इंग्लैंड में हुई टेस्ट सीरीज में जब टीम इंडिया को शर्मनाक हार मिली, तो इसका पोस्टमार्टम होना लाजमी था. बीसीसीआई ने इसमें क्रिकेटरों की पत्नियों और गर्लफ्रेंड्स को हार का दोषी ठहराया है. चलिए एक बार को मान लेते हैं कि पत्नियों और गर्लफ्रेंड्स की मौजूदगी से खिलाड़ियों का ध्यान भंग हुआ. लेकिन क्या टीम इंडिया के क्रिकेटरों का फील्ड पर कैच टपकाना, कैप्टन कूल एमएस धोनी की कप्तानी और रणनीति में कमी, टॉप ऑर्डर के बल्लेबाजों का बुरी तरह फेल होना और कोचिंग स्टाफ की नाकामयाबी को नजरअंदाज किया जा सकता है?
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क्रिकेटरों की पत्नियों और गर्लफ्रेंड्स पर हार का ठीकरा फोड़ कर बीसीसीआई क्या साबित करना चाहता है, ये तो वही जाने. लेकिन इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता कि भारत ने अपनी ही गलतियों की वजह से शर्मनाक तरीके से सीरीज 1-3 से गंवा दी. हारे तो हम पहले भी हैं, लेकिन इस हार ने क्रिकेट फैन्स समेत बीसीसीआई को भी झकझोर के रख दिया.
इस बार क्रिकेटरों की पत्नियों और गर्लफ्रेंड्स का मुद्दा इसलिए भी सुर्खियां बटोर रहा है, क्योंकि खबरें आई कि बीसीसीआई ने विराट कोहली को अपनी गर्लफ्रेंड और बॉलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा को साथ ले जाने की अनुमति दे दी. अगर यही विराट सीरीज में चल गए होते, तो इस बात का बतंगड़ कतई नहीं बनता, लेकिन विराट तो बुरी तरह फेल हुए. विराट 10 पारियों में 134 रन ही बना सके और ट्विटर से लेकर फेसबुक तक मजाक का पात्र बनकर रह गए.
खिलाड़ियों की पत्नियों और गर्लफ्रेंड्स पर दोष मढ़ने से पहले क्रिकेटरों की फॉर्म, फिटनेस, बेंच स्ट्रेंथ, कोच स्टाफ की नाकामयाबी, कप्तान के गलत फैसले, बल्लेबाजों का गैरजिम्मेदाराना तरीके से आउट होना जैसे मुद्दों पर बात होनी चाहिए. इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटर भी लंबे विदेशी दौरों पर अपनी पत्नियों और गर्लफ्रेंड्स के साथ आते हैं. हालांकि ईसीबी और सीए पत्नियों और गर्लफ्रेंड्स का क्रिकेटरों के साथ रहने का स्लॉट बनाकर चलते हैं. इससे लंबे दौरों पर क्रिकेटर को उनकी पत्नी/गर्लफ्रेंड का साथ भी मिल जाता है और इससे उनका ध्यान भी भंग नहीं होता.
टेस्ट सीरीज में तो हम अपनी नाक कटवा ही चुके हैं, और अगर हार के पोस्टमार्टम में असली मुद्दों को नजरअंदाज करेंगे तो वनडे और टी-20 में भी फजीहत ही हाथ लगेगी. अगर टीम को वापसी करनी है तो ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर काम करना होगा.
1- बल्लेबाज लगातार एक जैसी गलतियां करते गए और कोचिंग स्टाफ इसे सुधारने में पूरी तरह से फेल हुआ. टॉप ऑर्डर के बल्लेबाजों को टेस्ट सीरीज में अपनी गलतियों से सीख लेते हुए टेकनीक पर ध्यान देना चाहिए. कोचिंग स्टाफ की जिम्मेदारी है कि बल्लेबाजों को उनकी कमी बताएं और उसे सुधारें भी.2- नेट्स प्रैक्टिस को टीम इंडिया और गंभीरता से ले. चौथा टेस्ट गंवाने के बावजूद सीरीज के आखिरी टेस्ट से पहले प्रैक्टिस सेशन में कप्तान धोनी नजर नहीं आए थे.
3- फील्डिंग में सुधार टीम इंडिया की सबसे बड़ी जरूरतों में शुमार है. स्लिप में जिस तरह से खिलाड़ी कैच टपका रहे हैं, ऐसा लगता है कि वो कैच लेना ही भूल गए हैं. आसान से आसान कैच भी टीम इंडिया के धुरंधरों ने टपकाया और जिसके चलते भारत ने मैच गंवाया.
टीम अगर इन कमियों को दूर कर लेगी, तो विश्वास मानिए कि क्रिकेट फैन्स और मीडिया क्रिकेटरों की पत्नियों और गर्लफ्रेंड्स का मुद्दा भूल जाएंगे. भारतीय क्रिकेट फैन्स ऐसे ही हैं, अगर टीम जीते तो क्रिकेटरों को भगवान बना देते हैं और वही टीम हारे तो उसे कहीं का नहीं छोड़ते.