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सौरव गांगुली ने कहा- सचिन तेंदुलकर समेत कई सीनियर प्लेयर्स को हटाना चाहते थे चैपल

सौरव गांगुली ने एक बहुत बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि ग्रेग चैपल टीम इंडिया से सचिन तेंदुलकर को निकालना चाहते थे. गांगुली ने ये बातें इंडिया टुडे ग्रुप के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई को बताई. गांगुली ने बताया कि वो इसके लिए राजी नहीं थे तभी उनसे कप्तानी ले ली गई थी.

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FILE PHOTO: सौरव गांगुली और ग्रेग चैपल
FILE PHOTO: सौरव गांगुली और ग्रेग चैपल

सौरव गांगुली ने एक बहुत बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि ग्रेग चैपल टीम इंडिया से सचिन तेंदुलकर को निकालना चाहते थे. गांगुली ने ये बातें इंडिया टुडे ग्रुप के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई को बताई. गांगुली ने बताया कि वो इसके लिए राजी नहीं थे तभी उनसे कप्तानी ले ली गई थी.

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सौरव गांगुली ने बताया, ‘चैपल मेरी कप्तानी की शिकायत मेरे पीछे दूसरे प्लेयर्स से मेरी कप्तानी की शिकायत करते थे जिसके बारे में मैंने सेलेक्टर्स को बता दिया था. मुझे आज भी मुंबई में हुई वो मीटिंग याद है, तब मैंने ये ही बातें उठाई थीं. मुझे कप्तानी से हटाया गया क्योंकि तब मुझे कई सीनियर प्लेयर्स को टीम से हटाने को कहा गया था लेकिन मैंने इसके लिए साफ मना कर दिया था. तब मुझे सचिन, लक्ष्मण, जहीर, हरभजन और सहवाग को हटाने को कहा गया था. मैंने साफ मना कर दिया कि आप अचानक ऐसा नहीं कर सकते.’

सौरव ने साफ कहा कि सचिन ने खुद अपनी किताब में इसके बारे में लिखा है. इसलिए अब इस बात के सामने आने पर यह मेरे लिए आश्चर्यजनक नहीं है. तब जिम्बाब्वे दौरे के बाद टीम से मुझे ही निकाल दिया गया और अब सचिन ये बातें सभी के सामने लेकर आए हैं. तो मुझे पता है कि ये बातें कहां से आ रही हैं.’

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गांगुली ने कहा, ‘2005 में मैंने कप्तानी खोई, तब भी मामला वही था और 2007 में वर्ल्ड कप से पहले भी. मुझे द्रविड़ के लिए अफसोस है क्योंकि यह सही नहीं है कि जब आप कप्तान होते हैं तो कोई आपके पीठ पीछे आपकी कप्तानी पर सवाल उठाए. मुझे यह भी पता है कि उसने मेरी कप्तानी के दौरान भी ऐसा ही किया. तब उसने राहुल से ऐसा कहा था. यह किसी के लिए भी बहुत दुखद है. मुझे चैपल और भारतीय क्रिकेट दोनों के लिए अफसोस है कि उन्होंने क्रिकेट के स्तर को इस हद तक गिरा दिया.’

गांगुली ने आगे कहा, ‘मुझे नहीं पता कि चैपल के दिमाग में क्या चल रहा था? वो भारतीय क्रिकेट को आगे बढ़ाने के लिए आए थे या इन सभी अनावश्यक चीजों को करने. मुझे इस बात का बेहद अफसोस है कि मैं तब भारतीय क्रिकेट का हिस्सा था जब पीछे ये सब चल रहा था.’

जब गांगुली से ये पूछा गया कि क्या सचिन ने अपनी किताब में जो लिखा है कि वो भारतीय क्रिकेट को कंट्रोल करना चाहते थे तो गांगुली ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि क्या ये क्रिकेट का ऑस्ट्रेलियाई तरीका है. हमारे पास जॉन राइट और गैरी कर्स्टन जैसे सफल विदेशी कोच रह चुके हैं, लेकिन मैं हमेशा अपने देश के कोच का फैन रहा हूं.’

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तब कोई सामने नहीं आया. क्या सीनियर प्लेयर्स ग्रेग चैपल से भयभीत थे? यह पूछने पर गांगुली ने कहा, ‘कभी-कभी एक खिलाड़ी के रूप में आप विवाद में नहीं पड़ना चाहते. आप इससे दूर रहना चाहते हैं. मैं समझ सकता हूं कि तब चुप्पी क्यों साधी गई. उन्हें यह दिख चुका था कि मेरे साथ क्या हुआ. सीरीज जीतने और टेस्ट में सेंचुरी लगाने के बाद भी मैंने अपनी कप्तानी खोई. उसके बाद मैं कभी भारत के लिए कप्तानी नहीं कर सका. उस समय दुनिया का बेस्ट वनडे प्लेयर होने के बाद भी मैं कभी वनडे नहीं खेल सका. उन्हें ये सब दिख चुका था. वो रिस्क नहीं लेना चाहते थे, और विवादों से दूर रहना स्वाभाविक था. मैं उन्हें दोष नहीं देता. मुझे टीम के खिलाड़ियों की वजह से हटाया गया यह मैं नहीं मानता. मेरे बाहर होने के पीछे न तो सचिन और न ही द्रविड़ थे.’

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