खेल मंत्रालय ने लंदन ओलंपिक में पदक जीतने वाले छह खिलाड़ियों को नकद पुरस्कार प्रदान किये. भारतीय ओलंपिक दल ने अमर जवान ज्योति पर जाकर पुष्पांजलि भी अर्पित की.
मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम पर आयोजित समारोह में खेल मंत्रालय ने ओलंपिक में रजत पदक विजेताओं सुशील कुमार (कुश्ती) और विजय कुमार (निशानेबाज) को 30-30 लाख रुपये के चेक जबकि कांस्य पदक जीतने वाले चार खिलाड़ियों योगेश्वर दत्त (कुश्ती), एम सी मेरीकाम (मुक्केबाजी), साइना नेहवाल (बैडमिंटन) और गगन नारंग (निशानेबाजी) को 20-20 लाख रूपये के पुरस्कार दिये. ये पुरस्कार भारतीय खेल प्राधिकरण की ‘आओ खेलें’ योजना के तहत बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले छह युवा खिलाड़ियों ने प्रदान किये.
इस मौके पर खेलमंत्री अजय माकन ने कहा, ‘हमने ओपेक्स लंदन 2012 के तहत ओलंपिक की तैयारी पर पूरा फोकस किया जिससे पदकों की संख्या बीजिंग ओलंपिक की तुलना में दुगुनी हो गई. अब हम ओपेक्स 2020 के जरिये 25 पदक जीतने का लक्ष्य लेकर चलेंगे. इसकी तैयारी अभी से शुरू करनी होगी.’
उन्होंने कहा कि इसके लिये मंत्रालय हरसंभव सुविधायें मुहैया करायेगा. माकन ने कहा, ‘ लंदन ओलंपिक की तैयारी के लिये खिलाड़ियों के 186 विदेश एक्सपोजर दौरे हुए. अगले ओलंपिक के लिये जरूरत होने पर इससे ज्यादा दौरे कराये जायेंगे. विदेशी कोचों की सेवायें भी ली जायेगी ताकि 25 पदक जीत सके.’ अभिनंदन समारोह के बाद ओलंपियनों का दल खुली जीपों में इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति गया जहां पुष्पांजलि अर्पित की गई.
समारोह में बदइंतजामी से नाराज कई खेल महासंघों के पदाधिकारियों ने खेल मंत्रालय को आड़े हाथों लिया. आलम यह था कि खिलाड़ियों के परिजनों के बैठने का पर्याप्त इंतजाम नहीं था और बीजिंग ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता मुक्केबाज विजेंदर सिंह समेत कई खिलाड़ी तो तंग आकर कार्यक्रम पूरा होने से पहले ही चले गए.
सुरक्षाकर्मियों और मीडिया के बीच भी तीखी बहस हुई. खिलाड़ियों की झलक पाने को बेताब स्कूली बच्चों के बेकाबू होने से भगदड़ की सी स्थिति पैदा हो गई. भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण ने खेल मंत्रालय पर खिलाड़ियों और खेल महासंघों के अपमान का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, ‘इससे खराब इंतजाम हमने कहीं नहीं देखा. खेल महासंघों ने भी खिलाड़ियों की सफलता के लिये काफी मेहनत की है लेकिन किसी अधिकारी का नाम तक नहीं लिया गया. खिलाड़ियों के परिवारों के बैठने का इंतजाम नहीं था और कई तो कार्यक्रम पूरा होने से पहले ही चले गए.’
उन्होंने कहा, ‘संचालक को ओलंपिक पदक विजेताओं के नाम तक नहीं पता थे. इससे ज्यादा अपमानजनक बात क्या हो सकती है.’ संचालक ने फ्रीस्टाइल कुश्ती 60 किलोवर्ग में कांस्य जीतने वाले योगेश्वर दत्त को योगेंद्र दत्त कहा तो बैडमिंटन की कांस्य पदक विजेता साइना नेहवाल को सानिया कहकर पुकारा. यही नहीं निशानेबाजी में 50 मीटर राइफल प्रोन में चौथे स्थान पर रहे जायदीप कर्माकर को तीरंदाज कह डाला.