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लॉकडाउन में 15 साल की लड़की ने 1200 KM साइकिल चलाई, फेडरेशन ने दिया ये 'ऑफर'

कोरोना वायरस के कारण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बीच अपने पिता को साइकिल पर बिठाकर गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा पहुंची ज्योति को भारतीय साइकिलिंग फेडरेशन (सीएफआई) ट्रायल का मौका देगा.

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लॉकडाउन के बीच अपने पिता को साइकिल पर बिठाकर गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा पहुंची ज्योति.
लॉकडाउन के बीच अपने पिता को साइकिल पर बिठाकर गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा पहुंची ज्योति.

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  • ज्योति अगले महीने देगी साइकिलिंग ट्रायल

  • इंदिरा गांधी स्टेडियम में फेडरेशन लेगा टेस्ट

कोरोना वायरस के कारण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बीच अपने पिता को साइकिल पर बिठाकर गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा पहुंची ज्योति को साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (सीएफआई) ट्रायल का मौका देगा. सीएफआई फेडरेशन 15 साल की ज्योति को अगले महीने ट्रायल के लिए बुलाएगा. साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन ओंकार सिंह ने गुरुवार को बताया कि अगर ज्योति ट्रायल पास करती है, तो उसे दिल्ली स्थित आईजीआई स्टेडियम परिसर में अत्याधुनिक नेशनल साइकिलिंग अकादमी में ट्रेनी के रूप में चुना जाएगा.

फेडरेशन के चेयरमैन ने कहा कि अगर वह सीएफआई के मानकों पर थोड़ी भी खरी उतरती है, तो उसे विशेष ट्रेनिंग और कोचिंग मुहैया कराई जाएगी.

15 साल की ज्योति लॉकडाउन में अपने पिता मोहन पासवान को साइकिल पर बिठाकर 1200 किमी की दूरी सात दिनों में तय करके गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा पहुंच गई थी. ज्योति ने रोजाना 100 से 150 किमी साइकिल चलाई.

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साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन ओंकार सिंह ने कहा कि महासंघ हमेशा प्रतिभावान खिलाड़ियों की तलाश में रहता है और अगर ज्योति में क्षमता है, तो उसकी पूरी मदद की जाएगी.

चेयरमैन ने पीटीआई से कहा, ‘हम तो ऐसे प्रतिभावान खिलाड़ियों की तलाश में लगे रहते हैं और अगर लड़की में इस तरह की क्षमता है तो हम उसे जरूर मौका देंगे. अगर वह हमारे मापदंड पर खरी उतरती है, तो उसकी पूरी मदद करेंगे. विदेशों से आयात की गई साइकिल पर उसे ट्रेनिंग कराएंगे.’

लॉकडाउन के बाद ज्योति को ट्रायल का मौका देने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘मैंने उससे बात की थी और उसे बता दिया है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद जब भी मौका मिलेगा वह दिल्ली आए और इंदिरा गांधी स्टेडियम में हम उसका छोटा सा टेस्ट लेंगे.

ओंकार सिंह ने स्वीकार किया कि 15 साल की बच्ची के लिए रोजाना साइकिल चलाना आसान काम नहीं है. उन्होंने कहा, ‘14-15 साल की बच्ची के लिए रोजाना 100-150 किमी साइकिल चलाना आसान नहीं है. मैं मीडिया में आई खबरों के आधार पर ही बोल रहा हूं, लेकिन अगर उसने सचमुच में ऐसा किया है, तो वह काफी सक्षम है.’

ज्योति के पिता गुरुग्राम में रिक्शा चलाते थे और उनके दुर्घटना का शिकार होने के बाद वह अपनी मां और जीजा के साथ गुरुग्राम आई थी और फिर पिता की देखभाल के लिए वहीं रुक गई. इसी बीच कोविड-19 के कारण लॉकडाउन की घोषणा हो गई और ज्योति के पिता का काम ठप पड़ गया. ऐसे में ज्योति ने पिता के साथ साइकिल पर वापस गांव का सफर तय करने का फैसला किया.

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अपने घर में ही क्वारनटीन रहकर समय काट रही ज्योति ने कहा कि अगर उसे मौका मिलता है, तो वह ट्रायल के लिए तैयार है. ज्योति ने दरभंगा से फोन पर बताया, ‘साइकिलिंग महासंघ वालों का मेरे पास फोन आया था और उन्होंने ट्रायल के बारे में बताया. अभी मैं बहुत थकी हुई हूं, लेकिन लॉकडाउन के बाद अगर मुझे मौका मिलेगा, तो मैं जरूर ट्रायल में हिस्सा लेना चाहूंगी. अगर मैं सफल रहती हूं, तो मैं भी साइकिलिंग में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहती हूं.’

तीन बहन और दो भाइयों के बीच दूसरे नंबर की संतान ज्योति ने कहा कि वह पढ़ाई छोड़ चुकी हैं, लेकिन अगर मौका मिलता है तो दोबारा पढ़ाई करना चाहती हैं. ज्योति ने कहा, ‘मैं पढ़ाई छोड़ चुकी हूं, लेकिन अगर मौका मिला, तो मैं दोबारा पढ़ाई शुरू करना चाहती हूं.’

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