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श्रीनिवासन को हटाने 'मराठा' आया मैदान में

अब श्रीनिवासन की सियासत को चुनौती दिल्ली नहीं मुंबई से मिलेगी. मराठा छत्रप, एनसीपी सुप्रीमो और पूर्व बीसीसीआई, आईसीसी मुखिया शरद पवार ने ताल ठोंक ली है. उनके रुख को देखते हुए कई राज्यों की क्रिकेट एसोसिएशन के सुर भी खुलने लगे हैं.

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मी मराठा. मराठा मरता है या मारता है. नाना पाटेकर का 'तिरंगा' में बोला ये डायलॉग अब बीसीसीआई के दंगल में गूंज रहा है.

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फिक्सिंग में बीसीसीआई मुखिया श्रीनिवासन के दामाद का नाम आने के बाद उनके इस्तीफे की मांग हो रही है. बीसीसीआई में उनके बाद नंबर 2 की हैसियत वाले उपाध्यक्ष और बीजेपी नेता अरुण जेटली हों या आईपीएल कमिश्नर और कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला. दोनों बार-बार श्रीनिवासन को इस्तीफे के लिए समझाने की कोशिश कर रहे हैं. सरकार के मंत्रियों से भी बयान दिलवाए जा रहे हैं. मगर अब तक श्रीनिवासन शरम के पानी को सीमेंट में मिलाकर कंक्रीट से जमे हुए थे.

मगर बुधवार से इस क्रिकेट दंगल का नजारा बदलने लगा. गुरुवार आते-आते ये तय हो गया कि अब श्रीनिवासन की सियासत को चुनौती दिल्ली नहीं मुंबई से मिलेगी. मराठा छत्रप, एनसीपी सुप्रीमो और पूर्व बीसीसीआई, आईसीसी मुखिया शरद पवार ने ताल ठोंक ली है. उनके रुख को देखते हुए कई राज्यों की क्रिकेट एसोसिएशन के सुर भी खुलने लगे हैं.

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शुरुआत में शरद पवार ने देखो और समझो की रणनीति अपनाई थी. इसलिए उनकी पार्टी के प्रवक्ता औऱ सांसद देवी प्रसाद त्रिपाठी ने जब श्रीनिवासन के इस्तीफे की मांग की, तो पार्टी ने फौरन तुर्रा छोड़ा कि ये त्रिपाठी की निजी राय है. इसे पार्टी की मांग न समझा जाए. उसके बाद 24 मई को डालमिया के डिनर में जेटली और शुक्ला ने श्रीनिवासन को घेरना चाहा. मगर श्रीनिवासन ने साफ कर दिया कि इस्तीफा देंगे तो तीनों. इसके बाद कुछ दिनों के लिए बीसीसीआई बाहरी तौर पर ही सही संगठित दिखने की कोशिश में रहा. मगर फिर सब्र तो सब्र था, उसका प्याला छलकना ही था.

खेल मंत्री जितेंद्र सिंह ने बयान दिया, केंद्र में मंत्री और एमपी की क्रिकेट एसोसिएशन के मुखिया ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी बयान दिया. यहां तक कि राजीव शुक्ला भी दायें-बायें की जबान छोड़ खुली चुनौती पर उतर आए. मगर चेन्नै का कारोबारी बिल्कुल भी नहीं कसमसाया. मगर पवार के आते ही उनका कंपोजिशन गड़बड़ाने लगा है.

पवार प्ले में बदला गेम
माहौल भांपते हुए पवार ने बुधवार को प्रेस में बयान दिया कि श्रीनिवासन को इस्तीफा देना चाहिए. उन्होंने गृह मंत्रालय से यह मांग भी कर डाली कि इस आईपीएल के हर मैच की जांच हो. उन्होंने खुली चुनौती वाले अंदाज में कहा कि मेरे कार्यकाल के दौरान सबको साथ लेकर चला गया था. संकेत साफ था. श्रीनिवासन के मुखिया रहते देश में क्रिकेट के हुक्मरान पालों में बंट चुके थे.

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फिर पवार ने घाव खुंरचते हुए ये भी कहा कि अगर मैं उनकी जगह होता, तो अब तक पद छोड़ चुका होता. इस बयान के बाद ही कभी पवार के धुर विरोधी रहे और उनसे पटखनी खाए बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के जगमोहन डालमिया भी बोल उठे, कि हालात बदल रहे हैं. हमें श्रीनिवासन को समर्थन पर फिर से सोचना होगा.

गुरुवार को शरद पवार बीसीसीआई के कई मेंबर्स से मिले. इन बैठकों का एक ही एजेंडा था. अगर श्रीनिवासन खुद से इस्तीफा नहीं देते, तो उनके खिलाफ संस्था के संविधान के दायरे में रहकर बगावत कर दी जाए. उनको अध्यक्ष के पद से बर्खास्त किया जाए.

कौन है किस पाले में
श्रीनिवासन के खिलाफ
आई एस बिंद्रा (पंजाब), रवि सावंत(मुंबई), अरुण जेटली(दिल्ली), अनुराग ठाकुर(हिमाचल प्रदेश), राजीव शुक्ला(आईपीएल कमिश्नर), गौरहरि सिंघानिया(उत्तर प्रदेश), रंजीत बिस्वाल(उड़ीसा), भरत के शाह(सौराष्ट्र), चिरायु अमीन(बड़ौदा), जी विनोद(हैदराबाद), ज्योतिरादित्य सिंधिया(मध्यप्रदेश), प्रकाश दीक्षित(विदर्भ)

अब भी श्रीनिवासन के साथ
फारुख अब्दुल्ला(जम्मू-कश्मीर), टीआर बालाकृष्णन(केरल), डीवी सुब्बाराव(आंध्र प्रदेश), विनोद फड़के(गोआ), गौतम राय(असम), सीपी जोशी(राजस्थान) और तमिलनाडु से खुद श्रीनिवासन

अभी रुख तय नहीं
नरेंद्र मोदी(गुजरात), अनिल कुंबले(कर्नाटक), अजय शिरके(महाराष्ट्र), जगमोहन डालमिया(पं. बंगाल), अरविंद चौधरी(हरियाणा), सेवंती पारेख (क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया)

ये तीन मेंबर सरकार नियंत्रित बोर्ड केः एयर मार्शल जे एन बर्मा(सर्विसेज), एडीएन वाजपेयी(यूनिवर्सिटी असोसिएशन), एके वोहरा(रेलवे प्रमोशन बोर्ड)

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