा गया कि क्या मैच से पहले भोजन को लेकर उनका कोई अंधविश्वास रहा है, उन्होंने कहा कि अब आप मेरे दिमाग में एक और बात बिठा रहे हो. मैं इतना बुरा नहीं हूं.