केंद्रीय प्रशासनिक पंचाट (कैट) ने राष्ट्रमंडल खेलों के लिये सुरक्षा प्रमुख की नियुक्ति का खुलासा नहीं करके समय ‘बरबाद’ करने के लिये आयोजन समिति को लताड़ लगाते हुए उस पर 20, 000 रुपये का जुर्माना भी ठोका है. सुरक्षा प्रमुख की नियुक्ति को लेकर पिछले एक साल से मामला लंबित पड़ा है.
पंचाट की बैंगलोर पीठ ने कहा, ‘यह ओछी और बेमतलब की मुकदमेबाजी थी जो कि कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करके आवेदक (आयोजन समिति) ने शुरू की थी. किसी भी व्यक्ति या पार्टी को बिना किसी कारण के इस तरह की कार्यवाही शुरू करने या जारी रखने के लिये रोका जाना जरूरी है.’ पंचाट ने यह फैसला खेलों की सुरक्षा के लिये अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) की नियुक्ति को लेकर सुनवाई के दौरान सुनाया.
यह पद केंद्र सरकार और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आर पी शर्मा के बीच कानूनी जंग के कारण पिछले एक साल से खाली पड़ा था. आयोजन समिति ने 2008 में गृह मंत्रालय के पास इस पद के लिये 1987 के कर्नाटक कैडर के आईपीएस अधिकारी शर्मा के नाम की सिफारिश की थी. आयोजन समिति और कर्नाटक की सरकार की सिफारिश के आधार पर शर्मा ने दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों से संबंधित बैठकों में भाग लिया. {mospagebreak}
हालांकि केंद्रीय खेल एवं युवा कल्याण मंत्रालय के ‘गहन विचार विमर्श’ के बाद शर्मा के नाम को मंजूरी नहीं मिली. अपना नाम नामंजूर होने के बाद शर्मा ने जनवरी 2009 में कैट की बैंगलोर शाखा में याचिका दायर करके केंद्र को उनके आवेदन पर विचार करने के लिये निर्देश देने को कहा. कैट ने अप्रैल 2009 में इस मामले की सुनवाई करते हुए प्रतिवादी केंद्रीय गृह मंत्रालये को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सर्कलुर में दिये गये निर्देशों के अनुसार काम करने के लिये कहा जिसमें कहा गया था कि प्रतिनियुक्ति के मामले में कैबिनेट सचिव की की अध्यक्षता वाली समिति में शर्मा के नाम पर विचार किया जा सकता है और वह इसके योग्य हैं.
अदालत ने इसके साथ ही कहा था कि गृह मंत्रालय को शर्मा का मामला समिति के पास रखकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास सिफारिश भेजनी चाहिए तथा यह पूरी प्रक्रिया इस साल 30 मई से पहले पूरी करने की जरूरत है. हालांकि शर्मा जून में फिर से कैट की शरण में चले गये कि सरकार ने उसके आदेश का पालन नहीं किया. अदालत ने तब तत्कालीन गृह सचिव मधुकर गुप्ता को कारण बताओ नोटिस भेजा था और अदालत के आदेश का पालन नहीं करने के लिये उसके समक्ष उपस्थित होने के लिये कहा था.
इस बीच केंद्र सरकार ने कैट के आदेश के खिलाफ बैंगलोर उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी और कहा कि गुप्ता को समन भेजा जाना गलत था क्योंकि वह सेवानिवृत हो गये हैं और कहा कि केवल सेवारत अधिकारी को ही समन भेजा जा सकता है. कैट ने इसके बाद गृह सचिव जी के पिल्लई को नोटिस भेजकर उनसे जवाब मांगा. दो अगस्त को केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि उन्हें भारत के अतिरिक्त सालिसिटर जनरल मोहन परासरन की मदद चाहिए. {mospagebreak}
दिलचस्प तथ्य यह है कि एक साल की कानूनी जंग के बाद आयोजन समिति ने हाल में कहा, ‘एडीजी की आगे जरूरत नहीं है क्योंकि आयोजन समिति ने सुरक्षा कारणों और इनके उल्लंघन के कई खतरों को देखते हुए पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक की रैंक के आईपीएस अधिकारी की सेवाएं लेने का फैसला किया है.’
इससे नाखुश कैट ने कहा, ‘हमें यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं कि यह पूरी प्रक्रिया संबंधित पक्षों की बेमतलब की मुकदमेबाजी थी जिसके कारण अदालत और अन्य पक्षों का समय बर्बाद हुआ.’ कैट ने आयोजन समिति को शर्मा को 20 हजार रुपये अदा करने का आदेश देते हुए कहा, ‘इसलिए इस तरह की कार्यवाही को रोकने और हतोत्साहित करने के लिये हम चेतावनी के तहत यह जुर्माना लगा रहे हैं.’ अदालत ने अवमानना कार्यवाही से संबंधित मामले की सुनवाई 27 अगस्त को करने का फैसला किया.