वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले दोनों मैचों में शानदार प्रदर्शन करने वाले तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी इन दिनों डेथ आवर में अपनी गेंदबाजी सुधारने में जुटे हुए हैं. शमी ने कहा कि अभ्यास सत्र में डेथ ओवरों की गेंदबाजी पर की गई मेहनत से ही उन्हें सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं. शमी ने कोच्चि में खेले गए पहले मैच में 66 रन देकर चार विकेट लिए थे, जबकि फिरोजशाह कोटला में शनिवार रात उन्होंने 33 रन देकर चार विकेट लिए.
शनिवार को हुए मैच में शमी ने ड्वेन स्मिथ का महत्वपूर्ण विकेट हासिल किया, जो वेस्टइंडीज की पारी के पतन की नींव रही. शमी ने बीसीसीआई टीवी को दिए इंटरव्यू में कहा, 'मैंने कुछ खास परिस्थितियों के लिए नेट्स पर काफी कड़ी मेहनत की. अभ्यास सत्र के दौरान गेंदबाज होने के नाते हम कुछ खास क्षेत्र को चिन्हित करके वहां पर गेंद करते हैं. सटीक यॉर्कर करने के लिए हमने स्टंप के आगे जूता रखकर अभ्यास किया. इससे मैच के दौरान सही यॉर्कर करने में मदद मिली.'
शमी ने आगे कहा, 'मेरा मानना है कि यदि एक गेंदबाज डेथ ओवरों में बेहतर परिणाम हासिल करना चाहता है तो उसकी यॉर्कर पर महारत होना जरूरी है.' डेथ ओवरों में गेंदबाजी भारत की कमजोरी रही है, लेकिन शमी ने इंग्लैंड और अब वेस्टइंडीज के खिलाफ अंतिम ओवरों में अच्छी गेंदबाजी करके कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की बड़ी चिंता दूर करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा रिवर्स स्विंग की भूमिका भी अहम होती है. यदि गेंदबाज अच्छी रिवर्स स्विंग हासिल करता है तो फिर वह बल्लेबाज को परेशानी में डाल सकता है.
पसंद है जिम्मेदारी
शमी ने कहा कि उन्हें जिम्मेदारियां पसंद हैं और वह पारी के किसी भी मोड़ पर गेंदबाजी करने के लिए तैयार रहते हैं. उन्होंने कहा, 'मैं किसी भी तरह की परिस्थिति में गेंदबाजी करने के लिए हमेशा तैयार रहता हूं. चाहे वह नई गेंद हो या पारी के बीच या फिर डेथ ओवरों में. मुझे जो भी जिम्मेदारी सौंपी जाती है, मैं उसे निभाने के लिए तैयार हूं. तेज गेंदबाज होने के नाते मैं जानता हूं कि नई गेंद और फिर पारी के आखिर में जिम्मेदारी संभालना बहुत महत्वपूर्ण होता है.'