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न्यूजीलैंड में रहने वाले इस क्रिकेटर ने छुड़ाए थे टीम इंडिया के छक्के

न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में हार गई टीम इंडिया. कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने भी माना कि इस हार के लिए हमारे तेज गेंदबाज जिम्मेदार हैं. हमारे मन में अकसर ही ये सवाल उठता है कि आज की टीम इंडिया के गेंदबाज विकेट क्यों नहीं झटक पाते? पर सच तो यह है कि हमारा सामना इस प्रॉब्लम से अकसर होता आया है.

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ब्रूस पैराउड्यू
ब्रूस पैराउड्यू

न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में हार गई टीम इंडिया. कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने भी माना कि इस हार के लिए हमारे तेज गेंदबाज जिम्मेदार हैं. हमारे मन में अकसर ही ये सवाल उठता है कि आज की टीम इंडिया के गेंदबाज विकेट क्यों नहीं झटक पाते? पर सच तो यह है कि हमारा सामना इस प्रॉब्लम से अकसर होता आया है.

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बात 1953 की है. त्रिनिदाद के क्वीन्स पार्क ओवल मैदान में वेस्टइंडीज के खिलाफ विजय हजारे की कप्तानी पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने 417 रन बनाए. इसमें पॉली उमरीगर के 130 रन का योगदान था.

मेजबान टीम 190 रन के स्कोर पर चार विकेट खो चुकी थी. फ्रेंक वॉरेल और क्लाइड वालकॉट पवेलियन लौट चुके थे. इसके बाद अपना पहला मैच खेल रहा एक 22 साल का नौजवान क्रीज पर आता है. नाम ब्रूस पैराउड्यू. क्रीज के दूसरे छोर पर महान एवर्टन वीक्स अपना शतक बनाकर खेल रहे थे. फिर कुछ ऐसा हुआ जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. विंडीज का अगला विकेट 409 रन पर गिरा. इस दौरान एवर्टन वीक्स ने दोहरा शतक जड़ा, और अपना पहला मैच खेल रहे ब्रूस पैराउड्यू ने शतक.

इस साल अप्रैल महीने में 83 साल पूरा करने वाले ब्रूस पैराउड्यू ने मेल टुडे से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा, 'अपने पहले मैच में सैकड़ा जड़ना अद्भुत था. हम मुश्किल में थे. वीक्स उस वक्त तक सैकड़ा जड़ चुके थे. हम दोनों के बीच 200 रनों की साझेदारी हुई. उन्होंने अपना दोहरा शतक बनाया और मैंने सेंचुरी. गौर करने वाली बात यह है कि उस वक्त की भारतीय टीम बहुत मजबूत थी. विजय हजारे के अलावा उनके पास विनू मानकड, माधव आप्टे, गुलाबराय रामचंद, पॉली उमीरगर और दत्तू फाड़कर थे. पर मेरे हिसाब से उस टीम का सबसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी सुभाष गुप्ते था. वो बेहतरीन लेग स्पिनर था. शायद उसने 150 विकेट लिए और बाद में वेस्टइंडीज में आकर बस गया. वो बेहतरीन गुगली, लेग स्पिनर, स्किडर्स गेंदें फेंकता था. हम शुरू में उसे पढ़ नहीं पाते थे हालांकि धीरे-धीरे हम उसकी गेंदों को समझने लगे. वीनू मानकड के साथ उसकी जोड़ी घातक थी.'

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आपको बता दें कि ब्रूस 1958 से न्यूजीलैंड में रह रहे हैं. वो वेस्टइंडीज टीम के साथ 1956 में न्यूजीलैंड दौरे पर गए थे. उन्हें इस देश से प्यार हो गया और वो वहीं के हो गए.

हालांकि ब्रूस पैराउड्यू का क्रिकेट करियर बहुत लंबा नहीं रहा. भारत के खिलाफ यादगार 115 रनों की पारी के बाद वे वेस्टइंडीज के लिए 12 टेस्ट मैच खेले. उनका बैटिंग औसत 21 के आसपास थे. ऐसे औसत के साथ विंडीज के उस महान टीम का हिस्सा बन पाना लगभग नामुमकिन था.

ब्रूस पैराउड्यू के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया के डॉन ब्रैडमैन उनके जेनरेशन के सबसे बेहतरीन क्रिकेटर थे. वो कहते हैं, 'ब्रैडमैन बेहतरीन था. मैंने उसे खेलते नहीं देखा पर एक बार जब मैं ऑस्ट्रेलिया गया तो उसे फोन करके अपने बारे में बताया. तो उसने जवाब में कहा कि हां, मैंने तुम्हारे बारे में अखबारों में पढ़ा है. मुझे सचिन तेंदुलकर याद है जब वो न्यूजीलैंड दौरे पर आया था. बहुत यंग था. पर दुख की बात है कि मैंने उसे ज्यादा खेलते नहीं देखा.'

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