लंदन ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने के बाद अस्ताना से लौटने के बाद स्टार मुक्केबाज विजेंदर सिंह ने कहा कि भारत का सात मुक्केबाजों का पुरुष दल इस महासमर में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की कोशिश करेगा और इसके लिये वह इन सभी मुक्केबाजों के साथ अपना अनुभव बांटेंगे.
बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले विजेंदर समेत शिव थापा और सुमित सांगवान ने कजाखस्तान के अस्ताना में लंदन ओलंपिक के लिये क्वालीफाई किया. विजेंदर ने इस तरह लगातार तीन ओलंपिक में क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज भी बन गये.
विजेंदर ने कहा, ‘मैंने अस्ताना में शिव थापा और सुमित सांगवान की बाउट देखी थी, दोनों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया. मैं लंदन ओलंपिक के लिये सभी मुक्केबाजों के साथ अपने अनुभव बांटना चाहूंगा.’ भारत के इस तरह सात मुक्केबाज लंदन ओलंपिक में भारतीय चुनौती पेश करेंगे. यह पूछने पर कि वह काफी अनुभवी हैं तो वह किस तरह से मुक्केबाजों की मदद करेंगे. उन्होंने कहा, ‘अगर किसी भी मुक्केबाज को किसी तरह की मदद चाहिये होगी या कोई सलाह की जरूरत पड़ेगी तो मैं ऐसा जरूर करूंगा.’
भारतीय मुक्केबाजी कोच गुरबक्श सिंह संधू ने मुक्केबाजों के प्रदर्शन की तारीफ करते हुए कहा कि विजेंदर भारतीय मुक्केबाजी का प्रेरणास्रोत है. संधू ने कहा, ‘अब सभी मुक्केबाजों का लक्ष्य लंदन ओलंपिक में पदक हासिल करना है. अस्ताना में मुक्केबाजों ने पिछड़ने के बाद वापसी की, यह चीज मुक्केबाजी में पहले नहीं होती थी लेकिन अब शिवा और सुमित जैसे युवा मुक्केबाज अपने पहले दूसरे सीनियर टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं जो भारतीय मुक्केबाजी के भविष्य के लिये अच्छा संकेत है.’
उन्होंने विजेंदर की तारीफ करते हुए कहा, ‘उसने बीजिंग ओलंपिक के कांस्य समेत विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतकर भारतीय मुक्केबाजों को नयी दिशा दी है. वह भारतीय मुक्केबाजी का चेहरा और प्रेरणास्रोत है.’ 18 वर्षीय शिव थापा ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने वाले भारत के युवा मुक्केबाज हैं जिन्होंने अपने दूसरे सीनियर टूर्नामेंट में लगातार दूसरा स्वर्ण पदक हासिल किया. थापा से जब पूछा गया कि क्या वह टूर्नामेंट से पहले दबाव में थे तो उन्होंने कहा, ‘हम टूर्नामेंट के लिये अच्छी तरह तैयार थे. हमें मालूम था कि यह अंतिम क्वालीफाइंग टूर्नामेंट है तो हमने कोई कसर नहीं छोड़ी. मेरी सेमीफाइनल बाउट फाइनल की तरह ही थी.’
उन्होंने कहा, ‘मैं चाहता था कि भारत का राष्ट्रीय गान टूर्नामेंट में बजाया जाये. यह अहसास बहुत सुखद होता है. उम्मीद है कि मैं आगे भी ऐसा ही करना जारी रखूंगा.’ संधू ने कहा, ‘मुझे एक चीज इतनी शानदार लगी कि जब भारतीय राष्ट्रीय गान बज रहा था तो क्यूबा के कोच (भारत के विदेशी कोच) बी आई फर्नांडीस भी राष्ट्रीय गान गा रहे थे. यह शानदार था, वह पिछले 20 साल से भारतीय मुक्केबाजी से जुड़े हैं.’
सुमित ने अपने पहले अंतरराष्ट्रीय सीनियर टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक हासिल किया, यह पूछने पर कि कैसा अहसा है तो उन्होंने कहा, ‘मुझे अपने अभ्यास पर यकीन था. बीजिंग ओलंपिक में विजेंदर को देखा था तो लगा था कि मैं भी ओलंपिक में खेलूंगा. लेकिन यकीन नहीं था कि इतनी जल्दी और वो भी विजेंदर के साथ ही ओलंपिक में भाग लूंगा.’ उन्होंने कहा, ‘यह सचमुच शानदार है. मैं अब लंदन ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहता हूं.’
थापा रिंग में काफी आक्रामक दिखते हैं तो क्या उन्होंने टूर्नामेंट के लिये ऐसी रणनीति बनायी हुई थी तो उन्होंने कहा, ‘रिंग में हालात कभी भी एक से नहीं होते. परिस्थितियां बदलती रहती हैं. हम एक रणनीति पर अडिग नहीं रह सकते, हालात के मुताबिक रणनीति बदलते हैं. ऐसा नहीं है कि पूरी बाउट के दौरान आक्रामक रहो, अगर आप आगे हो जाते हो तो आप थोड़ा सहज हो जाते हो.’