पाकिस्तान के तुनकमिजाज गेंदबाज और ‘रावलपिंडी एक्सप्रेस’ नाम से मशहूर शोएब अख्तर ने घोषणा की कि वह विश्व कप के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह देंगे जिससे उनके उतार चढ़ाव वाले कैरियर का अंत भी हो जाएगा जिसमें वह डोपिंग सहित कई विवादों से भी जुड़े रहे .
एक समय रफ्तार के सौदागरों में शुमार अख्तर ने अपने 13 साल के कैरियर में 46 टेस्ट मैच में 178 विकेट और 163 एकदिवसीय मैचों में 247 विकेट लिये. अख्तर बृहस्पतिवार को संन्यास की घोषणा करते समय भावुक हो गये. उन्होंने कहा, ‘मैंने संन्यास लेने का फैसला किया है. मानसिक तौर पर मैं आगे भी खेलने के लिये हूं लेकिन मैंने युवा खिलाड़ियों को मौका देने के लिये यह फैसला किया.’
उन्होंने कहा, ‘मुझे कोई खेद नहीं है. मैंने कई मित्र बनाये लेकिन कुछ लोगों ने मुझे गलत समझा. मैं उन सभी खिलाड़ियों का आभार व्यक्त करता हूं जो मेरे साथ और मेरे खिलाफ खेले.’ अख्तर ने कहा, ‘वसीम अकरम और वकार यूनुस के साथ खेलना सम्मान की बात थी. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं पाकिस्तान की तरफ से खेलूंगा. यह मेरी जिंदगी का महत्वपूर्ण क्षण था. पाकिस्तान का इस विश्व कप में अंतिम मैच मेरा भी आखिरी मैच होगा. आशा है कि यह दो अप्रैल को होने वाला फाइनल होगा.’{mospagebreak}
अख्तर ने विश्व कप में श्रीलंका के खिलाफ पहले मैच में प्रभावशाली शुरुआत की लेकिन इसके बाद वह प्रभाव छोड़ने में नाकाम रहे जिसके कारण टीम प्रबंधन को उन्हें जिम्बाब्वे के खिलाफ पिछले मैच में बाहर बिठाना पड़ा. अब देखना होगा कि उन्हें आस्ट्रेलिया के खिलाफ शनिवार को होने वाले ग्रुप ए के अंतिम मैच में टीम में रखा जाता है या नहीं.
अपनी रफ्तार के कारण अख्तर को रावलपिंडी एक्सप्रेस नाम दिया गया लेकिन उनका कैरियर फिटनेस और अनुशासनहीनता के किस्सों से भरा रहा. उन पर अनुशासनहीनता के कई बार आरोप लगे जिनमें हाल में न्यूजीलैंड के खिलाफ लीग मैच में मैदान पर झगड़ना भी शामिल है जिसके लिये उन पर 2000 डालर का जुर्माना किया गया था.
अख्तर को 2006 में प्रतिबंधित स्टेरायड नैंड्रोलोन के सेवन का दोषी पाया गया था जिसके कारण उन पर दो साल का प्रतिबंध लगा था. वह उस साल चैंपियन्स ट्राफी में नहीं खेल पाये थे हालांकि एक महीने बाद ही तीन सदस्यीय पंचाट ने अख्तर के पक्ष में फैसला सुना दिया था. खराब फिटनेस के कारण वह विश्व कप 2007 में भाग नहीं ले पाये थे तथा 2007 में ही दक्षिण अफ्रीका में विश्व ट्वंटी 20 चैंपियनशिप में साथी तेज गेंदबाज मोहम्मद आसिफ पर बल्ले से प्रहार करने के लिये उन पर 13 वन डे का प्रतिबंध लगा था.{mospagebreak}
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के साथ भी उनके कड़वे संबंध रहे. उन्हें 2008 में पीसीबी ने अनुबंधित खिलाड़ियों की सूची में नहीं रखा था जिसके लिये उन्होंने देश की क्रिकेट संस्था की आलोचना की थी. इसके लिये अख्तर पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया गया था. अपीली पंचाट ने यह प्रतिबंध बाद में 18 महीने का कर दिया था लेकिन इस तेज गेंदबाज पर 70 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.