सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि बिहार की टीम बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) के तहत रणजी ट्रॉफी और अन्य घरेलू टूर्नामेंट में हिस्सा लेगी. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि क्रिकेट के हितों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है.
अदालत का यह आदेश तब आया, जब प्रतिपक्षी क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार (सीएबी) के आदित्य वर्मा ने अदालत से कहा कि 15 नवंबर 2000 को झारखंड के गठन के बाद और राज्य के विभाजन के बाद से बिहार को रणजी ट्रॉफी, दलीप ट्रॉफी और किसी अन्य घरेलू टूर्नामेंट में खेलने का अवसर नहीं मिला है.
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की ओर से वरिष्ठ वकील शेखर नापहाडे ने अदालत को बताया कि जमशेदपुर में मुख्यालय होने के कारण बीसीए की सदस्यता झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन को मिल गई, जिसे बीसीसीआई ने मान लिया.
उन्होंने अदालत को बताया कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को एसोसिएट सदस्य के रूप में मान्यता मिली है और 2018 में घरेलू टूर्नामेंटों में हिस्सा लेने के लिए तैयार भी है. इस पर मुख्य न्यायाधीश मिश्रा ने कहा, 'हम आपके बयान को दर्ज करेंगे.' नापहाडे ने कहा कि बीसीए के तहत टूर्नामेंटों में हिस्सा लेने के लिए बिहार को कई अन्य औपचारिकताओं को पूरा करना होगा.'