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माउंटेन बाइकिंग की भविष्य का सितारा है अक्षित गौर

महज 16 साल की उम्र में साइकिल से पहाड़ियों का सीना चीरना कोई आसान काम नहीं लेकिन शिमला के अक्षित गौर को देखकर लगता है कि वह यह कला पेट से सीखकर आए हों.

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अक्षित गौर
अक्षित गौर

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महज 16 साल की उम्र में साइकिल से पहाड़ियों का सीना चीरना कोई आसान काम नहीं लेकिन शिमला के अक्षित गौर को देखकर लगता है कि वह यह कला पेट से सीखकर आए हों. अक्षित ने यहां सम्पन्न हीरो एमटीबी शिमला रैली के स्टुडेंट वर्ग में पहला और ओवरऑल वर्ग में दूसरा स्थान लाकर साबित कर दिया है कि वह आने वाले समय में भारत में माउंटेन बाइकिंग के सितारे बनकर उभरेंगे.

शिमला के सेंट एडवर्ड्स स्कूल में कक्षा 12वीं के छात्र अक्षित, टूटू में रहते हैं. उनके पिता उत्तराखंड में व्यवसायी हैं और उनकी मां भारतीय दूर संचार निगम लिमिटेड में कार्यरत हैं. अक्षित भारत के सबसे प्रतिभाशाली चालक और हीरो एमटीबी शिमला-2016 रैली के विजेता देवेंद्र ठाकुर की देखरेख में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं.

हीरो एमटीबी टीम के सदस्य अक्षित में साइकिल चालन की नैसर्गिक प्रतिभा है. इस बात का अंदाजा सिर्फ इसी से लगाया जा सकता है कि एमटीबी शिमला रैली में हिस्सा लेने वाले 105 चालकों में वह दूसरे स्थान पर रहे. वह अपने मेंटॉर देवेंद्र से पीछे रहे लेकिन लेकिन उनके लिए यह एक महान सफलता है.

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अक्षित ने शिमला रैली के पहले दिन स्टुडेंट वर्ग में पहला और ओवरऑल वर्ग में दूसरा स्थान हासिल किया और दूसरे दिन कठिन हालात का सामना करते हुए वह अपने स्थिति को बनाए रखने में सफल रहे. रेस के बाद उनके मेंटॉर देवेंद्र, शिमला रैली का आयोजन कराने वाले हिमालया एडवेंचर एंड टूरिज्म प्रोमोशन एसोसिएशन (हस्तपा) के कर्ताधर्ता आशीष सूद और तमाम चालकों ने अक्षित की सफलता के गुण गाए.

खुद अक्षित भी इस सफलता से फूले नहीं समा रहे थे. अक्षित ने कहा, ‘मेरे लिए यह बड़ी सफलता है. मैंने इसके लिए काफी तैयारी की थी. देवेंद्र सर से मुझे काफी मदद मिली थी. मैं आने वाले दिनों में एमटीबी हिमालया जैसी बड़ी रेस के लिए खुद को तैयार करना चाहता हूं. अभी मैं इस रेस में हिस्सा नहीं ले सकता क्योंकि मैं नाबालिग हूं.’

कुफरी के करीब चीनी बंगला में फिनिश लाइन सबसे पहले पार कर मेन्स सोलो वर्ग का खिताब जीतने वाले देवेंद्र ने कहा, ‘अक्षित में बहुत प्रतिभा है. वह हर कठिनाई का सामना करने को तैयार है. शिमला रैली के रेस ट्रैक को हमने अभ्यास के दौरान कई बार पार किया. इसी दौरान मुझे अहसास हो गया कि अक्षित इस साल जरूर अच्छा प्रदर्शन करेगा.’

हस्तपा को इस बात का गर्व है कि इस साल अक्षित के अलावा गौरीश श्याम ने भी शिमला का नाम रौशन किया. गौरीश 15 साल के हैं और शिमला के डीएवी स्कूल में पढ़ते हैं. 2015 में गौरीश ने स्टुडेंट वर्ग में दूसरा स्थान हासिल किया था और इस साल भी वह दूसरे स्थान पर रहे. बीते साल गौरीश ओवरऑल वर्ग में पांचवें स्थान पर रहे थे.

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अपने प्रतिभा खोज अभियान को लेकर आशीष ने कहा, ‘अक्षित के हमने अपने स्कूल प्रोग्राम के तहत खोजा था. आज देखिए वह कहां खड़ा है. वह आज दिग्गजों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है और उन्हें हरा भी रहा है. हस्तपा को इस बात का गर्व है कि उसने जिन प्रतिभाओं को खोजा और निखारा है, उन्होंने उम्मीद से बढ़कर प्रदर्शन किया है.’

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