दिल्ली पुलिस को जो लीड मिल रही है, उसके अनुसार आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के पीछे अंडरवर्ल्ड का हाथ है. यानी कहीं न नहीं काली दुनिया से जुड़ा है क्रिकेट में फिक्सिंग का काला खेल. इस पूरे खेल में मोहरे कई हैं, लेकिन मास्टरमाइंड एक, जो सात समंदर पार बैठा है. अंडरवर्ल्ड से कैसे जुड़े हैं फिक्सिंग के तार इस बारे में मुंबई पुलिस ने ब्लूप्रिंट तैयार किया है.
चलिए आपको बताते हैं कि खिलाड़ियों से कैसे जुड़ा हुआ है अंडरवर्ल्ड. दरअसल, शुरुआत श्रीसंत के क्लब क्रिकेट के साथी जीजू से हुई. जीजू ने केरल छोड़कर जब दुबई में संपर्क बनाये तो वो बेटिंग सिंडिकेट के हाथों में आ गया. जीजू को सट्टेबाजी के पीछे चेहरों की भनक नहीं थी. उसे ये इल्म नहीं था कि स्टेडियम के भीतर और बाहर सट्टे के असली खिलाड़ी मुंबई के वो भाई हैं, जो अंडरवर्ल्ड की काली दुनिया चलाते हैं.
उधर, जुर्म के भाइयों को जब ये पता चला की जीजू की जेब में क्रिकेट का एक बड़ा जुगनू जगमगा रहा है, तो बेटिंग के बादशाहों की लार टपकने लगी. उन्हें लगा की जीजू के जरिये श्रीसंत तक पहुंचा जा सकता है. उन्होंने सोचा एक बार श्रीसंत हत्थे चढ़ गया तो राजस्थान रॉयल्स के कई खिलाड़ी सिंडिकेट के दस्ताने में होंगे.
फिक्सिंग की पूरी स्क्रिप्ट तैयार करने के बाद शुरू हुआ खिलाड़ियों के फांसने का सिलसिला. 'जूपिटर' कोडवर्ड नाम के बुकी ने जीजू से मुंबई में कई बार मुलाकात की और फिर एक और बुकी चांद भाई के जरिये फिक्सिंग की साजिश रची गयी. पुलिस सूत्रों के अनुसार जीजू ने श्रीसंत की मुलाकात कुछ नामी गिरामी बुकी से एक पांच सितारा होटल में कराई और फिर ऐश कैश का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ कि श्रीसंत अपने ही हाथों बोल्ड हो गए. श्रीसंत के कहने पर राजस्थान के दो उभरते खिलाड़ी अंकित चव्हाण और अजित चंदीला भी जीजू से मिले और उसकी गुगली के शिकार हुए.
जीजू ने दोनों नौजवान खिलाड़ियों को बताया कि स्पॉट फिक्सिंग इतनी आसान है कि टीम का कोई और खिलाड़ी समझ भी नहीं पायेगा और लाखों के वारे-न्यारे हो जायेंगे. ओवर में एक नो बॉल डालने के लिए 50 से 60 लाख मिल सकते हैं. जाहिर तौर पर छोटे शहर के ये खिलाड़ी माले-मुफ्त की इस पेशकश को नहीं ठुकरा सके और बेटिंग कार्टेल के शिकंजे में फंसते गए.
दुबई में बैठे अंडरवर्ल्ड के गुर्गों ने जब आईपीएल की एक कामयाब टीम की इस तिकड़ी को मोहरा बनते देखा तो फिर बड़े पैमाने पर स्पॉट फिक्सिंग का खेल शुरू हुआ. सूत्रों के मुताबिक खिलाड़ियों के हाथ जहां 50-60 लाख लग रहे थे वहीं बुकी एक एक ओवर में 20-20 करोड़ की बाजी जीत रहे थे. संयोग से ये सारा खेल मोबाइल फोन पर जारी था और दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल टीम के कानो में इसकी हर बात दर्ज हो रही थी.
अब सवाल ये कि अंडरवर्ल्ड से कैसे जुड़ा है फिक्सिंग का खेल. दरअसल 90 के दशक में छोटा राजन और शरद शेट्टी दुबई में बैठकर दाऊद इब्राहिम के लिए क्रिकेट का कार्टल चलाते थे. 1993 बम धमाकों के बाद जब छोटा राजन और दाऊद अलग हुए तो क्रिकेट में बेटिंग के भी दो सिंडिकेट हो गए. सबसे बड़ा सिंडिकेट दाऊद का फाइनेंस संभालने वाला शरद शेट्टी चलता था.
बेटिंग पर आधिपत्य जमाने के लिए छोटा राजन ने दुबई के इंडिया क्लब में शरद शेट्टी की गोली मारकर हत्या करवा दी. लेकिन 2005 आते-आते शरद शेट्टी का काम मुंबई में कोलाबा के रहने वाले एक व्यापारी सुनील अभिचंदानी उर्फ सुनील सुनील दुबई ने संभाला. कहा जाता है कि सुनील दुबई सीधे तौर पर दाऊद के भाई अनीस इब्राहिम से जुड़ा है और दोनों मिलकर दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा क्रिकेट बेटिंग कार्टेल चला रहे हैं.