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विश्वकप में स्पिनरों की भी बोलेगी तूती

पीयूष चावला, हरभजन सिंह और आर अश्विन के अभ्‍यास मैचों में जानदार प्रदर्शन से भारत अपनी पूर्व रणनीति को छोड़कर 19 फरवरी से शुरू होने वाले विश्वकप में दो स्पिनरों के साथ उतरने पर गंभीरता से विचार कर सकता है.

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R Ashwin
R Ashwin

पीयूष चावला, हरभजन सिंह और आर अश्विन के अभ्‍यास मैचों में जानदार प्रदर्शन से भारत अपनी पूर्व रणनीति को छोड़कर 19 फरवरी से शुरू होने वाले विश्वकप में दो स्पिनरों के साथ उतरने पर गंभीरता से विचार कर सकता है क्योंकि उपमहाद्वीप की अधिकतर पिचों का मिजाज अभी धीमी गति के गेंदबाजों के अनुकूल दिख रहा है.

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भारत ने स्पिनरों के दम पर ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को आसानी से मात दी लेकिन महेंद्र सिंह धोनी की टीम ने ही नहीं बल्कि अन्य टीमों के स्पिन गेंदबाजों ने भी अभ्‍यास मैचों में अपना प्रभाव छोड़ा. ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग और दक्षिण अफ्रीका के ग्रीम स्मिथ तो पिच से स्पिनरों को मिल रही टर्न से नाखुश थे लेकिन धोनी ने भी इस पर थोड़ी हैरानी जतायी थी.

अब यदि विश्वकप में भी पिचों का मिजाज नहीं बदला तो फिर तेज और मध्यम गति के गेंदबाजों के साथ स्पिनरों की तूती बोलना भी तय है. विश्वकप के अब तक हुए अभ्‍यास मैच में गेंदबाजों को 184 विकेट मिले उनमें से लगभग आधे 89 विकेट स्पिनरों ने लिये. इनमें से खासकर भारतीय पिचों पर स्पिनरों का अधिक दबदबा रहा जहां अभ्‍यास मैचों में स्पिनरों को 45 और तेज गेंदबाजों को 36 विकेट मिले. भारत तो पूरी तरह से स्पिनरों ही निर्भर रहा. उसके गेंदबाजों ने दो मैच में 19 विकेट लिये जिसमें से 16 विकेट स्पिनरों के खाते में गये. {mospagebreak}

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भारतीय तेज गेंदबाजों को केवल तीन विकेट मिले और कप्तान धोनी उनके बचाव में भी उतर गये. लेग स्पिनर चावला ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 31 रन देकर चार विकेट लेकर चयनकर्ताओं को सोचने के लिये मजबूर कर दिया है जो अब तक विश्व कप मैचों में तीन तेज गेंदबाज और एक स्पिनर को उतारने पर विचार कर रहे थे.

चावला लेग स्पिनर है और रिकार्ड गवाह रहा है कि भारत ने विश्वकप जैसे टूर्नामेंट में कलाईयों के स्पिनर पर कम भरोसा दिखाया है. विश्वकप 1987 में एल शिवरामाकृष्णन टीम में थे लेकिन उन्हें केवल दो मैच खेलने का मौका मिला था. तब कपिल देव ने बायें हाथ के दो स्पिनरों मनिंदर सिंह और रवि शास्त्री पर अधिक भरोसा दिखाया था. लेग स्पिनर अनिल कुंबले हालांकि तीन विश्वकप (1996, 1999 और 2003 में) खेले जिनमें उन्होंने 18 मैच में 31 विकेट लिये. कुंबले हालांकि 2003 में केवल तीन मैच खेल पाये थे जबकि आफ स्पिनर हरभजन ने दस मैच में टीम का प्रतिनिधित्व किया था. {mospagebreak}

अब चावला है जो अब तक गुगली पर अधिक भरोसा दिखाते थे लेकिन अभ्‍यास मैचों में उन्होंने लेग ब्रेक और स्लाइडर से भी विकेट लिये. धोनी ने भी स्वीकार किया कि चावला की गुगली कारगर साबित हो सकती है, ‘क्योंकि आजकल अंपायर एलबीडब्ल्यू देने में हिचकिचाते नहीं हैं.’ अभ्‍यास मैचों में तीन बार स्पिनरों ने मैच में चार-चार विकेट लिये जबकि केवल एक तेज गेंदबाज ऐसा कर पाया. इंग्लैंड के स्टुअर्ट ब्राड ने बांग्लादेश के फातुल्ला में कनाडा के खिलाफ 37 रन देकर पांच विकेट लिये थे लेकिन यह स्टेडियम विश्वकप का मैच स्थल नहीं है.

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