भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर पी आर श्रीजेश को लगता है कि खिलाड़ियों का राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों के लिये कानूनी रास्ता अपनाना चिंताजनक है और इससे इन पुरस्कारों से जुड़ा सम्मान और प्रतिष्ठा कम होती है.
कानूनी रास्ता अपनाना गलत
श्रीजेश ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अर्जुन पुरस्कार हासिल करने के बाद कहा, 'खिलाड़ियों और कोचों को पुरस्कार हासिल करने के लिये अदालतों के दरवाजे नहीं खटखटाने चाहिए. पिछले कुछ समय से ऐसा हो रहा है लेकिन इससे खिलाडि़यों की गलत तस्वीर पेश होती है और पुरस्कार से जुड़ी प्रतिष्ठा की चमक फीकी पड़ जाती है.'
एक अपील आयोग की जरूरत
उन्होंने आगे कहा, 'मेरी राय में एक अपील पैनल होना चाहिए. यदि खिलाड़ी को लगता है कि चयन प्रक्रिया सही नहीं थी तो वह पैनल में अपनी अपील दायर कर सकता है. कानूनी रास्ता अपनाने के बजाय इस मसले से निबटने का यह बेहतर तरीका होगा.'
अगले साल भी कर सकते हैं आवेदन
श्रीजेश ने कहा, 'इसके अलावा आपके पास अगले साल पुरस्कार के लिये आवेदन करने का विकल्प है. टाम जोसेफ (वॉलीबॉल खिलाड़ी) का उदाहरण देख लो. उन्हें लंबे समय तक नजरअंदाज करने के बाद आखिर में पिछले साल अर्जुन पुरस्कार मिल गया.'
इस साल भी रहा विवादों का साया
गौरतलब है कि इस बार भी पुरस्कार विवादों से घिरे रहे. कुछ एथलीटों और कोचों ने मंत्रालय से नियुक्त पैनल की सिफारिशों को स्वीकार नहीं किया. जब लग रहा था कि इस बार के समारोह से पहले कोई विवाद नहीं होगा तभी पैरा एथलीट एच एन गिरिशा ने सानिया मिर्जा को खेल रत्न देने की सिफारिश को कर्नाटक उच्च न्यायालय में चुनौती दे दी. यही नहीं कुश्ती कोच विनोद कुमार का मामला अदालत में लंबित है. विनोद ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके दावा किया कि वह अनूप कुमार की तुलना में द्रोणाचार्य पुरस्कार पाने के अधिक हकदार है. सरकार से नियुक्त पैनल ने अनूप कुमार के नाम की सिफारिश की थी.
इनपुट: भाषा