दो बार बढ़त बनाने के बाद गंवाने वाली भारतीय हॉकी चैंपियंस ट्रॉफी हॉकी के आखिरी लीग मैच में ओलंपिक चैंपियन जर्मनी से 2-3 से हार गई. इसके बावजूद वह गोल औसत के आधार पर पूल ए में शीर्ष पर रही.
भारत और जर्मनी दोनों के छह-छह अंक हैं लेकिन पिछले दो मैच दो गोल के अंतर से जीतने वाली भारतीय टीम औसत में आगे रही.
भारत का गोल औसत प्लस तीन था जबकि जर्मनी का माइनस एक रहा. इंग्लैंड चार अंक लेकर तीसरे स्थान पर रहा जिसे न्यूजीलैंड ने 1-1 से ड्रा पर रोका. न्यूजीलैंड एक अंक लेकर चौथे स्थान पर रहा.
भारत ने पहला गोल छठे मिनट में ही दाग दिया जब गुरविंदर सिंह चांडी ने सर्किल के भीतर रूपिंदर पाल सिंह से मिले पास पर गेंद गोल के भीतर डाली.
जर्मनी के लिये 14वें मिनट में ओलिवर कोर्न ने बराबरी का गोल दागा. भारत के कमजोर डिफेंस का फायदा उठाकर उसने रिबाउंड पर गोल किया जबकि पहला शॉट चूक गया था.
भारत ने फिर 46वें मिनट में बढ़त बनाई जब पहले पेनल्टी कार्नर पर बीरेंद्र लाकड़ा के शॉट को नितिन थिमैया ने गोल की ओर मोड़ा. पेनल्टी कार्नर पर वी आर रघुनाथ का शॉट गोलकीपर ने बचा लिया जिसके बाद रिबाउंड पर लाकड़ा को गेंद मिली.
भारत की बढ़त को तोबियास मतानिया ने उतारा. पहले उसने 56वें मिनट में लांग पास पर गोल किया और दूसरा गोल पेनल्टी कार्नर पर दागा.
भारत की वापसी की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए जर्मनी ने काफी धीमा और रक्षात्मक खेल दिखाया. भारतीयों ने पलटवार भी किये लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. आखिरी सीटी बजने से चार मिनट पहले भारत को मिला पेनल्टी कार्नर रेफरल के बाद रद्द कर दिया गया.