इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच 8 जुलाई से एशेज सीरीज का पहला मैच खेला जाना है. क्रिकेट इतिहास में एशेज सीरीज का खास महत्व है. 68 एशेज सीरीज में ऑस्ट्रेलिया ने 32 बार और इंग्लैंड ने 31 बार जीत दर्ज की है.
इस दौरान खेले गए 320 मैचों में ऑस्ट्रेलिया ने 128 मैच जीते हैं जबकि इंग्लैंड के नाम 103 जीत दर्ज हैं. दोनों टीमों के बीच 5 बार सीरीज ड्रॉ पर खत्म हुई है. एशेज सीरीज को दोनों ही टीमें सम्मान की लड़ाई के तौर पर देखती हैं.
एशेज सीरीज के दौरान दोनों टीमों के बीच रोमांच चरम सीमा तक पहुंच जाता है. इसका इतिहास भी कम रोचक नहीं है.
ऐसे पड़ा 'ऐशेज' नाम
1882 में इंग्लैंड क्रिकेट जगत का बेताज बादशाह माना जाता था. उसे हराना किसी भी टीम के लिए बहुत बड़ी बात थी. उसी दौरान ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को उसी के घर में मात दी थी. ओवल मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली हार ना इंग्लिश क्रिकेट फैन्स को पची और ना ही वहां की मीडिया को. 'द स्पोर्टिंग टाइम्स' अखबार ने उस समय लिखा- 'इंग्लैंड क्रिकेट मर चुका है, उसकी लाश जलाई जा चुकी है और राख (एशेज) ऑस्ट्रेलिया ले गया.' इसके बाद 1982-83 में इंग्लैंड को ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाना था.
इस दौरे से पहले इंग्लैंड के कप्तान इवो ब्लिग ने कहा था कि वो उस राख (एशेज) को वापस लेकर आएंगे. इस बयान के बाद इंग्लिश मीडिया ने इस सीरीज को 'रिगेन द एशेज' नाम दे दिया. ब्लिग की कप्तानी में इंग्लैंड ने तीन टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले दो टेस्ट जीतकर सीरीज अपने नाम की. मेलबर्न विमेन के एक ग्रुप ने ब्लिग को एक छोटी सी ट्रॉफी दी. इस ट्रॉफी को क्रिकेट की गिल्ली की राख से बनाया गया था. ऑस्ट्रेलिया में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में इस्तेमाल की गई गिल्ली से यह राख बनाई गई.
इसे ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट की राख कहा गया. यह ब्लिग के लिए एक निजी तोहफा था तो इसे कभी एशेज की आधिकारिक ट्रॉफी नहीं बनाया गया. इसकी रेप्लिका सीरीज में देखने को मिलती है. एशेज ट्रॉफी को लॉर्ड्स के एमसीसी म्यूजियम में रखा गया है.
हर चार साल में कम से कम एक बार एशेज सीरीज होती है. इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया दोनों इस सीरीज को ऑल्टरनेट मौके पर होस्ट करते हैं.