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SC को जवाब देने के लिए विशेष बैठक बुलाएगा BCCI

जस्टिस आरएम लोढ़ा की सिफारिशों को लेकर ‘रास्ते पर आने’ के लिए सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद बीसीसीआई ने फैसला किया कि वह कोर्ट को जवाब देने से पहले आम सभा की विशेष बैठक (एसजीएम) बुलाएगा.

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बीसीसीआई
बीसीसीआई

जस्टिस आरएम लोढ़ा की सिफारिशों को लेकर ‘रास्ते पर आने’ के लिए सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद बीसीसीआई ने फैसला किया कि वह कोर्ट को जवाब देने से पहले आम सभा की विशेष बैठक (एसजीएम) बुलाएगा.

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पेशे से स्वयं वकील बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर ने अपने विधि पैनल की बैठक में हिस्सा लिया जिसमें पीएस रमन (तमिलनाडु, अध्यक्ष), डीवीएसएस सोमायाजुलु (आंध्र) और अभय आप्टे (महाराष्ट्र) शामिल हैं. बैठक में कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी भी मौजूद थे.

पता चला है कि बैठक में फैसला किया गया कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट को जवाब देने से पहले जल्द से जल्द एसजीएम का आयोजन किया जाए जिससे विभिन्न मान्यता प्राप्त इकाइयों का नजरिया पता चल सके.

बीसीसीआई के नियमों के अनुसार एसजीएम के आयोजन के लिए 21 दिन का नोटिस देना जरूरी है लेकिन अध्यक्ष के पास अधिकार हैं कि वह सचिव को कम समय के नोटिस पर एसजीएम के आयोजन के लिए कहे और ऐसी स्थिति में कम से कम 10 दिन का नोटिस दिया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने चार फरवरी को कहा था कि समिति की सिफारिशें ‘सीधी, तर्कसंगत और समझ में आने योग्य’ हैं और ‘सम्मान की हकदार हैं’’ और ‘‘समिति से अहसमत होने की कोई वजह नहीं है जिसमें विधिक समुदाय के सबसे प्रबुद्ध और सम्मानित सदस्य हैं.’

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सिफारिशों को लागू करने पर जवाब देने के लिए बीसीसीअई को चार हफ्ते का समय दिया गया है लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया कि सिफारिशों को स्वीकार करने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने बीसीसीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफड़े के इस कथन के बाद ये टिप्पणियां की कि इन सिफारिशों पर बोर्ड के 30 सदस्यों में परामर्श की आवश्यकता है और चूंकि बोर्ड की कानूनी समिति की बैठक 7 फरवरी को हो रही है, इसलिए जवाब देने के लिए चार सप्ताह का वक्त दे दिया जाए.

हालांकि, पीठ ने कहा, ‘आप सभी को सुना जा चुका है और आपने समिति को अपने दृष्टिकोण से अवगत भी करा दिया था. अपने मुवक्किल से कहिए कि सिफारिशों पर सख्त नजरिया अपनाए. आप बच नहीं सकते. आप सिफारिशें देखिए. इन सिफारिशों का सम्मान होना चाहिए. ये विधिक समुदाय के सबसे प्रबुद्ध और सम्मानित सदस्यों ने दी हैं. उन्होंने लोगों को आमंत्रित किया था और सभी पक्षों के साथ विस्तार से विचार विमर्श किया. सिफारिशें सीधी, समझ में आने योग्य और तर्कसंगत हैं.’

पीठ ने कहा कि सबसे अच्छा होगा कि रास्ते पर आ जाओ और परेशानियों से बचने के लिए सुझावों का पालन करो.

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