भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व फिजियो जॉन ग्लॉस्टर का मानना है कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड को चोटों से जूझने वाले तेज गेंदबाज वरुण एरोन को लेकर सतर्कता बरतने की जरूरत है जिससे कि सुनिश्चित हो सके कि उनका अंतरराष्ट्रीय करियर लंबा और सफल रहे.
वर्ष 2005 से 2008 तक भारतीय टीम के साथ काम करने वाले ग्लॉस्टर ने कहा कि काम के बोझ को उचित तरह से बांटना भारतीय तेज गेंदबाजों के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में भी चिंता की बात है.
भारतीय टीम से जुड़े रहने के दौरान जहीर खान, आशीष नेहरा और अजित अगरकर जैसे तेज गेंदबाजों के साथ काम करने वाले ग्लास्टर ने 2015 आईसीसी वर्ल्ड कप प्रचार कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘वरुण 24 साल के आसपास है और वह पहले ही पीठ की सर्जरी करा चुका है. इतनी कम उम्र में यह सही चीज नहीं है. वे ऐसा तेज गेंदबाज है जिसके साथ काफी सतर्कता बरतने की जरूरत है क्योंकि उसकी चोट उबर सकती है.’ ग्लॉस्टर के मुताबिक प्रत्येक तेज गेंदबाज का फिटनेस कार्यक्रम दूसरे से अलग होता है.
ग्लॉस्टर ने कहा, ‘वरुण एरोन 90 मील प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करता है जबकि भुवनेश्वर कुमार बमुश्किल 80 मील की रफ्तार को छू पाता है. दोनों का फिटनेस कार्यक्रम पूरी तरह से अलग होगा क्योंकि काम का बोझ भी पूरी तरह से अलग है.’
इशांत शर्मा के टखने की चोट के उभरने के बारे में पूछने पर ग्लॉस्टर ने कहा कि इंग्लैंड के हालात में गेंदबाजी करना पूरी तरह से अलग है. उन्होंने कहा, ‘जहां तक मुझे पता है इशांत का रिहैबिलिटेशन काफी अच्छा रहा. समस्या यह है कि जब तेज गेंदबाज को इंग्लैंड में काउंटी खेलने का अनुभव नहीं होता तो उन्हें नरम मैदान पर दिक्कत आती है. तेज गेंदबाजों को लैंडिंग के समय टखने पर काफी झटका लगता है.’
ग्लॉस्टर ने कहा, ‘यही कारण है कि भारतीय लड़कों के लिए अहम है कि वह काउंटी क्रिकेट खेलें. जाक (जहीर खान) को देखिये. वोरसेस्टरशर के साथ एक सत्र बिताने के बाद वह बिलकुल बदला हुआ गेंदबाज था. मैंने सरे के साथ काम किया है और मुझे लगता है कि काउंटी क्रिकेट में खेलते हुए खिलाड़ी फिटनेस बनाए रखने के बारे में अधिक सीखते हैं.’