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ASIAN GAMES : क्या है सेपक टाकरा? जिस खेल में भारत को मिला पहला मेडल

पहली बार भारतीय पुरुष टीम ने सेपक टाकरा खेल में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. भारत को ग्रुप-बी के सेमीफाइनल मुकाबले में थाईलैंड के खिलाफ 0-2 से हार का सामना करना पड़ा. भारत ने सेमीफाइनल में पहुंच कर पहले ही पदक पक्का कर लिया था.

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सेपक टाकरा में भारत ने जीता ब्रॉन्ज मेडल
सेपक टाकरा में भारत ने जीता ब्रॉन्ज मेडल

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भारत ने पुरुष रेगू टीम स्पर्धा में गत विजेता थाइलैंड से हारने के बावजूद एशियाई खेलों में सेपक टाकरा में अपना पहला पदक जीता. भारत की पुरुष रेगू टीम थाइलैंड से 0-2 से हार गई, लेकिन उसने कांस्य जीता क्योंकि सेमीफाइनल में हारने वाली दोनों टीमों को पदक दिया जाता है.

वॉलीबॉल, फुटबॉल और जिम्नास्टिक का मिश्रण

सेपक टाकरा भारत के नॉर्थ ईस्ट का प्रसिद्ध खेल है. इस खेल में वॉलीबॉल, फुटबॉल और जिम्नास्टिक का मिश्रण है. इस खेल को इंडोर हाल में 20 गुणा 44 के आकार की जगह में सिंथेटिक फाइबर की गेंद से इस खेल को खेला जाता है. यह खेल दो प्रकार से खेला जाता है. पहला टीम इवेंट होता है, जिसमें 15 खिलाड़ी होते हैं. दूसरा रेगू इवेंट होता है, इसमें 5 खिलाड़ी इस खेल में शामिल होते हैं. एशियाई खलों में भारत 2006 से इस खेल में भाग ले रहा है, लकिन पहली बार कोई पदक हाथ आया है.

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 1990 से एशियाई खेलों का हिस्सा

इस खेल को 1990 के एशियन गेम्स में शामिल किया गया. हरियाणा सरकार ने खेल नीति स्कूल शिक्षा विभाग ने सेपक टाकरा खेल को मान्यता दे रखी है. पिछले कई सालों से हरियाणा के खिलाड़ी इस खेल में मेडल जीत रहे हैं. भारत सरकार इस खेल को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है. देश के राज्य स्तर पर कई जगह प्रतियोगिताएं हो रही हैं.

थाईलैंड-मलेशिया परंपरागत ताकत

इस खेल में थाईलैंड और मलेशिया परंपरागत ताकत रहे हैं. थाइलैंड ने एशियाई खेलों में सेपक टकारा में अब तक 22 स्वर्ण पदक जीते हैं, जबकि मलेशिया के खाते में 3 स्वर्ण हैं. मुख्य कोच हेमराज ने कहा कि भारतीय टीम पिछले दो महीने से थाईलैंड से प्रशिक्षण ले रही थी और इससे उसके प्रदर्शन पर असर पड़ा. उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘हमारे खिलाड़ी अब आगे इससे बेहतर प्रदर्शन ही करेंगे.’

मणिपुर में यह खेल काफी लोकप्रिय है और टीम के 12 सदस्यों में से आठ मणिपुर के, जबकि अन्य दिल्ली के हैं. टीम के एक अन्य अधिकारी मुहिंद्रो सिंह थोकचोम ने कहा, ‘देश के बाकी हिस्से के लोगों की तुलना में मणिपुर के लोग खेल को तेजी से समझते हैं. वे नैसर्गिक रूप से चुस्त होते हैं और पैरों का काफी अच्छे से इस्तेमाल करते हैं.'

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