पूर्व कप्तान कपिल देव ने भारतीय टीम को सचिन तेंदुलकर पर निर्भरता खत्म करने की सलाह देते हुए इंग्लैंड के खिलाफ कल से शुरू हो रही चार टेस्ट मैचों की श्रृंखला के लिये पूरी तरह टर्निंग विकेट तैयार करने के प्रति भी आगाह किया और कहा कि इस तरह के दांव से ‘लेने के देने’ भी पड़ सकते हैं.
कपिल ने कहा, ‘मैं यही कहूंगा कि सचिन केंद्र में होंगे. उन पर फोकस होगा लेकिन आप सिर्फ सचिन पर निर्भर नहीं रह सकते. वह महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं लेकिन युवा खिलाड़ियों को अब जिम्मेदारी लेनी होगी.’
भारत श्रृंखला में टर्निंग विकेट बनाकर इंग्लैंड से पिछले साल मिली 0-4 की हार का बदला लेने के बारे में सोच रहा है. इस बारे में कपिल ने कहा, ‘जब आप टर्निंग विकेट बनाते तो यह अहम होता है कि आप टॉस जीत पाएंगे या नहीं. टॉस जो टीम जीतेगी उसे फ्रेश विकेट खेलने को मिलेगा. अपना मजबूत पक्ष देखकर विकेट बनाने चाहिए लेकिन कहीं इतनी टर्निंग विकेट न बना दें कि लेने के देने पड़ जाएं.’
अपने जमाने के इस दिग्गज आलराउंडर ने इसके साथ ही वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर की जोड़ी के लिये यह श्रृंखला ‘अग्निपरीक्षा से भी बढ़कर’ करार दी जिसमें तेंदुलकर पर ‘पूरा फोकस रहेगा.’ स्टार क्रिकेट पर श्रृंखला के दौरान हिन्दी कमेंटटर के रूप में नई पारी शुरू कर रहे कपिल ने तेज गेंदबाजी को भारत का कमजोर पक्ष बताया और कहा कि भारत यदि एक या दो मैच के अंतर से श्रृंखला जीतता है तो यह उसकी बड़ी उपलब्धि होगी. पेश है कपिल से साक्षात्कार के मुख्य अंश...
प्रश्नः भारत पिछले साल इंग्लैंड से चारों टेस्ट मैच हार गया था. अब इस श्रृंखला को बदला के रूप में देखा जा रहा है. क्या भारत ऐसा कर पाएगा?
कपिलः परिस्थितियां बहुत मुश्किल है. हमारी गेंदबाजी मजबूत नहीं है. यदि हम एक या दो टेस्ट मैच जीतकर भी श्रृंखला अपने नाम कर लेते हैं तो यह बड़ी उपलब्धि होगी. जहीर खान भी उस फार्म में नहीं हैं जैसा वो थे. हमारे पास अनिल कुंबले नहीं है और हरभजन (सिंह) भी बहुत अच्छा (प्रदर्शन) नहीं कर रहे हैं. ऐसे में यदि हम श्रृंखला जीत जाते हैं तो बहुत बड़ी बात होगी. जहां तक बदले की बात है तो जोश होना चाहिए कि हां हमें जीतना है और जीत के लिये खेलना है.’
प्रश्नः सहवाग और गंभीर ने पिछले कई मैचों से शतक नहीं जमाये. क्या उनके लिये यह श्रृंखला अग्निपरीक्षा जैसी है?
कपिलः अग्निपरीक्षा भी शब्द कम है. वे बड़े खिलाड़ी जिनकी इतनी अहमियत है और वे पिछले 15-20 टेस्ट से संघर्ष कर रहे हों तो फिर हमें उनसे ज्यादा अपनी टीम से डर लगता है कि कहीं ये नहीं चले तो क्या होगा. हां साख होती है और हम उसी आधार पर टीम चुनते हैं और यदि वे नहीं चले तो टीम को संघर्ष करना पड़ सकता है. ओपनिंग हमारी कमजोरी है. यदि हमें अच्छी शुरुआत मिलती है तो हम इंग्लैंड पर हावी हो सकते हैं.
प्रश्नः भारतीय मध्यक्रम को अनुभवहीन माना जा रहा है. ऐसे में दबाव सचिन तेंदुलकर पर रहेगा या अन्य युवा खिलाड़ियों पर?
कपिलः सचिन की बड़ी अहमियत है और उन्हें अपार अनुभव है. सारी टीम उनके इर्द गिर्द खेलेगी और युवा खिलाड़ियों को उनसे सीखना चाहिए. मैं यही कहूंगा कि सचिन केंद्र में होंगे. उन पर फोकस होगा लेकिन आप सिर्फ सचिन पर निर्भर नहीं रह सकते. वह महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं लेकिन युवा खिलाड़ियों को अब जिम्मेदारी लेनी होगी.
प्रश्नः स्पिनरों की मददगार पिचें बनाने की बात की जा रही है. आपको लगता है कि भारत का यह दांव चल जाएगा?
कपिलः दांव चल पाएगा या नहीं यह देखना होगा क्योंकि जब आप टर्निंग विकेट बनाते तो यह अहम होता है कि आप टास जीत पाएंगे या नहीं. टास जो टीम जीतेगी उसे फ्रेश विकेट खेलने को मिलेगा. फ्रैंडली विकेट होनी चाहिए. आपको अपनी स्ट्रेंथ देखकर विकेट बनाने चाहिए लेकिन कहीं इतनी टर्निंग विकेट न बना दें कि लेने के देने पड़ जाएं.’
प्रश्नः भारत के पास दो आफ स्पिनर (आर अश्विन और हरभजन) तथा बायें हाथ का एक स्पिनर (प्रज्ञान ओझा) है. ऐसा नहीं लगता कि भारतीय स्पिन में विविधता की कमी है.
कपिलः देखिये जब आपके पास दो अच्छे स्पिनर हैं तो उन्हें रखने में क्या दिक्कत है. यदि आपके पास दो सचिन तेंदुलकर हों तो क्या आप उनको नहीं उतारोगे. चयनकर्ताओं ने सर्वश्रेष्ठ टीम चुनी है. वैरायटी होनी चाहिए लेकिन इसका मतलब यह नहीं आप अपने सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को बाहर रखें.
प्रश्नः इंग्लैंड की टीम में आपको क्या कमजोरी नजर आती है?
कपिलः मैं नहीं मानता कि वह कमजोर है. उनके पास बहुत अच्छे बल्लेबाज हैं, आलराउंडर हैं और उनकी गेंदबाजी भी मजबूत है. उनके पास ऐसे गेंदबाज है जो बल्लेबाजी भी कर सकते हैं इसलिए मैं यह नहीं कहूंगा कि उनमें कमियां हैं. अगर कोई कमी है तो वह टीम का अंदरूनी कलह. लेकिन एक बार जब वे खेलना शुरू कर देंगे तो वह भी दूर हो जाएगी.
प्रश्नः आप हिन्दी कमेंटेटर के तौर पर नयी पारी शुरू कर रहे हैं.
कपिलः बड़ा अच्छा लग रहा है आज स्टार क्रिकेट ने यह प्रयास किया और हिन्दी भाषा की अहमियत को पहचाना. यदि हमें हिन्दुस्तान में क्रिकेट को जीवित रखना है तो हिन्दी में कमेंट्री होनी बहुत जरूरी है.