पाकिस्तानी कप्तान मिसबाह उल हक ने भारत के खिलाफ क्लीनस्वीप का स्वर्णिम अवसर गंवाने के लिये दिल्ली के सर्द मौसम और पिच के बदलते मिजाज को दोषी ठहराते हुए कहा कि इस तरह की परिस्थितियों में क्रीज पर टिके रहना भी बहुत मुश्किल था.
पाकिस्तान तीसरे एकदिवसीय मैच में 168 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 157 रन पर आउट हो गया और भारत ने दस रन से जीत दर्ज करके उसे क्लीन स्वीप नहीं करने दिया.
मिसबाह ने मैच के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘तापमान लगभग पांच या छह डिग्री था. हमने लाहौर में इस तरह के मौसम में अभ्यास किया था और कुछ टी-20 मैच खेले थे लेकिन पिच का मिजाज बदल रहा था. स्पिनरों को भी अच्छी उछाल मिल रही थी और ऐसे में क्रीज पर टिके रहना आसान नहीं था.’
उन्होंने कहा, ‘इस तरह की पिच बल्लेबाजी के लिये अनुकूल दिखती हैं लेकिन शाम को धुंध के कारण विकेट और खराब होता गया. हम यहां इतनी नमी की उम्मीद नहीं कर रहे थे. इस तरह के विकेट को पढ़ना बहुत मुश्किल होता है. क्रीज पर टिके रहना जरूरी था लेकिन भारतीय गेंदबाजों को भी श्रेय जाता है जिन्होंने परिस्थितियों का बहुत अच्छा उपयोग किया.’
मिसबाह ने कहा कि जब वह और नासिर जमशेद खेल रहे थे तब तक मैच उनके हाथ में था. उन्होंने कहा, ‘जब मैं और नासिर आउट हुए तो तब हमें लगा कि मैच हमारे हाथ से निकल सकता है. यदि हम थोड़ी देर और टिक जाते तो आसानी से लक्ष्य हासिल कर लेते.’
पाकिस्तानी कप्तान ने माना कि श्रृंखला काफी अच्छी रही लेकिन दोनों जमशेद और महेंद्र सिंह धोनी को छोड़कर दोनों टीमों के बल्लेबाजों को जूझना पड़ा. उन्होंने कहा, ‘श्रृंखला अच्छी रही लेकिन इस तरह की पिचों पर प्रदर्शन से आप किसी बल्लेबाज का आकलन नहीं कर सकते. आपने देखा होगा कि केवल जमशेद और धोनी ही रन बना पाये.’
मिसबाह ने इस बात को भी नकार दिया कि उनकी धीमी बल्लेबाजी के कारण पाकिस्तान को हार मिली. उन्होंने कहा, ‘जब मैं खेल रहा था तब तीन रन प्रति ओवर की औसत से रन चाहिए थे. हमें सात रन प्रति ओवर नहीं बनाने थे. तब क्रीज पर टिके रहना महत्वपूर्ण था. आखिर में यह साबित भी हो गया.’
मोहम्मद हफीज को सलामी बल्लेबाज के तौर पर नहीं भेजने के बारे में उन्होंने कहा, ‘उसके हाथ में क्षेत्ररक्षण के दौरान चोट लग गयी थी. वह बल्लेबाजी करने की स्थिति में भी नहीं था लेकिन टीम की जरूरत को देखते हुए वह दर्दनिवारक दवाईयां लेकर क्रीज पर उतरा.'