टीम इंडिया की टेस्ट टीम के नए कप्तान विराट कोहली , तुम्हारे कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी आ गई है. सिडनी में होने वाले बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के आखिरी टेस्ट में क्रिकेट जगत की नजरें तुम्हारी कप्तानी पर ही टिकी होंगी. हम सबने एडिलेड टेस्ट में तुम्हारी टेस्ट कप्तानी का डेब्यू देखा भी और उसे सराहा भी. कप्तान के तौर पर तुम निडर भी दिखे और तुम्हारे अंदर लीडरशिप क्वालिटी भी दिखी, लेकिन अभी तुम्हें बहुत कुछ सीखना है. हम सबको तुमसे बहुत उम्मीदे हैं लेकिन साथ ही डर भी है. सीरीज के पहले टेस्ट में तुम्हारी आक्रामक कप्तानी देखकर हम रोमांचित हुए लेकिन बाद के दो टेस्ट मैचों में तुम्हारी आक्रामकता ने कुछ हदें तोड़ी, जिसे देखकर हम थोड़े डरे हुए भी हैं. पांच ऐसी बातें जो विराट को धोनी की कप्तानी से सीखनी चाहिए
सच कहूं तो तुम्हारा यह एटीट्यूड हमें थोड़ा खतरनाक लगता है, जो न सिर्फ तुम्हारे लिए बल्कि पूरी टीम इंडिया के लिए मुसीबत बन सकता है. तुमने अभी 32 टेस्ट मैच ही खेले हैं लेकिन तुम्हारी बल्लेबाजी ने हम सबको तुम्हारा कायल बना दिया. पिछले तीन सालों में इसी बल्लेबाजी के दम पर तुम्हारी तुलना क्रिकेट के 'भगवान' कहे जाने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर से की गई. और सच कहूं तो यह तुलना गलत भी नहीं लगती है. लेकिन फिर वही एक बात तुम्हारा एटीट्यूड हमें डराता है. निर्भीक होना अच्छी बात है लेकिन क्रिकेट भद्रजनों का खेल है और इसकी छवि बनाए रखना सभी क्रिकेटरों का काम है.
ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर तुमने जिस तरह से प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाकर यह कह दिया कि मिशेल जॉनसन का मैं सम्मान नहीं करता और वो सम्मान डिजर्व भी नहीं करता है, वो गलत था. एक क्रिकेटर के तौर पर तुम्हारा इस तरह का बयान कतई शोभनीय नहीं था. ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की स्लेजिंग का जवाब अगर हम भी उसी भाषा में देने लगेंगे तो हममें और उनमें फर्क ही क्या रह जाएगा? तुम तेंदुलकर को अपना गुरु बोल चुके हो लेकिन तेंदुलकर ने तो ऐसा कभी नहीं किया. इस तरह के एटीट्यूड से तुम्हारा ही नुकसान होगा.
किसी भी तेज गेंदबाज की फब्तियों का जवाब देने के लिए तुम्हारा बल्ला काफी है और तुम उसका भरपूर इस्तेमाल भी कर रहे हो, लेकिन इसके साथ गलत तरह के बयान देकर तुम खुद के और टीम के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हो. गुस्सा और आक्रामकता दिखाने का तुम्हारा अंदाज शुरू से सही नहीं रहा है, लेकिन तुम्हारी बल्लेबाजी ने हमें ये सब नजरअंदाज करने के लिए मजबूर किया. आईपीएल मैच में गौतम गंभीर से मैदान पर उलझना हो या सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर दर्शकों को अभद्र इशारा करना, हमें लगा कि तुमने इन गलतियों से सबक लिया है. लेकिन ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर हमें फिर तुम्हारा वही रूप दिखाई देने लगा है.
आक्रामकता अगर पॉजिटिव हो तो टीम के लिए संजीवनी बन जाती है और अगर यही निगेटिव हो तो जहर का काम करती है. तुम्हारे ऊपर अब यह जिम्मेदारी है कि तुम्हें टीम को संजीवनी देनी है या जहर. विराट तुम बल्लेबाज के तौर पर वाकई विराट हो चुके हो लेकिन कप्तान के तौर पर अभी लंबा सफर तय करना है तुमको. आक्रामकता को अपनी यूएसपी बनाओ और इसकी अति से बचते हुए टीम इंडिया को फिर से नंबर एक की राह पर लौटाओ.