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स्पॉट फिक्सिंग मामला: BCCI की नई कमेटी को लेकर विरोध शुरू

आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी प्रकरण से मुसीबतों में घिरी बीसीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उसे भ्रष्टाचार मामले की जांच के लिए प्रतिष्ठित लोगों की तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है. रविवार को यहां हुई बोर्ड की आपात बैठक के दौरान जांच समिति के सदस्यों के रूप में पूर्व भारतीय ऑलराउंडर रवि शास्त्री, कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जेएन पटेल और सीबीआई के पूर्व निदेशक आरके राघवन के नामों का सुझाव कोर्ट को देने का फैसला किया गया.

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आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी मामले सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनाई गई तीन सदस्यीय कमेटी का विरोध शुरू हो गया है. इस मामले पर बोर्ड को कोर्ट में घसीटने वाले गैरमान्यता प्राप्त क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार के प्रमुख आदित्य वर्मा ने समिति का विरोध करते हुए सीबीआई या एनआईए में से किसी एक से मामले की जांच की मांग की है. रविवार को यहां हुई बोर्ड की आपात बैठक के दौरान जांच समिति के सदस्यों के रूप में पूर्व भारतीय ऑलराउंडर रवि शास्त्री, कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जेएन पटेल और सीबीआई के पूर्व निदेशक आरके राघवन के नामों का सुझाव कोर्ट को देने का फैसला किया गया.

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बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष शशांक मनोहर ने विदर्भ क्रिकेट संघ के प्रतिनिधि के तौर पर बैठक में हिस्सा लिया. पता चला है कि लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के नाम पर भी बैठक में विचार किया गया लेकिन बाद में कार्य समिति ने उपरोक्त तीन लोगों को चुना. सुप्रीम कोर्ट ने 16 अप्रैल को मामले की पिछली सुनवाई के दौरान आईपीएल छह स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी प्रकरण की निष्पक्ष जांच के लिए लोगों के नाम का सुझाव देने को कहा था.

सुप्रीम कोर्ट के 22 अप्रैल को अगली सुनवाई के दौरान बीसीसीआई के सुझाव पर विचार करने और जांच के भविष्य के रुख पर आदेश देने की संभावना है. बोर्ड से मान्यता प्राप्त कुछ इकाइयों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कार्य समिति की आपात बैठक बुलाने की मांग की थी जिसके बाद यह बैठक बुलाई गई.

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सुप्रीम कोर्ट ने 16 अप्रैल को कहा था कि बीसीसीआई को अपनी संस्थानिक स्वायत्तता बनाए रखने के लिए एन श्रीनिवासन और 12 अन्य के खिलाफ सट्टेबाजी और स्‍पॉट फिक्सिंग मामले में जांच करनी चाहिए क्योंकि अदालत न्यायमूर्ति मुकुल मुदगल समिति द्वारा लगाए गए आरोपों पर आंखे बंद नहीं कर सकता. न्यायमूर्ति एके पटनायक और न्यायमूर्ति एफएम इब्राहिम खलीफुल्ला की बेंच हालांकि एसआईटी या सीबीआई से जांच कराने के पक्ष में नहीं थी. बेंच ने कहा था कि बीसीसीआई की संस्थानिक स्वायत्तता बनाए रखना जरूरी है और इस मुद्दे पर गौर करने के लिए बीसीसीआई द्वारा गठित समिति को प्राथमिकता दी जाएगी.

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