मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने 2007 क्रिकेट विश्व कप कप में हार को अपने पेशेवर कैरियर का सबसे खराब लम्हा करार दिया और इसके लिए बल्लेबाजी क्रम में चूक को जिम्मेदार ठहराया.
सही नहीं था बल्लेबाजी क्रम
भारत वेस्टइंडीज में आयोजित इस हाई प्रोफाइल टूर्नामेंट के सुपर आठ चरण में भी जगह नहीं बना पाया था और बांग्लादेश तथा श्रीलंका के हाथों शिकस्त के बाद पहले दौर से ही बाहर हो गया. तेंदुलकर ने ग्रेग चैपल के बारे में कुछ नहीं कहा और जोर दिया कि वह ड्रेसिंग रूम की बातों का खुलासा नहीं करेंगे लेकिन उन्हें इस बारे में कोई संदेह नहीं कि बल्लेबाजी क्रम ‘परफेक्ट’ नहीं था. तेंदुलकर ने इस प्रतियोगिता में चौथे नंबर पर बल्लेबाजी की जबकि रोबिन उथप्पा को उनके उपर भेजा गया. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमारा बल्लेबाजी क्रम सही नहीं था.’’ मास्टर ब्लास्टर ने कहा, ‘‘यह बड़ा टूर्नामेंट था और हमारे पास बेहतरीन टीम थी. सब कुछ ठीक लग रहा था लेकिन मुझे लगता है कि हमारा बल्लेबाजी क्रम सही नहीं था. यह भारत के टूर्नामेंट से जल्दी बाहर होने कुछ कारणों में से एक था.’’
ड्रेसिंग रूम की बातें बाहर नहीं आनी चाहिए
चैपल भारत के साथ अपने विवादास्पद कार्यकाल के अंतिम दौर में थे और उन्होंने तेंदुलकर सहित कई सीनियर खिलाड़ियों के साथ मनमानी की थी. मुंबई के इस खिलाड़ी ने हालांकि कुछ भी खुलासा करने से इनकार कर दिया. तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मैं इस बारे में विस्तृत तौर पर कुछ नहीं कहना चाहता. मेरा मानना है कि जो ड्रेसिंग रूम में हुआ उसे ड्रेसिंग रूम में ही रहना चाहिए. लेकिन बेशक चीजें इससे अलग हो सकती थीं.’’ बांग्लादेश ने ग्रुप बी के मैच में भारत को पोर्ट ऑफ स्पेन में पांच विकेट से हराया और तेंदुलकर ने कहा कि यह टीम के उनके साथियों के लिए बुरा मैच था. तेंदुलकर ने कहा, ‘‘हम उम्मीद के मुताबिक नहीं खेले. ऐसा नहीं है कि हमने प्रयास नहीं किया लेकिन ऐसे दिन भी आते हैं जब चीजें आपके पक्ष में नहीं होती और यह उन दिनों में से एक था.’’
निराशाजनक था 2007 विश्वकप में हारना
मास्टर ब्लास्टर ने कहा कि टीम का जल्दी बाहर होना उनके टीम के कप्तान के रूप में विफल होने से अधिका पीड़ादायक था लेकिन टीम के कप्तान के रूप में अपनी छाप नहीं छोड़ पाने का उन्हें कोई खेद नहीं है. तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मुझे कोई खेद नहीं है. कप्तानी व्यक्तिगत नहीं टीम से जुड़ा मामला है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘बेशक टीम के हारने पर पीड़ा होती है लेकिन 2007 विश्व कप में हारना अधिक निराशाजनक था.’’ पंद्रह नवंबर को एकदिवसीय क्रिकेट में 20 साल पूरे करने वाले तेंदुलकर ने कहा कि वह खुद को बिलकुल फिट महसूस कर रहे हैं और 2011 विश्व कप में खेलने को लेकर उत्सुक हैं. उन्होंने कहा, ‘‘भगवान का शुक्र है कि मेरा शरीर पूरी तरह फिट है. बेशक मैं 2011 विश्व कप को लेकर उत्सुक हूं और भगवान की कृपा रही तो हम वह हासिल करने में सफल रहेंगे जो हम हासिल करना चाहते हैं.’’ यह पूछने पर कि संन्यास लेने के बाद वह किस तरह याद रहना चाहेंगे, तेंदुलकर ने कहा, ‘‘एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जो टीम के लिए खेला और जो टीम का सच्चा, निष्पक्ष और ईमानदार सदस्य था. एक ऐसा व्यक्ति जो जिसने अपना सब कुछ दिया और टीम के लिए सब कुछ करना चाहता था.’’