scorecardresearch
 

वीवीएस लक्ष्‍मण ने अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा

भारत के स्टार बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण ने अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया है. हैदराबाद में लक्ष्मण ने शनिवार को तुरंत प्रभाव से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की.

Advertisement
X
वीवीएस लक्ष्मण
वीवीएस लक्ष्मण

भारत के स्टार बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण ने अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया है. हैदराबाद में लक्ष्मण ने शनिवार को तुरंत प्रभाव से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की. इस मौके पर लक्ष्‍मण ने कहा कि संन्‍यास लेने का यही सही वक्‍त है और युवाओं को खेलना का मौका मिलना चाहिए. उन्‍होंने कहा कि देश के लिए खेलना गर्व की बात है. लक्ष्‍मण न्‍यूजिलैंड के खिलाफ होने जा रही दो टेस्‍ट मैचों की श्रृंखला में भी नहीं खेलेंगे.

Advertisement

आधुनिक क्रिकेट के सबसे कुशल बल्लेबाजों में से एक 37 वर्षीय लक्ष्मण ने कहा कि उन्हें लगा कि यह उस खेल को अलविदा कहने का सही समय है जिसे उन्होंने देश के लिए पूरे गर्व के साथ खेला. भावुक लक्ष्मण ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘मैं तुरंत प्रभाव से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा करता हूं. मुझे लगता है कि यह आगे बढ़ने का सही समय है.’

न्यूजीलैंड के खिलाफ 23 अगस्त से यहां शुरू हो रही दो टेस्ट की श्रृंखला के लिए लक्ष्मण को भारतीय टीम में शामिल किया गया था लेकिन उन्होंने हैरानी भरा कदम उठाते हुए तुरंत प्रभाव से संन्यास लेने का फैसला किया और अपने घरेलू दर्शकों के सामने अंतरराष्ट्रीय कैरियर समाप्त करने का मौका भी छोड़ दिया.

लक्ष्मण ने कहा, ‘यह मुश्किल फैसला था, मैंने हमेशा अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी है. अंतरात्मा की आवाज दैवीय आवाज होती है, अपने पूरे कैरियर के दौरान मैंने यही किया है. पिछले चार दिन इस पर काफी बात हुई. मुझे लगता है कि यह आगे बढ़ने का सही समय है.’

Advertisement

अपनी कलात्मक और कुशल बल्लेबाजी के लिए ‘वेरी वेरी स्पेशल’ का विशेषण हासिल करने वाले लक्ष्मण ने 134 टेस्ट में 45.97 की औसत से 8781 रन बनाए. उन्होंने 17 शतक और 56 अर्धशतक भी जड़े. लक्ष्मण हालांकि भारतीय वनडे टीम के नियमित सदस्य नहीं रहे. उन्होंने 86 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेले और इस दौरान 30.76 की औसत से 2338 रन बनाए.

दुर्भाग्य से लक्ष्मण कभी भारत की विश्व कप टीम का हिस्सा नहीं रहे जिनका उन्हें खेद है. दायें हाथ के इस बल्लेबाज ने कहा, ‘मैंने हमेशा अपने देश की सफलता और जरूरी को अपनी निजी महत्वाकांक्षा से ऊपर रखा. मुझे टीम की सफलता में योगदान देने में खुशी होती विशेषकर इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया के खिलाफ, लेकिन मुझे लगता है कि अंतरराष्ट्रीय श्रृंखलाओं से पहले यह युवाओं को घरेलू हालात में खेलने का मौका देने का सही समय है.’

लक्ष्मण ने हालांकि साफ किया कि इस साल वह हैदराबाद के लिए खेलते रहेंगे. उन्होंने कहा, ‘भारत के लिए खेलना बचपन से ही मेरा सपना था और मैं भगवान का शुक्रगुजार हूं कि उसने मुझे देश की सेवा करने का मौका दिया.’ लक्ष्मण ने कहा, ‘मैंने हमेशा महसूस किया कि क्रिकेट के जरिये मुझे देश की सेवा करने का मौका मिला. मैं भाग्यशाली रहा कि मुझे ऐसे युग में खेलने का मौका मिला जब भारत ने अपना सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खेला, घरेलू और विदेशी सरजमीं पर भी.’

Advertisement

उन्होंने कहा, ‘मैं अपने कैरियर के दौरान मेरा मार्गदर्शन करने वाले और उत्साह बढ़ाने वाले सभी लोगों को धन्यवाद देता हूं.’ लक्ष्मण को हमेशा ईडन गार्डन्स में आस्ट्रेलिया के खिलाफ मार्च 2001 में 281 रन की शानदार पारी के लिए याद किया जाएगा जिसकी बदौलत भारत ने फालोआन के बावजूद मैच जीत लिया था. लक्ष्मण की इस पारी को विजडन ने टेस्ट क्रिकेट के इतिहास की 100 सर्वश्रेष्ठ पारियों में छठे नंबर पर रखा.

आस्ट्रेलिया के खिलाफ कई यादगार पारियों में से यह लक्ष्मण की एक अहम पारी थी. इस बल्लेबाज ने कहा, ‘जब मैं इस पारी को याद करता हूं तो मुझे लगता है कि मैं कितना भाग्यशाली रहा कि मुझे इतिहास का हिस्सा बनने का मौका मिला. हमने कैसे उस मैच का नतीजा बदल दिया. मैं जब भी उस पारी के बारे में सोचता हूं तो भावुक हो जाता हूं.’

यह पूछने पर कि क्या उन्होंने जल्दबाजी में फैसला किया है जिसके लिए उन्हें भविष्य में खेद होगा. उन्होंने कहा, ‘मुझे अपने फैसले पर कभी खेद नहीं होता क्योंकि मेरी अंतरात्मा स्पष्ट है. मुझे देश की सेवा करने का मौका मिला. मैं इस फैसले से संतुष्ट हूं, निश्चित तौर पर मुझे कभी खेद नहीं होगा कि मैंने यह फैसला किया.’ उन्होंने कहा, ‘यह भावुक, बेजोड़ और यादगार यात्रा रही जिसे मैं अपने बाकी जीवन में हमेशा याद करूंगा.’

Advertisement

लक्ष्मण ने कहा, ‘मैं बहुत भाग्यशाली रहा कि ऐसे खिलाड़ियों के साथ खेला जो काफी गर्व के साथ खेले और उनके से अधिकांश दिग्गज खिलाड़ी बने. उनके साथ के प्यार, जुड़ाव और भाईचारे को मैं अपने पूरे जीवन संजो कर रखूंगा.’ इस दिग्गज बल्लेबाज ने हालांकि कहा कि उन्होंने अभी नहीं सोचा है कि वह संन्यास लेने के बाद क्या करेंगे.

उन्होंने कहा, ‘मेरे त्वरित और सबसे पहला लक्ष्य अपने अनुभव को हैदराबाद के क्रिकेटरों के साथ बांटना होगा और अगर मैं वह कर पाया जो मेरे युवा होने के दौरान खेलते हुए मेरे सीनियर खिलाड़ियों ने किया था तो मुझे बहुत खुशी होगी.’ लक्ष्मण ने कहा, ‘मैंने क्रिकेट खेलते हुए अपने सीनियर खिलाड़ियों से काफी कुछ सीखा है और अगर मैं अपने अनुभव बांटा पाया और युवाओं को उनकी क्षमता पहचानने में मदद कर पाया तो मुझे काफी खुशी होगी.’

पिछले साल इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला में खराब प्रदर्शन के बाद हैदराबाद के इस बल्लेबाज के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया था लेकिन उन्हें चयन समिति ने न्यूजीलैंड के खिलाफ दो टेस्ट की श्रृंखला में बरकरार रखा था. इंग्लैंड के खिलाफ लक्ष्मण ने 22.75 की औसत से सिर्फ 182 रन बनाए जबकि आस्ट्रेलिया के खिलाफ आठ पारियों में उन्होंने सिर्फ 19.37 की औसत के साथ 155 रन जोड़े. भारत को इस दौरान लगातार आठ टेस्ट में शिकस्त का सामना करना पड़ा.

Advertisement

उन्होंने कहा, ‘कई लोगों ने मेरी आलोचना की लेकिन मेरी भलाई चाहने वालों की संख्या अधिक थी. मैं आपको बता सकता हूं कि प्रत्येक व्यक्ति को संतुष्ट करना आसान नहीं होता. सफलता और विफलता क्रिकेट के जीवन का हिस्सा होती हैं.’ यह पूछने पर कि क्या उन्हें संन्यास के अपने इस फैसले पर परिवार के सभी सदस्यों का समर्थन हासिल है, लक्ष्मण ने कहा कि इस फैसले से उनकी भलाई चाहने वाले कई लोग निराश होंगे.

उन्होंने कहा, ‘मैं इस बात से सहमत हूं कि इस फैसले से मैंने अपनी भलाई चाहने वाले कई लोगों को निराश किया है जिसमें मेरे परिवार के लोग भी शामिल हैं. वे निश्चित तौर चाहते थे कि मैं हैदराबाद में अंतिम टेस्ट खेलूं लेकिन मैं उनके माफी मांगता हूं कि मैंने उन्हें मुझे अंतिम बार खेलते हुए देखने का मौका नहीं दिया. मैं अपने इस विश्वास पर कायम हूं कि न्यूजीलैंड के अनुभवहीन आक्रमण के खिलाफ युवाओं को मौका दिया जाए.’

लक्ष्मण ने उन सभी लोगों को धन्यवाद दिया जिन्होंने उनके कैरियर के दौरान उनका समर्थन किया. उन्होंने कहा, ‘सबसे पहले मैं अपने माता-पिता को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मुझे इतनी अच्छी तरह बड़ा किया और इससे भी अहम, उन्होंने मुझे मेरे जुनून को आगे बढ़ाने का मौका दिया जो भारत के लिए क्रिकेट खेलना था.’

Advertisement

उन्होंने कहा, ‘इसके बाद मैं अपने मामा को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने असल में मेरी प्रतिभा को पहचाना. मेरे जीवन में उनका बड़ा प्रभाव है. वर्ष 2004 में मेरे विवाह के बाद से मेरी पत्नी मेरे जीवन में मजबूत स्तंभ रही है. उसने काफी बलिदान दिए, उसने उस समय अकेले मेरे दो बच्चों को पाला जब मैं अपनी क्रिकेट प्रतिबद्धताओं के लिए यात्रा किया करता था.’

लक्ष्मण ने कहा, ‘मेरा भाई, मेरे बचपन के दो दोस्त राजेश और पार्थ, मेरे स्कूल टीचर, सेंट जोन्स क्रिकेट फाउंडेशन में मेरे कोच. सभी को धन्यवाद.’ उन्होंने कहा, ‘मैं मेरी प्रतिभा को पहचानने के लिए हैदराबाद क्रिकेट संघ को और मुझे 16 साल तक खेलने का मौका देने के लिए बीसीसीआई को भी तहेदिल दिल से धन्यवाद देना चाहता हूं.’

लक्ष्मण ने कहा, ‘मैं बैंगलोर में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी, अपने कैरियर के दौरान मैंने जिन टीमों का प्रतिनिधित्व किया उनके कोचों, मेरे सभी चयनकर्ताओं, मुझे प्रेरित करने के लिए अपने कप्तानों और सबसे अहम अपने उन साथियों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिनके साथ मैं खेला और अपने जीवन के सर्वश्रेष्ठ लम्हें बांटे.’ लक्ष्मण के संन्यास के साथ ही भारत स्वर्णिम क्रिकेट पीढ़ी में से सिर्फ सचिन तेंदुलकर टीम का हिस्सा हैं क्योंकि इससे पहले पूर्व कप्तान अनिल कुंबले, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ संन्यास ले चुके हैं.

Advertisement

दायें हाथ के इस बल्लेबाज ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन अधिकतर दुनिया की शीर्ष टीम आस्ट्रेलिया के खिलाफ किया जिनके खिलाफ उन्होंने 49.67 की औसत से 2434 रन बनाए. वह तेंदुलकर के बाद आस्ट्रेलिया के खिलाफ 2000 या इससे अधिक टेस्ट रन बनाने वाले दूसरे बल्लेबाज हैं.

लक्ष्मण ने टीम की जरूरत के मुताबिक क्रम पर बल्लेबाजी की लेकिन उनका पसंदीदा क्रम तीसरा नंबर था जहां खेलते हुए उन्होंने 1611 रन बनाए। उन्होंने पांचवें और छठे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए भी क्रमश: 2877 और 2760 रन बनाए.

Advertisement
Advertisement