अपनी गेंदबाजी में रफ्तार के दम पर टीम इंडिया में जगह बनाने वाले तेज गेंदबाज उमेश यादव का कहना है कि वो किसी भी कीमत पर इससे समझौता नहीं करेंगे. उमेश ने कहा, ‘एक तेज गेंदबाज के तौर पर मुझे इस बारे में स्पष्ट रहना होगा कि मेरी प्राथमिकता क्या है. मेरी ताकत रफ्तार के साथ अच्छी गेंदबाजी करना है और जब तक मैं टीम इंडिया में हूं, मेरा यही लक्ष्य होगा.’ उन्होंने कहा कि रफ्तार कम करने से उन्हें समस्या होगी.
उन्होंने कहा, ‘अगर टीम इंडिया में तीनों फॉर्मेट में खेलने के लिए मेरा चयन हुआ है तो वह सिर्फ रफ्तार के कारण हुआ है. पिछले सीजन में चोटिल होने के बावजूद रफ्तार कम करने का ख्याल कभी मेरे जेहन में नहीं आया.’ नया सीजन शुरू होने पर खिलाड़ियों के नई तकनीक या शैली अपनाने की बात होती है, लेकिन उमेश का कहना है कि कोई भी तेज गेंदबाज मौजूदा तरीकों के अलावा अपनी गेंदबाजी में नईबात नहीं ला सकता.
उमेश ने कहा, ‘मुझे बताइये कि एक गेंदबाज क्या नया कर सकता है जो आपने देखा न हो. यह अहम है कि जो आप कर रहे हैं, लगातार वहीं करें.’ यहां तक कि महान खिलाड़ी ग्लेन मैकग्रा की सलाह थी कि ‘स्पॉट ढूंढो और वहां लगातार हिट करते रहो.’
यादव ने कहा, ‘मैं भारत में और जब हमने 2011 में ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था, वहां भी कई बार मैकग्रा से मिला हूं. मैकग्रा ने मुझे बताया कि प्रत्येक गेंदबाज, भले ही वह तेज गेंदबाज हो या मध्यम गति का गेंदबाज, उसे ऐसा क्षेत्र ढूंढने की जरूरत होती है, जहां किसी को हिट करने की जरूरत होती है. प्रत्येक गेंदबाज की लेंथ अलग होती है, लेकिन अगर कोई अपनी सही लेंथ ढूंढ लेता है तो इससे बढ़कर कुछ और चीज कुछ नहीं है.’ काफी भारतीय तेज गेंदबाजों में शॉर्ट गेंदबाजी करने की प्रवृति है लेकिन यादव लेंथ गेंद को तरजीह देते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों को भी मुश्किल आ सकती है.
उन्होंने कहा, ‘दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में उछाल भरी पिचों पर शॉर्ट गेंदबाजी करना आसान हो जाता है. टेस्ट स्तर के बल्लेबाज गेंदों को छोड़ने के आदी होते हैं. उछाल भरी पिचों पर फुल गेंदबाजी करना बेहतर होता है, क्योंकि बल्लेबाज ड्राइव करने के बारे में सोचेगा.’
इस साल के अंत में टीम इंडिया के दक्षिण अफ्रीका दौरे के बारे में बात करते हुए यादव इस बात से खुश थे कि वह तेज गेंदबाजों के मुरीद पिचों पर खेलेंगे. यादव ने कहा कि वनडे में दो नई गेंदों का इस्तेमाल नई गेंद से गेंदबाजी करने वाले गेंदबाजों के लिए काफी मददगार हो रहा है.
उन्होंने कहा, ‘यह अच्छा है कि अब हमें वनडे में दो नई गेंद मिलती हैं. यहां तक कि 40वें और 42वें ओवर में गेंद लगभग 20 ओवर ही पुरानी होती है. इसलिए यह तब भी कड़ी रहती है और स्विंग हासिल करना आसान हो जाता है.’