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Asian Games हॉकी: रिकॉर्ड 76 गोल दागने वाली भारतीय टीम का आज मलेशिया के खिलाफ 'टेस्ट'

एशियाई खेलों के सेमीफाइनल में आज भारत का मुकाबला मलेशिया से है. दोनों टीमें फाइनल में पहुंचने के लिए पूरा जोर लगाएंगी. भारत ने ग्रुप ए के लीग मुकाबलों में अटैकिंग हॉकी खेलते हुए रिकॉर्ड 76 गोल दागे हैं.

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भारतीय हॉकी टीम
भारतीय हॉकी टीम

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18वें एशियाई खेलों में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने अटैकिंग हॉकी खेली है और अपने पूल के सभी मैच जीते हैं. कुछ ऐसा ही नजारा आज मलेशिया के खिलाफ सेमीफाइनल में भी देखने को मिल सकता है. भारतीय टीम मलेशिया को रौंद कर शाही अंदाज में फाइनल में पहुंचना चाहेगी. भारतीय समयानुसार यह अहम मुकाबला शाम 4.00 बजे शुरू होगा.

डिफेंडिंग चैंपियन भारत ने पूल 'ए' के लीग मुकाबलों में आक्रामक हॉकी खेल कर पांच मैचों में अब तक 76 गोल दागे हैं, जो किसी भी टूर्नामेंट में किए गए सबसे ज्यादा गोल करने का रिकॉर्ड भी बन गया है. अंतरराष्ट्रीय हॉकी के 110 साल के इतिहास में किसी टीम ने एक टूर्नामेंट में 76 गोल नहीं किए हैं. इससे पहले 2004 में अर्जेंटीना ने ओंटारियो-कनाडा में पैन-एम कप में रिकॉर्ड 68 गोल किए थे.

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भारत ने पूल 'ए' में इंडोनेशिया पर 17-0, हांगकांग पर 26-0, जापान पर 8-0, कोरिया पर 5-3 से और श्रीलंका को 20-0 से शिकस्त दी थी. पाकिस्तान से 1-4 से हारने के अलावा मलेशिया का भी पूल चरण में प्रदर्शन अच्छा रहा है, उसने कजाखस्तान पर 16-2, थाईलैंड पर 10-0, बांग्लादेश पर 7-0 और ओमान पर 7-0 से जीत दर्ज की है.

भारतीय हॉकी टीम का पिछले साल मलेशिया के खिलाफ रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा. भारतीय टीम को दो बार शिकस्त झेलनी पड़ी है. एक बार उसे लंदन में 2017 हॉकी विश्व लीग सेमीफाइनल में 2-3 से, जबकि अजलन शाह कप में 0-1 से पराजय का मुंह देखना पड़ा. लेकिन इसके बाद भारतीय खिलाड़ियों ने मलेशिया के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया. पहले ढाका में 2017 एशिया कप में उन्होंने सुपर 4 में मलेशिया को 6-2 से हराया और इसके बाद उसके खिलाफ 2-1 की करीबी जीत से एशिया कप खिताब अपने नाम किया. अजलन शाह कप में भारत ने फिर मलेशिया को 5-1 से मात दी और गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में 2-1 से करीबी जीत दर्ज की.

हाल के नतीजों के बावजूद मुख्य कोच हरेंद्र सिंह इस बात से पूरी तरह सतर्क हैं कि मलेशिया उनके सामने कड़ी चुनौती पेश कर सकता है. उसे 2010 ग्वांग्झू एशियाई खेलों में मलेशिया से पराजय का सामना करना पड़ा था. एशियाड 2010 से पहले भारतीय हॉकी टीम मलेशिया से 10 बार भिड़ चुकी थी. लेकिन ग्वांग्झू में उन्हें इस महाद्वीपीय प्रतिद्वंद्वी से पहली हार मिली थी. तब भी हरेंद्र ही टीम के कोच थे और इस हार के बाद उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा सौंप दिया था.

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आठ साल बाद हरेंद्र को उस दर्दनाक हार का बदला चुकता करने का मौका मिला है और उनके खिलाड़ी भी अपने कोच को जीत का तोहफा देने को बेताब होंगे. भारतीय कप्तान पीआर श्रीजेश ने कहा, ‘हम अपना रिकॉर्ड साफ ही रखना चाहेंगे. हमारे डिफेंस की योजना यही है, लेकिन हमने कोरिया के खिलाफ गलतियां कीं. हमने उस मैच की वीडियो दोबारा देखा और मलेशिया के खिलाफ मैच से पहले आकलन किया कि हम कहां खुद को सही कर सकते हैं क्योंकि वे काफी सतर्क हॉकी खेलते हैं.'

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