फ्लोरियन फुस्क द्वारा 60वें मिनट में किए गए उम्दा फील्ड गोल की मदद से नौ बार के चैंपियन जर्मन हॉकी टीम ने शनिवार को चैंपियंस ट्रॉफी-2014 के पूल-बी के अपने पहले मुकाबले में मेजबान भारत को 1-0 से हरा दिया. कलिंगा स्टेडियम में खेले गए इस मैच को 16 हजार से अधिक दर्शकों ने देखा लेकिन शानदार हॉकी के बाद उन्हें अंतत: निराशा हाथ लगी. भारत ने उम्दा खेल दिखाया लेकिन उसे जीत नहीं नसीब हुई.
भारत ने अपने खिलाफ हुए एकमात्र गोल के खिलाफ रेफरल मांगा लेकिन उसे नकार दिया गया. यह भारत का दुर्भाग्य ही है कि दो मौकों पर रेफरल में जीत हासिल करने के बाद सबसे अहम मुकाम पर उसके रेफरल को नकार दिया गया. चैंपियंस ट्रॉफी में जर्मनी के हाथों भारत की यह नौवीं हार है.
बहरहाल, खचाखच भरे स्टेडियम में जब दोनों टीमों के बीच मुकाबला शुरु हुआ तब कप्तान सरदार सिंह मैदान पर नहीं थे. चोटिल होने के कारण उन्हें शुरुआती अंतिम एकादश में शामिल नहीं किया गया. सरदार ने हालांकि पांचवें मिनट में स्थानापन्न के तौर पर मैदान में प्रवेश किया.
जर्मन टीम ने आठवें मिनट में पेनाल्टी कार्नर हासिल किया. यह पेनाल्टी ठीक से नहीं रोका जा सका था नतीजतन जर्मन टीम को दूसरा प्रयास करने का मौका मिला. भारतीय डिफेंडर के पैर पर गेंद लगने के कारण रेफरी ने भारत के खिलाफ पेनाल्टी शूट का फैसला सुनाया लेकिन भारत ने रेफरल मांगते हुए फैसला बदलने की अपील की. उसकी इस अपील को स्वीकार कर लिया गया और रेफरल में भारत की जीत हुई.
भारत ने 13वें मिनट में जर्मन गोलपोस्ट पर जोरदार हमला किया. जर्मन रक्षापंक्ति द्वारा गलत तरीके से गेंद रोकने को लेकर भारत ने पेनाल्टी कार्नर की मांग की लेकिन उसे नकार दिया गय. भारत ने रेफरल की मांग की, जिसके बाद उसे पेनाल्टी कॉर्नर मिला. भारत हालांकि गोल करने के अपने प्रयास में सफल नहीं हो सका.
दोनों टीमों के लगातार हमलों के बीच 32वें मिनट में जर्मनी को दूसरा पेनाल्टी कॉर्नर मिला लेकिन भारतीय गोलकीपर और उपकप्तान पीआर श्रीजेश ने अपनी दाईं ओर छलांग लगाते हुए मोरित्ज फुस्ते के गोल करने के प्रयास को नाकाम कर दिया.
इसी क्रम में जर्मनी को 47वें मिनट में दूसरा पीसी मिला लेकिन श्रीजेश ने मैट्स ग्रैमबक के शानदार स्टीकवर्क को बेकार कर दिया. गेंद को क्लीयर करने के प्रयास में भारतीय डिफेंडर दूसरा जर्मनी को चौथा पीसी दे बैठे लेकिन श्रीजेश ने फुस्ते के प्रयास को एक बार फिर नाकाम कर दिया.
चैंपियंस ट्रॉफी में भारत और जर्मनी के बीच यह 14वां मुकाबला था. भारत ने 12 बार चैंपियंस ट्रॉफी खेला है. 1996 में दोनों टीमों के बीच दो मुकाबले हुए थे.
भारत ने चार मौकों पर जीत हासिल की है जबकि जर्मन टीम आठ बार विजयी रही है. एक मैच ड्रॉ रहा है. भारत ने 1982 में 3-2, 1986 में 3-2, 2002 में 3-2 और 2003 में 3-1 से जीत हासिल की थी.
वर्ष 2012 में आयोजित चैंपियंस ट्रॉफी के बीते संस्करण में भारत और जर्मन टीमों के बीच पूल मैच में सामना हुआ था, जिसमें जर्मन टीम 3-2 से विजयी रही थी. भारत हालांकि इस हार के बाद भी पूल में अव्वल रहा था.
भारत को अपने दूसरे पूल मैच में रविवार को अर्जेटीना से भिड़ना है, जिसे शनिवार को ही अपने पहले पूल मैच में नीदरलैंड्स के हाथों 0-3 की हार झेलनी पड़ी. फ्लोरियन फुस्क द्वारा 60वें मिनट में किए गए उम्दा फील्ड गोल की मदद से नौ बार के चैंपियन जर्मन हॉकी टीम ने शनिवार को चैंपियंस ट्रॉफी-2014 के पूल-बी के अपने पहले मुकाबले में मेजबान भारत को 1-0 से हरा दिया. कलिंगा स्टेडियम में खेले गए इस मैच को 16 हजार से अधिक दर्शकों ने देखा लेकिन शानदार हॉकी के बाद उन्हें अंतत: निराशा हाथ लगी. भारत ने उम्दा खेल दिखाया लेकिन उसे जीत नहीं नसीब हुई.
भारत ने अपने खिलाफ हुए एकमात्र गोल के खिलाफ रेफरल मांगा लेकिन उसे नकार दिया गया. यह भारत का दुर्भाग्य ही है कि दो मौकों पर रेफरल में जीत हासिल करने के बाद सबसे अहम मुकाम पर उसके रेफरल को नकार दिया गया. चैंपियंस ट्रॉफी में जर्मनी के हाथों भारत की यह नौवीं हार है.
बहरहाल, खचाखच भरे स्टेडियम में जब दोनों टीमों के बीच मुकाबला शुरु हुआ तब कप्तान सरदार सिंह मैदान पर नहीं थे. चोटिल होने के कारण उन्हें शुरुआती अंतिम एकादश में शामिल नहीं किया गया. सरदार ने हालांकि पांचवें मिनट में स्थानापन्न के तौर पर मैदान में प्रवेश किया.
जर्मन टीम ने आठवें मिनट में पेनाल्टी कार्नर हासिल किया. यह पेनाल्टी ठीक से नहीं रोका जा सका था नतीजतन जर्मन टीम को दूसरा प्रयास करने का मौका मिला. भारतीय डिफेंडर के पैर पर गेंद लगने के कारण रेफरी ने भारत के खिलाफ पेनाल्टी शूट का फैसला सुनाया लेकिन भारत ने रेफरल मांगते हुए फैसला बदलने की अपील की. उसकी इस अपील को स्वीकार कर लिया गया और रेफरल में भारत की जीत हुई.
भारत ने 13वें मिनट में जर्मन गोलपोस्ट पर जोरदार हमला किया. जर्मन रक्षापंक्ति द्वारा गलत तरीके से गेंद रोकने को लेकर भारत ने पेनाल्टी कार्नर की मांग की लेकिन उसे नकार दिया गय. भारत ने रेफरल की मांग की, जिसके बाद उसे पेनाल्टी कॉर्नर मिला. भारत हालांकि गोल करने के अपने प्रयास में सफल नहीं हो सका.
दोनों टीमों के लगातार हमलों के बीच 32वें मिनट में जर्मनी को दूसरा पेनाल्टी कॉर्नर मिला लेकिन भारतीय गोलकीपर और उपकप्तान पीआर श्रीजेश ने अपनी दाईं ओर छलांग लगाते हुए मोरित्ज फुस्ते के गोल करने के प्रयास को नाकाम कर दिया.
इसी क्रम में जर्मनी को 47वें मिनट में दूसरा पीसी मिला लेकिन श्रीजेश ने मैट्स ग्रैमबक के शानदार स्टीकवर्क को बेकार कर दिया. गेंद को क्लीयर करने के प्रयास में भारतीय डिफेंडर दूसरा जर्मनी को चौथा पीसी दे बैठे लेकिन श्रीजेश ने फुस्ते के प्रयास को एक बार फिर नाकाम कर दिया.
चैंपियंस ट्रॉफी में भारत और जर्मनी के बीच यह 14वां मुकाबला था. भारत ने 12 बार चैंपियंस ट्रॉफी खेला है. 1996 में दोनों टीमों के बीच दो मुकाबले हुए थे.
भारत ने चार मौकों पर जीत हासिल की है जबकि जर्मन टीम आठ बार विजयी रही है. एक मैच ड्रॉ रहा है. भारत ने 1982 में 3-2, 1986 में 3-2, 2002 में 3-2 और 2003 में 3-1 से जीत हासिल की थी.
वर्ष 2012 में आयोजित चैंपियंस ट्रॉफी के बीते संस्करण में भारत और जर्मन टीमों के बीच पूल मैच में सामना हुआ था, जिसमें जर्मन टीम 3-2 से विजयी रही थी. भारत हालांकि इस हार के बाद भी पूल में अव्वल रहा था.
भारत को अपने दूसरे पूल मैच में रविवार को अर्जेटीना से भिड़ना है, जिसे शनिवार को ही अपने पहले पूल मैच में नीदरलैंड्स के हाथों 0-3 की हार झेलनी पड़ी.
इनपुट-IANS