भारत को 28 बरस बाद विश्व चैम्पियन बनाने में सूत्रधार की भूमिका निभाने वाले करिश्माई कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने फाइनल में श्रीलंका पर छह विकेट से मिली जीत के बाद कहा कि उन पर खुद को साबित करने की जिम्मेदारी थी जो उन्होंने निभाई.
अपनी 84 रन की नाबाद पारी के लिये मैन ऑफ द मैच बने धोनी ने कहा, ‘मैंने कई ऐसे फैसले लिये कि हम नहीं जीतते तो मुझ पर सवालों की बौछार हो जाती. मसलन श्रीसंत को क्यों चुना गया, अश्विन को क्यों नहीं. युवराज इतने अच्छे फार्म में है तो बल्लेबाजी करने मैं पहले क्यों उतरा.’ उन्होंने कहा, ‘इससे मुझे अच्छा प्रदर्शन करने की प्रेरणा मिली. पिछले मैचों में ऐसा नहीं कर पाया था. मुझ पर खुद को साबित करने की जिम्मेदारी थी लिहाजा मैं बल्लेबाजी करने पहले आया. कोच गैरी कर्स्टन और सीनियर खिलाड़ियों ने भी मेरा समर्थन किया.’
उन्होंने विश्व कप के सफर को यादगार बताते हुए कहा कि सभी खिलाड़ियों ने अपना शत प्रतिशत योगदान दिया. फाइनल के बारे में उन्होंने कहा, ‘सचिन और वीरू के जल्दी आउट होने के बाद गौतम और विराट ने अच्छी पारियां खेली. उन्होंने सिंगल्स लेकर श्रीलंकाई स्पिनरों पर दबाव बनाया. हालांकि गौतम का शतक पूरा होता तो और अच्छा रहता. उसने सूत्रधार की भूमिका निभाई जो काबिले तारीफ है.’{mospagebreak}
वहीं विश्व कप फाइनल में छह विकेट से मिली हार के बाद श्रीलंकाई कप्तान कुमार संगकारा ने स्वीकार किया कि भारत इस जीत का हकदार था और उसने साबित कर दिया कि उसे खिताब का दावेदार यूं ही नहीं कहा गया था. संगकारा ने कहा, ‘इस भारतीय टीम के सामने 350 से कम के स्कोर पर जीत दर्ज करना मुमकिन नहीं था. भारतीय टीम जीत की हकदार थी. उसने अपने घरेलू दर्शकों के सामने बेहतरीन खेल दिखाया. बेहतर टीम विजयी रही. भारत को रोकने के लिये सात विकेट लेने जरूरी थे.’
उन्होंने कहा, ‘गौतम ने बेहतरीन पारी खेली और धोनी ने मौके पर मोर्चे से अगुवाई की. भारत और श्रीलंका दोनों ने जिस तरह का खेल दिखाया, वह फख्र की बात है.’ हार के बावजूद उन्होंने अपनी टीम की तारीफ करते हुए कहा, ‘मुझे अपने खिलाड़ियों पर फख्र है. खासकर महेला जयवर्धने ने मौके पर बेहतरीन पारी खेली और शतक लगाया. मैं श्रीलंकाई समर्थकों का भी धन्यवाद करना चाहूंगा.’