आस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क का मानना है कि टेस्ट क्रिकेट को बचाने के लिए इसे डे नाइट मैच में तब्दील करने की जरूरत नहीं है. एक क्रिकेट वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में क्लार्क ने कहा, मैं समझता हूं कि खेल के तीनों फॉर्मेट के लिए गुंजाइश है. यह अच्छा है कि वनडे और टी20 क्रिकेट डे नाइट के हो सकते हैं. लेकिन मैं नहीं मानता कि टेस्ट क्रिकेट को बचाने के लिए हमें डे नाइट टेस्ट की जरूरत है.
तैंतीस वर्षीय क्लार्क ने इसके साथ ही न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान मार्टिन क्रो की विरोधी खिलाडि़यों के प्रति ऑस्ट्रेलियाई आक्रामकता की आलोचना का भी जवाब दिया. इस बल्लेबाज ने आस्ट्रेलियाई रवैये को कड़ा और निष्पक्ष करार दिया. उन्होंने कहा, हम मैदान पर कड़ी क्रिकेट खेलते हैं लेकिन ऑस्ट्रेलियाई होने के नाते हम जानते हैं कि यहां कोई सीमा है जो हम पार नहीं कर सकते. आप इसके करीब जा सकते हैं लेकिन इसे पार नहीं कर सकते. यह ऑस्ट्रेलियाई तरीका है कि मैदान पर कड़ी और गैर समझौता वाली क्रिकेट खेलो.
साल 2013 के क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुने गए क्लार्क की एशेज सीरीज के दौरान इंग्लैंड के फास्ट बॉलर जेम्स एंडरसन के साथ कहासुनी हो गई थी. लेकिन बाद में उन्हें अपनी हरकत सही नहीं लगी. ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने स्वीकार किया कि इंग्लैंड का नंबर 11 बल्लेबाज ब्रिस्बेन टेस्ट के दौरान जब तेज गेंदबाज मिशेल जानसन के सामने गार्ड ले रहा था तो उन्होंने कहा था कि वह अपना हाथ तुड़वाने के लिए तैयार रहे. क्लार्क ने कहा, मैंने जेम्स एंडरसन से जो कुछ कहा था वह सही नहीं था. विशेषकर स्टंप माइक्रोफोन के इतने करीब से कहना. कई बार जब आप उच्च स्तर पर अंतरराष्ट्रीय खेल खेलते हो तो भावनाएं हावी हो जाती हैं.
रिकी पोंटिंग के बाद कप्तानी का दायित्व संभालने वाले क्लार्क पर अक्सर मैदान पर पोंटिंग शैली की आक्रामकता अपनाने का आरोप लगता रहा है. उन्होंने कहा, हम खेल का जज्बा बनाए रखने के लिए वह सब कुछ करते हैं जो हमारे हाथ में है. खेल की अखंडता महत्वपूर्ण है. हम सभी जानते हैं कि एक खिलाड़ी और निश्चित तौर पर ऑस्ट्रेलिया के कप्तान के रूप में यह मेरा काम है कि हम खेल की अखंडता सुनिश्चित करें.