वीरेंद्र सहवाग को भले ही आक्रामक और निर्भीक बल्लेबाज माना जाता हो लेकिन उन्होंने कहा कि पहली गेंद का सामना करते हुए वह भी ‘नर्वस’ महसूस करते हैं लेकिन वह गेंदबाज के सामने कभी ऐसा जाहिर नहीं होने देते.
सहवाग ने कहा, ‘हर बार जब मैं क्रीज पर उतरता हूं और पहली गेंद का सामना करता हूं तो मैं नर्वस होता हूं. मैं इसे हालांकि कभी नहीं दिखाता क्योंकि अगर गेंदबाज इसे भांप लेगा तो वह मुझे दबाव में डालने की कोशिश करेगा.’
उन्होंने कहा, ‘मुझे गेंदबाज को संदेश देना होता है कि मैं आक्रामकता और विश्वास के साथ उसका सामना करने के लिए यहां मौजूद हूं, फिर चाहे मैं रक्षात्मक शाट खेलूं या आक्रामक.’ सहवाग का मानना है कि उनकी मानसिक मजबूती और आत्मविश्वास ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में गेंदबाजों पर दबदबा बनाने में मदद की है.
दायें हाथ के इस बल्लेबाज ने बीसीसीआई की आधिकारिक वेबसाइट से आज कहा, ‘मुझे लगता है कि यह मानसिक मजबूती है. मेरे अंदर आत्म विश्वास और भरोसा है कि मैं किसी भी टीम के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन कर सकता हूं और किसी भी गेंदबाजी आक्रमण के खिलाफ रन बना सकता हूं.’
सहवाग ने कहा कि उन्होंने बल्लेबाजी के अपने तरीके में कुछ बदलाव किया है और अब वह अपने शाट खेलने से पहले कुछ समय विकेट पर टिकने की कोशिश करते हैं. उन्होंने कहा, ‘अब मैं, इसे लेकर कुछ अधिक सतर्क हो गया हूं कि विकेट किस तरह का बर्ताव कर रहा है, गेंद स्विंग कर रही है या नहीं और गेंदबाजी आक्रमण कैसा है. मैं हालात और स्थिति को अच्छी तरह समझने के लिए खुद को थोड़ा अधिक समय देता हूं और इसके बाद अपनी पारी की रणनीति बनाता हूं.’
सहवाग ने कहा, ‘हालांकि अगर कोई गेंदबाज घसियाली पिच पर हाफ वाली फेंकता है तो भी मैं उस पर आक्रमण करता हूं और अगर आफ साइड के बाहर गेंद शार्ट होती है तो स्क्वायर कट खेलता हूं.’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन अगर कोई गेंदबाज अच्छी लाइन और लेंथ के साथ गेंदबाजी करता है तो मुझे नयी गेंद को सम्मान देना पड़ता है. अगर मैं ऐसा करता हूं और सतर्कता के साथ 10 से 12 ओवर खेल लेता हूं तो समय के साथ गेंद पुरानी हो जाती है और गेंदबाज भी थोड़े थक जाते हैं. इसके बाद मैं उन्हें निशाना बना सकता हूं.’
यह पूछने पर कि सचिन तेंदुलकर और गौतम गंभीर के साथ पारी की शुरूआत करने में क्या अंतर है, सहवाग ने कहा कि जब तेंदुलकर उनके साझेदार होते हैं तो वह कम दबाव में होते हैं.
सहवाग ने कहा, ‘जब मैं तेंदुलकर के साथ बल्लेबाजी करता हूं तो मेरे उपर काफी कम दबाव होता है क्योंकि विरोधी उन्हें आउट करने पर ध्यान लगाते हैं. गौतम के साथ बल्लेबाजी करते हुए गेंदबाज मुझे आउट करने को लेकर अधिक चिंतित रहते हैं. इसलिए मुझे सतर्क होना पड़ता है. इसके अलावा गौतम और मैं काफी अच्छे मित्र हैं और हमारे बीच में काफी अच्छा संवाद है.’